जातियों की ओर बढ़ता चुनावी चरण

जातियों की ओर बढ़ता चुनावी चरण

   - जितेन्द्र सिंह पत्रकार 
 
 
लोकसभा चुनाव के दो चरण सम्पन्न हो चुके हैं, उत्तर प्रदेश में इसकी पश्चिम से हुई थी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में तीसरे चरण तक चुनाव पूरी तरह से सम्पन्न हो जाएंगे। इसके बाद जैसे ही चुनावी चरण मध्य उत्तर प्रदेश से शुरू होकर पूर्वी उत्तरप्रदेश में प्रस्थान करेगा। जातियों का बोलबाला शुरू हो जाएगा। कभी मध्य उत्तर प्रदेश को समाजवादी पार्टी का गढ़ कहा जाता था लेकिन आज वहां वह स्थित नहीं है। भारतीय जनता पार्टी ने समाजवादी पार्टी के गढ़ में काफी डेमेज किया है। और समाजवादी पार्टी के पास अपने गढ़ को बचाने की चुनौती होगी। फिरोजाबाद, एटा, मैनपुरी, इटावा, बदायूं, फर्रुखाबाद, कन्नौज, कानपुर देहात यादव बाहुल्य क्षेत्र हैं। और इन क्षेत्रों के लोगों को मुलायम सिंह यादव नाम से जानते थे। लेकिन जैसे ही वह अस्वस्थ हुए सपा की पकड़ भी इन क्षेत्रों में ढीली हो गई।
 
                   मुलायम सिंह यादव के बाद जब अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी की कमान सम्हाली थी तब शिवपाल सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी का इन क्षेत्रों में बहुत नुक्सान किया था। लेकिन अब शिवपाल सिंह यादव फिर से समाजवादी पार्टी के साथ हैं और अब उनके ऊपर यह बहुत बड़ी जिम्मेदारी होगी कि वह इस गढ़ को बचाने के लिए प्रयास करें। इन क्षेत्रों की स्थिति यह है कि यदि यादव और मुस्लिम मत एक हो जाए तो समाजवादी पार्टी को हराना काफी मुश्किल है। हालांकि काफी संख्या में यहां पर ब्राह्मण और क्षत्रिय वोट भी है, तथा अन्य पिछड़ी जातियों को मिलाकर भारतीय जनता पार्टी ने समाजवादी पार्टी के इस भ्रम को पिछले कई चुनावों में तोड़ा है। फिर भी आज इन क्षेत्रों में तीसरी किसी पार्टी के लिए कुछ भी नहीं है और मुकाबला सीधे भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी के बीच ही है। 
 
                भारतीय जनता पार्टी के इन क्षेत्रों में मजबूत होने से सपा को एक जो सबसे बड़ा नुक्सान हुआ है वह है उनके कार्यकर्ताओं द्वारा सपा का साथ छोड़ कर भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लेना। कभी समाजवादी पार्टी का कार्यकर्ता ही पार्टी की रीढ़ हुआ करता था। और मुलायम सिंह यादव अपने कार्यकर्ताओं का बहुत ही सम्मान किया करते थे। इस चुनाव में फिरोजाबाद, मैनपुरी बदायूं, कन्नौज से सपा मुखिया अखिलेश यादव समेत यादव परिवार के ही सदस्य चुनाव मैदान में हैं। यह समाजवादी पार्टी के लिए सबसे सुरक्षित गढ़ भी माना जाता है। यहां से चुनावी चरण जो शुरू होगा उत्तर प्रदेश का चुनाव जाति और धर्म की ओर चलता चला जाएगा। इस यादव बैल्ट के बाद जैसे ही चुनावी पूर्वांचल की तरफ रुख करेगा। जातियों का बोलबाला और अधिक शुरू हो जाएगा।
 
