सियासत के लिए शिक्षा का मंच

सियासत के लिए शिक्षा का मंच

सियासत के लिए शिक्षा का मंच

स्वतंत्र प्रभात 
 


सियासत के लिए कोई भी जमीन पावन-अपावन नहीं होती किन्तु सियासत के होने से अनेक पावन मंच अपावन हो जाते हैं.इस विषय पर बात शुरू होते ही भक्तमंडली में खलबली मच सकती है और एक बार फिर इस तरह की बात करने वाले हमारे जैसे दिहाड़ी मजदूरों को सिरफिरा कहा जा सकता है. बावजूद इस भी से लोग विचार-विमर्श करना बंद नहीं कर सकते.

देश में शिक्षा के प्रमुख केंद्र माने जाने वाले अलीगढ़ यानि हरिगढ़ में भाजपा के मिशन 2022  का श्रीगणेश करने के लिए एक विश्व विद्यालय के शिलान्यास समारोह को अवसर माना गया .अलीगढ़ में अव्वल तो सौ साल से भी ज्यादा पुराना विश्व विद्यालय पहले से मौजूद था इसलिए  इसलिए वहां किसी नए विश्व विद्यालय की जरूरत नहीं थी और मान  भी लिया जाये कि जरूरत थी तो क्या उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा के मिशन 2022  का श्रीगणेश  करने के लिए कोई दूसरा मंच नहीं मिल सकता था .लेकिन कहते हैं कि-' समरथ को नहीं दोष गुसाईं,रवि,पावक,सुरसरि की नाईं '.


भाजपा समरथ पार्टी है,उसकी केंद्र और उत्तर प्रदेश में सरकार भी है इसलिए वो जो चाहे कर सकती है .भाजपा ने ऐसा ही किया.भाजपा ने अलीगढ़ यानि हरिगढ़ में स्वतंत्रता सैनानी राजा महेंद्र प्रताप सिंह विश्विद्यालय की आधार शिला रखवाने के सतह ही यूपी में अपने मिशन का शुभारम्भ  करा लिया .नए विश्व विद्यालय के लिए अलीगढ़ और आसपास के क्षेत्र  वालों को बधाई दी जाना चाहिए ,कि अब उनके बच्चे अलीगढ़ मुस्लिम विश्व विद्यालय में जाने से बच सकेंगे .आम धारण है कि अमुविवि में पढ़ने वाले बच्चे हिन्दू नहीं प्रगतिशील भारतीय बन जाते हैं .

देश में 20वीं सदी की कथित  गलतियों को 21वीं सदी में सुधरने के लिए अभियान चला रही भाजपा  ने देश के मुख्यमंत्री से इस शालीन मंच पर भी सियासत करने का दुस्साहस दिखाया .चूंकि प्रधानमंत्री जी विवि का शिलान्यास  करने आये' थे इसलिए उनसे लगे हाथ मिशन 2022  का श्रीगणेश भी करा दिया .प्रधानमंत्री जी  ने मंच का इस्तेमाल 'अहोरूपम,अहो ध्वनि ' को चरतार्थ करने के लिए किया .यूपी की योगी आदित्यनाथ की सरकाए जमकंर कशीदे पढ़े.प्रधानमंत्री जी की विवशता उनके भाषणों से साफ़ झलक रही थी.लगभग झूल डाल चकी भाजपा को पता है कि यदि बंगाल की तरह उत्तर प्रदेश में  भी भाजपा का सफाया हुआ तो 2024  में दिल्ली की सरकार बदलने कि जरूरत  पड़ सकती है .


अतीत यानि इतिहास बताता है कि हमारे प्रधानमंत्री भले ही सबका विकास ,सबका साथ की बात करते हैं लेकिन जब भी श्रेय लूटने की बात आती है तो वे सबसे आगे खड़े नजर आते हैं दुर्भाग्य से वे यूपी में ऐसा करने कि स्थिति में नहीं हैं .योगी बाबा को सफलता का  श्रेय देते हुए प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी ने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जमकर तारीफ की. उन्होंने कहा, 'यूपी के लोग भूल नहीं सकते कि पहले यहां किस तरह के घोटाले होते थे, किस तरह राज-काज को भ्रष्टाचारियों के हवाले कर दिया गया था. आज योगी जी की सरकार पूरी ईमानदारी से यूपी के विकास में जुटी हुई है.

