जड़ता को श्रम से ललकारता मानव।

अवसर - इंतजार नहीं निर्मित करें। 

जड़ता को श्रम से ललकारता मानव।

जब जब मनुष्य ने जड़ता को ललकारा है तब तब परिवर्तन ने दस्तक दी है,और प्रत्येक परिवर्तन अपने साथ-साथ बड़े तथा महान अवसर लेकर आया है। इस अवसर का जिसने भी सदुपयोग कर लाभ उठाया है और अपने अनुकूल बनाने का ऊर्जा के साथ प्रयास किया है वह विश्व विजेता बनने में सक्षम हुआ है। मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने जिस "आई हैव ए ड्रीम "की कल्पना की थी वह जीवन के नए अवसर की कल्पना थी। महात्मा गांधी जी ने भी जिस स्वराज की कल्पना अपने मन में की थी वह भी उसी नए अवसर की खोज में उसकी तरफ छेड़ा गया एक अभियान था और बराक ओबामा ने भी कहा था "यस वी कैन" ने भी बड़े परिवर्तन को सच्चाई के अवसर की तलाश थी।
 
डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने भी मनुष्य से देवत्व की यात्रा का वर्णन किया था वह भी परिवर्तन के मुख्य द्वार से होकर गुजरता था .जीवन की संपूर्ण यात्रा में व्यक्ति को अपने जीवन में संघर्ष करना पड़ता है और तमाम कठिनाइयों को तोड़कर आगे की ओर अग्रसर होना पड़ता है। अवसर के मार्ग को खोलकर बड़ी विजय की महायात्रा प्राप्त हो सकती है। मूलतः परिवर्तन जीवन की एक मूलभूत विशेषता और एक जरूरी सत्य है बल्कि बेहतर कल तथा विकास के प्रत्येक सपने का हल भी होता है। परिवर्तन में अवसर तलाशने की यात्रा का अस्तित्व ही एक विजय गीत का गान है।
 
परिवर्तन की इस महा प्रक्रिया का साइकल स्वयं इस बात का साक्ष्य है की परिवर्तन खुद ही नवीनता की एक बड़ी खोज है और परिवर्तन का सीधा अर्थ है जड़ता का नाश है। जो हमारी पुरानी परंपराएं जड़ तथा जंगम हो चुकी है या जो स्वयं को नई परिस्थितियों के अनुसार ढाल पाने में सक्षम नहीं है उसका अंत ही परिवर्तन का प्रस्थान बिंदु होता है और इसका अंत एक बड़े शून्य को जन्म देता है और यह नवीन तथा प्राचीनता के बीच की एक समन्वय की कड़ी होती हैं। और इसमें वह सारे और अवसर निहित होते हैं जिनका चयन ही भविष्य की बुनियाद तय करता है और इस शून्य के काल में किया गया प्रयत्न और प्रयास भविष्य के बड़े भाग्य को तय करता है और किसी समय चक्र के बार-बार परिवर्तन को ही जीवन की संज्ञा दी गई है।
 
गीता में कृष्ण ने इस परिवर्तन वह उसमें अंतर्निहित मौके की तलाश करने का संकेत दिया है। मानवीय इतिहास में भी यदि नजर दौड़ाई तो पहला परिवर्तन 1215 में नागरिक अधिकार पत्र यानी मैग्नाकार्टा की प्राप्ति हुई थी। 12वीं और 13वीं सदी का समय सामंती प्रथा व क्रूरता से भरा समय था जहां मनुष्य एक साधन मात्र था। और उसी समय जब सदियों से भरी जनता को ललकारते हुए परिवर्तन का महत्व तथा सपना मनुष्य के दिमाग में पैदा हुआ,परिवर्तन की इस घड़ी ने एक अवसर को जन्म दिया था और उसी अवसर का उपयोग करते हुए मानव को नागरिक अधिकार पत्र प्रदान किया था। अब मनुष्य स्वयं का कर्ताधर्ता था और उसी नागरिक अधिकार पत्र में किए उल्लेख का परिणाम है कि आज हर समाज को सभ्यता का प्रमाण उसी अधिकार पत्र के आधार पर दिया जाता है।
 
बीसवीं सदी ने जड़ता पर चोट की, मशीनों के शोर, हथियारों की होड़ के बीच कैलिफोर्निया क्रांति ने विश्व को सूचना प्रौद्योगिकी का उपहार दिया था। इस बड़े परिवर्तन ने संपूर्ण मानव समाज को एक बड़ा अवसर प्रदान किया पूरी कार्यप्रणाली को सरल बनाने और संपूर्ण सामाजिक व्यवस्था को पारदर्शी बनाने का उपहार भी दिया था। यह तो तय है कि जब जब जनता ने समाज की गति को रोकने का प्रयास किया तब मानवीय उद्यम और साहस ने उसे चुनौती दी और नए नए अवसरों की तलाश कर उसका नवीन परिवर्तन का सकारात्मक उपयोग किया। एक प्रसिद्ध कहावत है परिवर्तन के अलावा कुछ भी स्थाई नहीं है यह प्रकृति का एक स्थाई और व्यवस्था जनक है कि परिवर्तनशील होना जिवंतता और संघर्ष का प्रमाण है। जिस व्यक्ति, समाज तथा देश में स्थायित्व जाता है वह विकास के विरुद्ध होने लगता है।
 
परिवर्तन सदैव धीरे-धीरे होते हैं यह अचानक नहीं होते प्राकृतिक व्यवस्था अनुसार हर परिवर्तन का एक बड़ा उद्देश्य होता है हर परिवर्तन अपने साथ एक बड़ा अवसर लेकर आता है यह अवसर नवीन लक्ष्यों के आपूर्ति का और उद्देश्य की ओर बढ़ती आकांक्षा को नवीन सृष्टि के निर्माण को संभव बनाने का प्रयास होता है। परिवर्तन का चक्र स्वयं इस बात का प्रमाण है कि परिवर्तन स्वयं की नवीनता का एक बड़ा स्रोत है। बढ़ती जनसंख्या के लिए उत्पादन की ना तो मात्रा पूरी हो पा रही थी और नाही उत्पादन उसकी गति में भी विराम लग गया था। व्यक्ति, समाज तथा देश के पास पूंजी होने के बावजूद उसके उपयोग का ना तो सामर्थ्य था नहीं उतनी बौद्धिक क्षमता,उसी क्षण विचारों ने परिवर्तन लाना शुरू किया मानव की बुद्धि ने एक बड़ा परिवर्तन लाकर मशीनों का इजाद किया फल स्वरूप कार्य करने की गति को अवसर मिला इस अवसर के साथ उत्पादन मैं भी वृद्धि हुई।
 
मानव समाज ने इस परिवर्तन तथा नए अवसर की खोज के साथ नई नई वस्तुओं का अंबार लगा और संपूर्ण विश्व में औद्योगिक क्रांति का उदय हुआ। यही औद्योगिक क्रांति विश्व के लिए विकास की नई गाथा है और सफलता के साथ एक नए युग का परिवर्तन भी हुआ है। स्थायित्व के विरुद्ध नए अवसर की तलाश थी मनुष्य के जीवन के नवीन पायदान ओं का आगाज करती है और जीवन परिवर्तनशील होकर नए युग की ओर प्रशस्त होता है। मनुष्य के जीवन में प्रगति विकास और परिवर्तन ही जीवन का असली गुंजन है, और यही विजय यात्रा की ओर मनुष्य, समाज तथा देश को अग्रसर करता है। 
 
संजीव ठाकुर ,स्तंभकार ,चिंतक, लेखक

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