चीन के 'बेल्ट एंड रोड' से बाहर हुआ इटली, क्या है इसके पीछे सबसे बड़ी वजह? अपने ही जाल में फंसते जा रहे जिनपिंग

चीन के 'बेल्ट एंड रोड' से बाहर हुआ इटली, क्या है इसके पीछे सबसे बड़ी वजह? अपने ही जाल में फंसते जा रहे जिनपिंग

प्रोजेक्ट से इटली का पीछे हट जाना कई तरह के सवाल खड़े कर रहा है। ऐसे में आइए जानते हैं कि बीआरआई क्या है, इटली के बाहर निकलने के कारण और यह अभियान को कैसे प्रभावित कर सकता है।

इटली चीन की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड परियोजना से बाहर हो गया है। बीआरआई के तहत चीन के साथ इटली का समझौता मार्च 2024 में समाप्त हो रहा है और हाल ही में रोम से बीजिंग को एक पत्र भेजा गया था कि इसे नवीनीकृत नहीं किया जाएगा। इस प्रोजेक्ट के साथ इटली साल 2019 में जुड़ा था। खास बात ये है कि चीन की सबसे महत्वकांक्षी परियोजनाओं में से एक बीआरआई पर उस साल हस्ताक्षर करने वाला इटली एकमात्र प्रमुख पश्चिमी देश था। ऐसे में अब इस प्रोजेक्ट से इटली का पीछे हट जाना कई तरह के सवाल खड़े कर रहा है। ऐसे में आइए जानते हैं कि बीआरआई क्या है, इटली के बाहर निकलने के कारण और यह अभियान को कैसे प्रभावित कर सकता है।

 

BRI पर संशय का माहौल क्यों?

कई यूरोपीय देशों को पहले से ही चीन की मंशा पर शक है। अपने जीवनकाल में राष्ट्रपति बने रहने के लिए संविधान में संशोधन करने वाले शी जिनपिंग का तानाशाही रवैया दुनिया के सामने आ गया। कोरोना महामारी ने चीन को लेकर संदेह का माहौल पैदा कर दिया। यूक्रेन पर आक्रमण के बाद चीन ने रूस समर्थक रुख अपनाया। चीन का अमेरिका के साथ ट्रेड वॉर चल रहा है। चीन समय-समय पर ताइवान पर हमले की धमकी देता रहता है।

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वास्तव में बीआरआई क्या है?

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'बीआरआई' के नाम से मशहूर इस पहल को चीन में 'वन बेल्ट वन रोड' कहा जाता है। यह अभियान 2013 में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की विदेश नीति में एक केंद्रीय अवधारणा के रूप में शुरू किया गया था। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य दूसरे देशों में बुनियादी ढांचे के विकास में बड़े पैमाने पर निवेश करना है। 'बीआरआई' के तहत अब तक 150 से अधिक देशों या अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने निवेश किया है। बीआरआई देशों की संयुक्त जनसंख्या लगभग 75 प्रतिशत है और यह सकल राष्ट्रीय आय का आधा हिस्सा है। हालाँकि चीनी कंपनियों का मुनाफ़ा एक उद्देश्य है, लेकिन विश्व नेतृत्व की धुरी अमेरिका से हमारी ओर स्थानांतरित करने की चीन की मंशा छिपी नहीं है। चीन वैश्विक मामलों में नेतृत्वकारी भूमिका हासिल करने के लिए लगातार संघर्ष कर रहा है। इसीलिए बीआरआई की तुलना अमेरिका के 'मार्शल प्लान' से की जाती है।

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