विश्व विद्यालय और शिक्षा की बातें ज्यादा न करते हुए प्रधमनातरी  जी मुख्यमंत्री जी को प्रमाण  बांटते से दिखाई दिए.वे देश की शिक्षानीति के बारे में नहीं बोले.शायद सोचकर ही निकले होंगे कि नहीं बोलना है. देश की शिक्षानीति पर बोलने के लिए उनके पास बहुत कुछ है भी नहीं. उन्होंने कहा -'मोदी ने आगे कहा, 'एक दौर था जब यहां 

शासन-प्रशासन, गुंडों और माफियाओं की मनमानी से चलता था, लेकिन अब वसूली करने वाले, माफियाराज चलाने वाले सलाखों के पीछे हैं.' उन्होंने कहा, 'मुझे आज ये देखकर बहुत खुशी होती है कि जिस यूपी को देश के विकास में एक रुकावट के रूप में देखा जाता था, वही यूपी आज देश के बड़े अभियानों का नेतृत्व कर रहा है.'अब प्रधानमंत्री जी के प्रमाणपत्र से योगी जी तो मुदित हो सकते हैं लेकिन सूबे की जनता भी इस सनद से   खुश हो जाये ये कहना कठिन है

 की वजह दरअसल सूबे में 2022  में होने वाले विधानसभा के चुनाव ही हैं .विधान सभा चुनाव में अब 6 महीने से भी कम का वक्त बचा है. पिछले साल शुरू हुए किसान आंदोलन के बाद से पश्चिमी यूपी में बीजेपी को जनाधार खिसकने का डर सता रहा है, क्योंकि किसान आंदोलन में पश्चिमी यूपी के किसानों की बड़ी भूमिका है. ऐसे में अलीगढ़ दौरे के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पश्चिमी यूपी को साधने की कोशिश करेंगे.

स्वतंत्रता सेनानी रहे   राजा महेंद्र प्रताप सिंह के बारे में बताने वाले अब भले ही कम लोग हैं  लेकिन पश्चिमी यूपी में उनकी विरासत पर चर्चा खूब होती है. बीजेपी की कोशिश है कि राजा महेंद्र प्रताप सिंह यूनिवर्सिटी के जरिए एक ओर तो वो युवाओं को साथ लाएं दूसरी ओर जाट समुदाय की नाराजगी को कम करें.मजे की बात ये है कि राजा साहब का कभी भाजपा या उसकी विचारधारा से कोसों तक कोई वास्ता नहीं था .

राजा महेंद्र प्रताप सिंह हाथरस के राजा थे. राजा महेंद्र प्रताप सिंह के जाट समुदाय के होने की वजह से पश्चिमी यूपी में उनका काफी सम्मान है. राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने भारत की स्वतंत्रता के लिए 20 से 25 देशों मे आजादी की अलख जगाने के लिए यात्रा की.  31 वर्ष 8 महीने वो विदेशों में रहे और 1946 में भारत लौटे. राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने बुलंदशहर से लेकर अलीगढ़, हाथरस और वृंदावन में अपनी संपत्ति का 60-70 प्रतिशत हिस्सा शिक्षण संस्थाओं को दान दे दिया. यहां तक कि उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के लिए भी जमीन दान दी थी. जानकार कहते हैं कि भाजपा यदि अलीगढ़ के बजाय हाथरस में खड़े होकर यही काम करती तो उसे ज्यादा फायदा होता .


भाजपा ने एक तीर से दो शिकार करने की कोशिश की है.एक तो भाजपा जाटों को खुश करना चाहती है दुसरे उसका लक्ष्य अलीगढ़ मुस्लिम विश्व विद्यालय की अहमियत को कम करने का भी है. नया विश्व विद्यालय बनते ही अभी एएमयू से जुड़े अलीगढ़, कासगंज, हाथरस और एटा के 395 कॉलेज को इसी विश्वविद्यालय से जोड़ दिए जायेंगे .चुनाव से ठीक छह माह पहले भाजपा की सरकार ने इस विश्व  विद्यालय के लिए 101  करोड़ का बजट भी स्वीकृत किया है .विवि 98  एकड़ जमीन में बनेगा .


राजा जी के नाम पर बनने वाला विश्व विद्यालय यदि भाजपा की खिसकती जमीन को बचा ले तो चमत्कार ही समझिये ,क्योंकि यूपी के जाट अब पहले के मुकाबले ज्यादा समझ्ह्दार हो गए हैं और फिलहाल किसानों के साथ खड़े हैं.जाटों को बरगलाया जाना बहुत आसान नहीं है.

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