अवरोधों के बीच तैयार हुआ विपक्षी एकता का प्रारंभिक रोडमैप
नीतीश के 'एक के खिलाफ एक' फार्मूले पर बढ़ चली चर्चा
पटना में 12 जून को प्रस्तावित बैठक टलने के पीछे कांग्रेस और दोनों मेजबान क्षेत्रीय दलों के बीच कुछ गलतफहमियां थीं। राजद और जदयू के दूसरी-तीसरी श्रेणी के नेता अपने-अपने तरीके से विपक्ष की इस बैठक को भुनाने में जुट गए थे जो कांग्रेस को पसंद नहीं आया।
- HighLights
- भाजपा विरोधी क्षेत्रीय दलों का प्रारंभिक रोडमैप तैयार
- नीतीश के 'एक के खिलाफ एक' फार्मूले पर बढ़ चली चर्चा
- अवरोधों के बीच तैयार हुआ विपक्षी एकता का रोडमैप
अंतर्विरोधों के बावजूद भाजपा विरोधी क्षेत्रीय दलों को एक मंच पर लाने का प्रारंभिक रोडमैप तैयार कर लिया गया है। जदयू-राजद की सक्रियता और कोशिशों से कांग्रेस पर दबाव बढ़ा है। नीतीश कुमार ने समान विचारधारा वाले दलों से बात कर एक-एक कर सारे अवरोध हटाए। उन दलों को भी राजी किया, जो एक-दूसरे के लिए अछूत थे।
वामदलों को तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) को कांग्रेस के साथ लाना आसान नहीं था, किंतु राजद एवं जदयू के शीर्ष नेतृत्व की तरफ से 23 जून को पटना में बैठक की घोषणा से साफ है कि गतिरोधों को हाशिये पर डालकर एकता की बात आगे बढ़ चली है।
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बात बिगड़ने लगी तो शीर्ष नेताओं को हस्तक्षेप करना पड़ा। राजद के एक वरिष्ठ नेता ने दावा किया कि कांग्रेस के शीर्ष नेताओं से सहमति लेने के बाद ही 12 जून की तिथि तय हुई थी। बाद में कहा गया कि राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे अनुपस्थित रहेंगे। इसलिए बैठक की तारीख आगे बढ़ाने और उसमें कांग्रेस के दोनों शीर्ष नेताओं में से किसी एक के उपस्थित रहने के लिए नीतीश और लालू ने सोनिया गांधी से स्वयं बात की, जिसके बाद बैठक की नई तिथि तय की गई।
भाजपा से मोर्चा के लिए चार सौ सीटें चिह्नित
भाजपा नेतृत्व वाले राजग को केंद्र की सत्ता से बाहर करने के लिए नीतीश ने एक के खिलाफ एक का फार्मूला दिया है। दावा किया जा रहा है कि अब तक लगभग चार सौ ऐसी सीटें चिह्नित की गई हैं, जहां इस फार्मूले पर आगे बढ़ा जा सकता है। नीतीश समेत विपक्षी एकता के पैरोकार इसे कम से कम पांच सौ सीटों तक ले जाना चाहते हैं। कौन कितनी सीटों पर लड़ेगा और कौन सी सीट किस दल के हिस्से में जाएगी, इस पर अभी माथापच्ची होना है।
Read More Highway Milestone: सड़क किनारे क्यों लगे होते हैं अलग-अलग रंग के माइलस्टोन? जानें क्या है इनका मतलबगलतफहमियां के चलते टली थी बैठक
सूत्रों के अनुसार पटना में 12 जून को प्रस्तावित बैठक टलने के पीछे कांग्रेस और दोनों मेजबान क्षेत्रीय दलों के बीच कुछ गलतफहमियां थीं। राजद और जदयू के दूसरी-तीसरी श्रेणी के नेता अपने-अपने तरीके से विपक्ष की इस बैठक को भुनाने में जुट गए थे, जो कांग्रेस को पसंद नहीं आया। इसलिए कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने बैठक में आने से लाचारी जता दी। यह भी कहा गया कि बैठक हिमाचल प्रदेश की किसी ठंडी जगह में हो।
संभव है कि इसे सुलझाने को पहली बैठक में ही कुछ समितियां गठित कर दी जाएं। नीतीश के अनुभव एवं स्वीकार्यता को देखते हुए उन्हें समन्वयक बनाया जा सकता है। तर्क है कि लालू को छोड़ किसी नेता का रिश्ता कांग्रेस से मधुर नहीं है। ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल, अखिलेश यादव, शरद पवार एवं उद्धव ठाकरे जैसे नेताओं को एक मंच पर लाना सबके बस का नहीं है।

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