कविता/कहानी
कविता/कहानी  साहित्य/ज्योतिष 

संजीव-नी।

संजीव-नी। ईमानदारी और ईमानदार।    हां सचमुच यह सच है, कि वह इमानदार है यह भी सच है वह गरीब और फटे हाल है, आपदाओं से घिरा हुआ,  आफतों का साथी, परेशानियां उसे छोड़ती नहीं, पर वह परेशान नहीं, मायूस भी नहीं,...
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संजीव-नी।

संजीव-नी। कविता मेरा अज़ीज़ निकला मेरा ही कातिलकभी खँजर बदल गये कभी कातिल ।शामिल मै किश्तों में तेरी जिंदगी में,कभी ख़ारिज किया कभी शामिल।बड़े दिनों बाद रौशनी लौटी है शहर में,आज रूबरू हुआ यारों मेरा कातिल।...
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संजीव -नी।

संजीव -नी। कविता, चलो थोडा मुस्कुराते है।।चलो थोडा मुस्कुराते हैइस दवा को आजमाते है.कठिनाई में खिलखिलाते है,मुसीबत में भी मुस्कुराते हैं।जिसकी आदत है मुस्कुराना,वो ही ज़माने को झुकाते है।मायुसी विषाद की जड़ होती है,उदासी...
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संजीव-नी।

संजीव-नी। कविता,    प्यारी मां तेरी जैसी l स्वरूपा नारी सर्वत्र पूजनीय) पुरुषों को स्त्रियों का कृतज्ञ होना चाहियेl     हर किसी की माँ हो, माँ हो मेरी जैसी, हर नारी लगती प्यारी मुझे मां जैसीl    रोटी के इंतजाम में गई मां की...
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संजीव-नी|

संजीव-नी| क्योंकि आज उसने खाना नहीं खाया|क्योंकि आज हरिया ने खाना नहीं खाया,हथौड़े की तेज आवाज से भी तेज,मस्तिष्क के तंतु कहीं तेजी सेशून्य में विलीन हो जाते,फिर तैरकर,वापसी की प्रतीक्षा किए बिना,आकर वापस...
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संजीव-नी|

संजीव-नी| आज मेरे दिल का क्या हाल है।     आज न जाने मेरे दिल क्या हाल है, सुर है न ताल है हाल मेरा बेहाल है।     आंखों से क्या जरा ओझल हुए तुम, जिन्दगी की हर चाल ही बेचाल है।     सोते जागते...
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कविता/कहानी 

संजीव-नी। 

संजीव-नी।  कविता       तमाम रातों का जुगनू बना दिया मुझको।     तेरी बेरुखी ने नया तजुर्बा दिया मुझको कैसे जीते यहाँ यह सिखा दिया मुझको।     कोशिश लाख करूं उस पल को भूलता नहीं बेचैनी का एक सिलसिला दिया मुझको।     तोक अपने उसूलों के...
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संजीव-नी।

संजीव-नी। देशभक्ति का जज्बा।    देश में आतंकवादियों के हमले से हुए  शहीदों की शहादत पर बाकी बचे हुए अस्पताल में पड़े हताहत पर।    एक भिखारी ने  दिया खुलकर दान बढ़ा दी मानवता की आन और बढ़ा दी भिखारियों की शान।   भिखारी...
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भगवती वंदना 

भगवती वंदना  मां भगवती सदैव आपकी शरण रहूँ  भले दुखों का प्रहार हो  भले सुखों की बाहर हो। मां भगवती सदैव आपकी चरणवन्दना करुँ  भले लोग मेरे खिलाफ़ हो भले लोग मेरे साथ हो। मां भगवती सदैव आपका चिंतन मनन करुँ  भले...
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संजीव-नी।

संजीव-नी। एक दिया इधर भी। एक दिया छत की मुंडेर पर जला आना, जहां साया होता है गहन तमस का।     एक दिया उस बूढ़ी मां के कमरे के आले पर जला आना, जहां बेटे,बहू ,नाती,नातीने जाने से कतराते हों।     एक दिया...
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दीप 

दीप  दीप जलते नहीं  जलाए जाते है। मोहब्बत की नहीं निभाई जाती है। खुशियां आती नहीं  लाई जाती है। अपने बनते नहीं   बनाए जाते है। कर्म दिखाए नहीं किए जाते है। हमसफर दिखाया नहीं  बनाया जाते है। सत्य समझाया नहीं  समझा...
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संजीव-नी। 

संजीव-नी।  वक्त कभी रुकता नहीं संजीव।     बेवफाई मैं किसी से करता नहीं सच्चा प्यार भी कभी मरता नहीं।     जो अपना सुरूरे मिजाज रखता है वो अपनी हद से कभी गुजरता नहीं।     जाम पीकर देखिये सियासत का कभी ता जिंदगी ये नशा...
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