भारत और अमेरिका मिलकर बनाने जा रहे ये हथियार, चीन परेशान
इनका इस्तेमाल चीन को काउंटर करने के लिए LAC पर किया जाएगा।

अमेरिका न सिर्फ भारत बल्कि जापान और ऑस्ट्रेलिया की भी दुश्मन पर हमला करने की क्षमता बढ़ाने में मदद कर रहा है।
स्वतंत्र प्रभात-
भारत और अमेरिका मिलकर लंबी दूरी तक वार करने वाले हथियार बनाने पर काम कर रहे हैं। इनका इस्तेमाल चीन को काउंटर करने के लिए LAC पर किया जाएगा। ये जानकारी अमेरिका के रक्षा मंत्रालय पेंटागन के टॉप अधिकारी एली रैटनर ने दी है। चीन को लेकर अमेरिकी संसद में हो रही एक बैठक के दौरान इंडो-पैसिफिक सिक्योरिटी अफेयर्स के एसिस्टेंट सेक्रेटरी रैटनर ने अमेरिका के इस फैसले को अभूतपूर्व बताया है।
उन्होंने कहा- ये फैसला दिखाता है कि बाइडेन प्रशासन इंडो-पैसिफिक में अपने दोस्तों की मदद के लिए तैयार है। रैटनर ने कहा है कि अमेरिका न सिर्फ भारत बल्कि जापान और ऑस्ट्रेलिया की भी दुश्मन पर हमला करने की क्षमता बढ़ाने में मदद कर रहा है।
आसियान बैठक में उठा था LAC का मुद्दा
एस जयशंकर और वांग यी ने आसियान की मीटिंग के तहत पिछले हफ्ते इंडोनेशिया में मुलाकात की थी। इस दौरान LAC का मुद्दा भी उठा था। एस जयशंकर ने जहां भारत-चीन बॉर्डर से जुड़े अनसुलझे विवादों का मुद्दा उठाया। वांग यी ने इस पर कहा कि सीमा विवाद को सुलझाने के लिए ऐसे समाधान की जरूरत है जिसे दोनों देश मंजूर कर सकें।
उन्होंने यह भी कहा था कि चंद मुद्दों से भारत-चीन के रिश्ते को परिभाषित नहीं किया जा सकता है। एस जयशंकर और वांग यी ने इंडो-पैसिफिक के मुद्दे पर भी चर्चा की।
पीएम मोदी की विजिट से पहले तैयार हुआ था मसौदा
फर्स्टपोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक भारत और अमेरिका के बीच लंबी दूरी तक वार करने वाली तोपें और बख्तरबंद गाड़ियां बनाने का मसौदा पीएम मोदी के अमेरिका दौरे से पहले तैयार हुआ था। रैटनर ने कहा कि पीएम मोदी के अमेरिका दौरे पर हमने मिलकर जेट इंजन बनाने की डील की थी। जबकि हम भारत के साथ लंबी दूरी की तोप और बख्तरबंद गाड़ियां बनाने के प्रपोजल पर भी काम कर रहे हैं। जो चीन बॉर्डर पर भारत की जरूरतें पूरी करने का काम करेंगे।
दरअसल, भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और अमेरिका के जैक सुलिवन ने इस साल की शुरुआत में ICET (इनिशिएटिव ऑन क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजी) की शुरुआत की थी।
यह पहल अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निर्देश पर शुरू की गई है। मई 2022 में टोक्यो में अपनी बैठक के बाद दोनों देशों की सरकारों ने उद्योगों और अकादमिक संस्थानों के बीच टेक्नोलॉजी शेयर करने व रक्षा औद्योगिक साझेदारी बढ़ाने की घोषणा की थी।
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