               जिस विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव मुख्यमंत्री चुने गए थे उसमें पूर्वांचल का बहुत बड़ा हाथ था। पूर्वांचल ने समाजवादी पार्टी को बंपर वोट दिया था। क्यों कि वहां के सभी बड़े नेता समाजवादी पार्टी के ही साथ थे। लेकिन धीरे-धीरे समय का चक्र चला और वहां तमाम जातियों के छोटे-छोटे नेता तैयार हो गये। हालांकि यह नेता अकेले कुछ भी करने में असक्षम थे तो उन्होंने भारतीय जनता पार्टी का सुरक्षित साथ पकड़ा और यहां भी समाजवादी पार्टी की पकड़ ढीली हो गई। ऐसा नहीं है कि वहां भारतीय जनता पार्टी को हराया नहीं जा सकता, लेकिन मेहनत करनी होगी। घोसी विधानसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव यह बात स्पष्ट करते हैं कि यदि मेहनत की जाए तो कुछ भी असंभव नहीं है।
 
               एक समय था कि उत्तर प्रदेश की खासकर पूर्वी उत्तर प्रदेश की विभिन्न जातियों पर समाजवादी पार्टी की अच्छी पकड़ थी। भारतीय जनता पार्टी ने स्वयं तो जातियों पर पकड़ नहीं बना पाईं लेकिन विभिन्न छोटे छोटे जातिगत राजनीति करने वाले दलों को अपने साथ मिलाकर जातिगत समीकरण जरुर साध लिया है। और अब वह पूर्वांचल में भी मजबूत स्थिति में दिखाई दे रही है। यदि उत्तर प्रदेश में मुकाबले की बात करें तो यहां अब भारतीय जनता पार्टी का सीधा मुकाबला समाजवादी पार्टी से ही है। बहुजन समाज पार्टी पहले ही हथियार डाल चुकी है। लेकिन हां उसने तमाम सीटों पर ऐसे प्रत्याशी उतार दिए हैं जो कहीं समाजवादी पार्टी के लिए तो कहीं भारतीय जनता पार्टी के लिए मुश्किलें पैदा कर रहे हैं। बहुजन समाज पार्टी इस चुनाव में बिल्कुल नतमस्तक नजर आ रही है। उसकी रणनीति केवल प्रत्याशियों के दम पर ही जीवित है। 
 
               बहुत समाज पार्टी ने जिस तरह से पिछले चुनावों में आक्रामकता दिखाई थी आज वह कहीं नहीं दिखाई दे रही है। बात तो यहां तक पहुंच गई है कि उनके भतीजे आकाश आनंद ने यह तक कह दिया है कि समाज का हित करने के लिए सत्ता की भागीदारी बहुत आवश्यक है। जिसका लोगों ने यह तक निष्कर्ष निकाल लिया है कि क्या चुनाव बाद बहुजन समाज पार्टी भारतीय जनता पार्टी के साथ जा सकती है। हालांकि अभी इस तरह की कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। इस बार के चुनाव में मुस्लिम समुदाय पूरी तरह से समाजवादी पार्टी की तरफ़ दिखाई दे रहा है। वह जनता है कि उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी से मुकाबला समाजवादी पार्टी ही कर सकती है। और करती दिखाई भी दे रही है। कांग्रेस के साथ गठबंधन ने भी समाजवादी पार्टी को मजबूत किया है इसको हम नकार नहीं सकते हैं।
 
              दो चरणों के चुनाव के बाद तीसरे चरण से दबदबा पूरी तरह से जातियों का ही होना तय है और उसी का फायदा, अनुप्रिया पटेल, पल्लवी पटेल, ओमप्रकाश राजभर, संजय निषाद जैसे नेता उठा रहे हैं। पूर्वांचल में इन नेताओं का राजनीति में एक अहम स्थान है। इनको सत्ता में रहना भाता है और सत्ता भारतीय जनता पार्टी के पास है। लेकिन फिर भी मुकाबला आसान नहीं रहने वाला है। निश्चित ही हर सी पर फाइट होना तय है। पूर्वांचल का नाम आते ही इन जातिगत पार्टियों के नेताओं का रोल अहम हो जाता है। ये जिस पार्टी के साथ होते हैं उनको अच्छा खासा जनाधार मिल जाता है। और इन पार्टियों का भी भला हो जाता है क्यों कि ये ज्यादा समय तक सत्ता से दूर नहीं रह सकतीं।
                       ------ जितेन्द्र सिंह पत्रकार 

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