इस दीपावली जलाएं ग्रीन पटाखे

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ग्रीन पटाखे ' राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी संस्थान (नीरी) की खोज हैं जो पारंपरिक पटाखों जैसे ही होते हैं पर इनके जलने से कम प्रदूषण होता है. है नीरी एक सरकारी संस्थान है जो वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंघान परिषद (सीएसआईआर) के अंदर आता है
विज्ञान संचारक सुशील द्विवेदी के अनुसार ग्रीन पटाखों का इस्तेमाल दुनिया के किसी देश में नहीं होता है. यह आइडिया पुर्णतः भारतीय वैज्ञानिकों का है और हम भारत में ग्रीन पटाखों का इस्तेमाल करके पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में दुनिया को एक नई दिशा दे सकते हैं I
क्या होते हैं ग्रीन पटाखे :
ग्रीन पटाखे दिखने, जलाने और आवाज़ में सामान्य पटाखों की तरह ही होते हैं, लेकिन इनसे प्रदूषण कम होता है.सामान्य पटाखों की तुलना में इन्हें जलाने पर 40 से 50 फ़ीसदी तक कम हानिकारण गैस पैदा होते हैं.सामान्य पटाखों के जलाने से भारी मात्रा में नाइट्रोजन और सल्फ़र गैस निकलती है, लेकिन ग्रीन पटाखों के जलने से 40 से 50 फ़ीसदी तक कम हानिकारक गैसें निकलेंगी . ऐसा भी नहीं है कि इससे प्रदूषण बिल्कुल भी नहीं होगा. पर हां ये कम हानिकारक पटाखे होंगे., ध्वनि प्रदुषण की दृष्टी से भी ये कम ध्वनि प्रदुषण करेंगे I
कितने तरह के ग्रीन पटाखे
विज्ञान संचारक सुशील द्विवेदी के अनुसार नीरी ने कुछ रासायनिक फार्मूला विकसित किये हैं इसी अनुसार ग्रीन पटाखों में इस्तेमाल होने वाले अलग मसाले बहुत हद तक सामान्य पटाखों से अलग होते हैं., जिससे पटाखे जलने के बाद कम हानिकारक गेसें बनेगी एवं रासायनिक अभिक्रिया से पानी बनेगा जिसमें हानिकारक गेसें घुल जायेंगी I सी एस आई आर नीरी ने चार प्रकार के पटाखे बनाये हैं
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सेफ वाटर रिलिजर पटाखेः इन पटाखों के जलने से पानी के कण पैदा होंगे , जिसमें सल्फ़र और नाइट्रोजन के कण घुल जाएंगे है.अकसर जब किसी शहर में प्रदुषण ज्यादा होता है तब पानी के छिड़काव से प्रदूषण को कम करने में मदद मिलती है
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अरोमा क्रैकर्स अर्थात खुशबु वाले क्रैकर्स ; इन पटाखों को जलाने से न केवल कम हानिकारक गैस पैदा होगी बल्कि बातावरण में बेहतर खुशबू भी बिखरेगी
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सफल अर्थात सेफ़ मिनिमल एल्यूमीनियम क्रैकर्स : इन पटाखे में सामान्य पटाखों की तुलना में 50 से 60 फ़ीसदी तक कम एल्यूमीनियम का इस्तेमाल होता है अर्थात ऐसे ग्रीन पटाखों के जलने से वातावरण में कम एल्यूमीनियम के कण मुक्त होंग
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स्टार क्रैकर यानी सेफ़ थर्माइट क्रैकर ; इन क्रैकर्स में ऑक्सीडाइज़िंग एजेंट का उपयोग होता है जिससे जलने के बाद सल्फ़र और नाइट्रोजन के हानिकारक ऑक्साइड कम मात्रा में पैदा होते हैं. इसके लिए ख़ास तरह के केमिकल का इस्तेमाल होता है.
आप कहीं भी पटाखों की दुकानों से इन्हें खरीद सकते हैं. अलबत्ता एक बार दुकानदार से ये कन्फर्म जरूर कर लें कि ये ग्रीन पटाखे हैं या नहीं या ग्रीन पटाखों की पैकिंग के ऊपर अलग से लगे होलोग्राम या लेबल को देखकर आप सुनिश्चित कर सकते हैं I ये पटाखे सामान्य पटाखों से थोड़े महंगे जरूर है लेकिन पर्यावरण हितैषी हैं
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