प्रखण्ड के सुदूर ग्रामीन क्षेत्रों से बड़ी संख्या में श्रद्धलु हुए कावर यात्रा में शामिल

प्रखण्ड के सुदूर ग्रामीन क्षेत्रों से बड़ी संख्या में श्रद्धलु हुए कावर यात्रा में शामिल

सावन की अंतिम सोमवारी 8अगस्त को भगवान शिवशंकर को जलाभिषेक हेतु कांवरियों का जत्था हुआ पाकुड़िया से रवाना 


स्वतंत्र प्रभात-

पाकुड़िया/पाकुड़,झारखण्ड:-

पावन महिना सावन की अंतिम सोमवारी 8अगस्त को भगवान आषुतोष को जलाभिषेक हेतु,बंगाल के रघुनाथ गंज से गंगाजल लेने 5अगस्त को पाकुड़िया से कांवरियों का जत्था रवाना हुआ।बताया जाता है,पिछले कई सालों से सिर्फ 20,21कोरोना काल को छोड़ पाकुड़िया कांवरियों का जत्था रघुनाथ गंज से कावर द्वारा,नंगे पांव करीब 65किलो मीटर की दूरी तय कर भगवान शिवशंकर को गंगाजल अर्पण किया जाता रहा है।इस पूनीत वेला में,पप्पु गुप्ता,बच्चू तिवारी,मनी साहनी,निभाई दास की कावर यात्रा की ब्यावस्था में काफी सराहनीय सहयोग रहती आई है।इस कावर यात्रा में,किशोरी एवम माताऐं भी शामिल होकर नंगे पांव गंगाजल लाकर भगवान भोलेनाथ को अर्पण करती रही है।शनिवार 6को कावर यात्री कावर लेकर चलते हैं इस बीच सही समय पर जलपान भी,होता है

और रात्रि को  महेशपुर के गड़वाड़ी विद्यालय में पूरी भोजन की ब्यावस्था रहती है।पुनः 7रविवार को नदी में स्नान कर,कावर यात्री महेशपुर शिव मंदिर में भगवान शिवजी को गंगाजल अर्पण कर,जलपान कर नंगे पांव पाकुड़िया की ओर कूच करते हैं।इस बीच मध्यान भोजन तैयार होता है एवम भोजन के बाद कुछ विश्राम कर,कावर यात्री पाकुड़िया की ओर चलते हैं और‌ संध्या को पाकुड़िया के रामसीता मंदिर में,पुनः सामुहिक भोजन किया जाने तथा प्रात काल नदी में स्नान कर यात्री मंदिर पहुंच कर भगवान शिवशंकर को गंगाजल का अभिषेक करेंगे व पूजन कर मंगल कामना करते हुए,कावर यात्री का समापन होता है।कावर यात्रा के प्रसंग में,बच्चू तिवारी ने बताया कि,श्रावन के पावन महिना में गंगाजल कावर से नंगे पांव लाकर भगवान को जलार्पण की महिमा सनातन धर्म में रही और इसकी आध्यात्मिक महत्ता काफी शास्त्रों में,कहीं गयी है।तिवारी ने एक सवाल के जवाब में कहा,यह कावर यात्रा की सामाजिक महत्ता काफी है इसमें,सनातन समाज के सभी वर्गों के लोग शामिल रहते हैं।हिन्दू या सनातन धर्म में किसी प्रकार की जाति भेद कदापि नहीं रहा है और कावर यात्रा की आध्यात्मिक महत्ता के साथ सामाजिक महत्ता भी,आदि काल से रही है।

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