साहित्य/ज्योतिष
<% catList.forEach(function(cat){ %> <%= cat.label %> <% }); %>
<%- node_title %>
Published On
By <%= createdBy.user_fullname %>
<%= node_description %>
<% } %> Read More... <%- node_title %>
Published On
By <%= createdBy.user_fullname %>
<% if(node_description!==false) { %> <%= node_description %>
<% } %> <% catList.forEach(function(cat){ %> <%= cat.label %> <% }); %>
Read More... संजीव-नी।
Published On
By Swatantra Prabhat Desk
एक दिया इधर भी। एक दिया छत की मुंडेर पर जला आना, जहां साया होता है गहन तमस का। एक दिया उस बूढ़ी मां के कमरे के आले पर जला आना, जहां बेटे,बहू ,नाती,नातीने जाने से कतराते हों। एक दिया...
Read More... दीप
Published On
By Swatantra Prabhat Desk
दीप जलते नहीं जलाए जाते है। मोहब्बत की नहीं निभाई जाती है। खुशियां आती नहीं लाई जाती है। अपने बनते नहीं बनाए जाते है। कर्म दिखाए नहीं किए जाते है। हमसफर दिखाया नहीं बनाया जाते है। सत्य समझाया नहीं समझा...
Read More... संजीव-नी।
Published On
By Swatantra Prabhat Desk
वक्त कभी रुकता नहीं संजीव। बेवफाई मैं किसी से करता नहीं सच्चा प्यार भी कभी मरता नहीं। जो अपना सुरूरे मिजाज रखता है वो अपनी हद से कभी गुजरता नहीं। जाम पीकर देखिये सियासत का कभी ता जिंदगी ये नशा...
Read More... संजीव-नीl
Published On
By Swatantra Prabhat Desk
कौन दस्तक देता है दर पर संजीव।मैं तो अपनी शर्तों पर जीता हूं.पराये दर्द के अश्कों को पीता हूं।रातें तो सितारों संग बीत जाती हैं,दिन के उजालों से बचता रहता हूं।अब चले ना चले कोई...
Read More... संजीव-नी।
Published On
By Swatantra Prabhat Desk
मुझे कोई गम नहीं रहा संजीव। आरजू आखरी सांस तलक नेकी की शर्त ही थी हर लम्हा पूरा जीने की। आबरू खुद बचा ली इस तूफ़ां ने मेरी जिंदगी के टूटे हुए सकिने की। दिल को तस्कीन सी मिली है...
Read More... कविता
Published On
By Swatantra Prabhat Desk
दुनिया आजमाती रही मुझे संजीव। अपने अंदाज ही बड़े निराले हैं प्यार के जख्म दिल में पाले हैं। मौज करते हैं मांग मांग कर जो मजबूत हाथ पैर वाले हैं। जिंदगी में जो रंगीन दिखते हैं दिल के कुछ गोरे...
Read More... संजीव-नी।
Published On
By Office Desk Lucknow
इतनी बे-असर दुआएं क्यों हैं। ? इतनी खामोश हवाएं क्यों है, इतनी गमगीन फिजाएं क्यों है। बीमार ए-दिल में बे-असर दवाएं अब इतनी बे-असर दुआएं क्यों हैं। दर्द हमारा तो ला- इलाज है, बे-असर इतनी दवाएं क्यों हैं । नजरें...
Read More... संजीव-नी।
Published On
By Office Desk Lucknow
मस्तियां सी घोल दी बरसात ने। क्या दिया है मोहब्बत के जज्बात ने कितना पीसा हमको इस हालात ने। मेरी तकदीर को चांद सा चमका दिया सचमुच् तेरी उस पहली मुलाकात ने । तेरी आंखों के हैं जाम तौबा शिकन...
Read More... संजीव-नीl
Published On
By Office Desk Lucknow
मतदाता एक दिन का राजाl एक मतदान के पावन दिन लगाकर कपड़ों में चमकदार रिन एक पार्टी के उम्मीदवार लगते थे मानो है सूबेदार, बिना लंबा भाषण गाये मुस्कुरा कर मेरे पास आए, बोले- कृपया अपने मताधिकार का लोकतंत्र के...
Read More... संजीव-नी।
Published On
By Office Desk Lucknow
विश्व युद्ध की कालिमा। विश्व युद्ध की आशंका। सिर्फ युद्ध का उन्माद, डरा देता है अंदर तक, दिल और दिमाग कांप जाते हैं, आने वाले कल की भयानक तस्वीर, विभीषिका मानव को कम्पित कर रख देती है। क्या हम भूल...
Read More... संजीवनी।
Published On
By Swatantra Prabhat Desk
बंधन का इरादा है वफा का गांव चाहिए। बला की धूप है सर पर घनेरी छांव चाहिए, थके मुसाफिर को सुकून का गांव चाहिए। दुआएं निकली है दिल से तो पूरी होंगी, बंधन का इरादा है वफा का गांव चाहिए।...
Read More... संजीव-नी।।
Published On
By Swatantra Prabhat Desk
मुझ पर फेके गए पत्थर अपार मिलेl मुझ पर फेके गए पत्थर अपार मिले, फक्तियाँ,ताने सैकड़ों बन गले का हार मिले। शौक रखता हूं भीड़ में चलने का मित्रो, कही ठोकरे,तो कही जीत के पुष्प हार मिले। जीवन बिता यूँ...
Read More...