डेंगू के जानलेवा स्ट्रेन का कहर, मच्छरों से रहेंगे दूर तभी पाएंगे बच।

डेंगू के जानलेवा स्ट्रेन का कहर, मच्छरों से रहेंगे दूर तभी पाएंगे बच।

डी-2 स्ट्रेन की चपेट में आ गया तो बहुत मुश्किल स्थिति  हो सकती है पैदा ।


मुकेश कुमार (रिपोर्टर)


 भदोही ।

प्रदेश  में डेंगू  लेप्टोस्पिरोसिस, स्क्रब टाइफस और तमाम अन्य बीमारियां कहर बरपाए हुए हैं। लोगों, खासकर बच्चों  के संक्रमित होने का सिलसिला न सिर्फ जारी है बल्कि बढ़ता ही जा रहा है। एक के बाद एक जिले इन बीमारियों की चपेट में आते चले जा रहे हैं। जितने मरीजों का आंकड़ा  सामने है उससे कहीं ज्यादा लोग ग्रामीण इलाकों में बीमारी बताये जा रहे हैं। अब आईएमए  ने भी कहा है कि डेंगू के मामलों के अद्यतन आंकड़े उपलब्ध नहीं दिए जा रहे हैं। यूपी में डेंगू , लेप्टोस्पिरोसिस, स्क्रब टाइफस और तमाम अन्य बीमारियां कहर बरपाए हुए हैं। लोगों, खासकर बच्चों  के संक्रमित होने का सिलसिला न सिर्फ जारी है बल्कि बढ़ता ही जा रहा है।

एक के बाद एक जिले इन बीमारियों की चपेट में आते चले जा रहे हैं। जितने मरीजों का आंकड़ा  सामने है उससे कहीं ज्यादा लोग ग्रामीण इलाकों में बीमारी बताये जा रहे हैं। 
 एक बड़ी समस्या निदान की है। खांसी-बुखार और ठण्ड लगने के लक्षण आते ही बहुत से मरीज कोरोना का ट्रीटमेंट भी शुरू कर देते हैं । जिससे शुरुआती कीमती समय गलत निदान या खुद अपना इलाज करने में जाया हो जाता है। देश के कई हिस्सों में ऐसे कई मामले देखे गए हैं। आम तौर पर डेंगू अधिकांश लोगों में हलके लक्षण  पैदा करता है ।

लेकिन कभी कभी ये मजबूत इम्यून सिस्टम वाले जवान और तंदरुस्त लोगों में जानलेवा भी साबित होता है। बताया जा रहा है कि इस बार डेंगू का डी-2 स्ट्रेन फैला हुआ है। जून -जुलाई में डेंगू का यही स्ट्रेन ओडिशा में फैला था । सैकड़ों लोग बीमार पड़ गए थे । लेकिन मौतें बहुत ज्यादा नहीं हुईं थीं। यूपी में ज्यादा मौतें होने की वजह स्पष्ट नहीं है। आईसीएमआर ने कहा है कि प्रदेश में मरीजों से लिए गए सैंपल से पता चला है कि डेंगू का बहुत घातक डी-2 स्ट्रेन फैला हुआ है।

लेकिन कितने मरीजों से सैंपल लिए गए यह नहीं बताया गया है। आईसीएमआर के प्रमुख डॉ बलराम भार्गव  ने कहा है कि डेंगू से बचने का एक ही उपाय है  - मच्छरों को पनपने से रोकना। अगर कोई इनसान डेंगू, खासतौर पर डी-2 स्ट्रेन की चपेट में आ गया तो बहुत मुश्किल स्थिति पैदा हो सकती है। इस स्ट्रेन से प्लेटलेट काउंट बहुत तेजी से घटता है और आन्तरिक ब्लीडिंग होने लगती है। वैसे तो डेंगू की वैक्सीन  है। लेकिन इसे भारत में इस्तेमाल करने की अनुमति अभी तक नहीं मिली है।


बड़ी चुनौती


डेंगू का मच्छर साफ़ पानी में पनपता है। दिन के वक्त काटता है इसलिए इससे बचना एक बड़ी समस्या है। लोग सोते समय मसहरी का इस्तेमाल करते हैं । लेकिन दिन के वक्त ज्यादा एहतियात नहीं बरतते। ऐसे में डेंगू के मच्छर से बचाव नहीं हो पाता है। कुछ क्षेत्रों में इस बार बारिश भी ज्यादा हुई है और अब भी बरसात का सिलसिला जारी है। घरों में कहीं न कहीं पानी का भराव बना हुआ है, ऐसे में मच्छर जनित बीमारियों के फैलने का पूरा इंतजाम है। वैसे तो डेंगू की पहचान  के लिए कई तरह के टेस्ट उपलब्ध हैं ।

लेकिन आरटीपीसीआर टेस्ट  सबसे भरोसेमंद माना जाता है। दूसरी ओर स्क्रब टाइफस और लेप्टोस्पिरोसिस के लिए टेस्ट बहुत भरोसेमंद नहीं माने जाते हैं क्योंकि टेस्ट के परिणाम बहुत से मामलों में गलत निकल जाते हैं। स्क्रब टाईफस की जांच भी कई तरह से होती है लेकिन चूँकि इस बैक्टीरिया के कई स्वरुप है सो जांच भी अलग अलग तरह से की जाती है। स्क्रब टाईफस का कल्चर एक महँगी और समय लेने वाली प्रक्रिया है सो ये सब जगह की भी नहीं जाती है।

Tags:

About The Author

Post Comment

Comment List

आपका शहर

अंतर्राष्ट्रीय

Online Channel