जिम्मेदारो की लापरवाही के चलते आधे दर्जन से अधिक गोवंशो की मौत
गोवंश के जानकारी के लिए जब खंड विकास अधिकारी को फोन किया जाता है तो खंड विकास अधिकारी कहते हैं की खबर मत प्रकाशित करिएगा मैनेज करवा देंगे
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डी के गुप्ता रिपोटर
पचपेड़वा/बलरामपुर योगी सरकार में जहां गौ संरक्षण केंद्र के स्थापना को लेकर भाजपा सरकार द्वारा काफी प्रयास किये जाने की बात होती है। और गौ संरक्षण को लेकर उनके भोजन व इलाज के साथ अन्य व्यवस्थाओं में सरकार करोड़ों रुपए देकर गौशाला व्यवस्था देने के बड़े दावे करती है। लेकिन उसका सारा लाभ गौवंशों को न मिलकर जिम्मेदार अधिकारियों से लेकर गौशाला केंद्र संचालकों के साथ ठेकेदारों के बंदरबाट का भेंट चढ़ता दिखाई दे रहा है। यहां तक कि गौशाला केंद्रों के लिए जितनी व्यवस्था देने की बात होती है। उसका लाभ गौ आश्रय केंद्र में पल रहे गौवँशो को नही मिलता है। यहां तक कि गौशाला केंद्रों में गौवंश का चारा तक उपलब्ध नहीं होता जिसके कारण भूख से तड़प तड़प उनकी मौत हो जाती है। वही इलाज को लेकर भी यही खेल लगातार चल रहा है जंहा इलाज के आभाव के कारण ज्यादातर मौतें होती रहती रही है। जबकि कागजो में यहां का मौसम गुलाबी यहां के जिम्मेदारों के द्वारा बता कर उच्च स्तरीय जिम्मेदारो को संतुष्ट कर दिया जाता है।

जबकिं अगर गौशाला केंद्रों की जमीनीं हकीकत देखा जाय तो बद से बदतर तस्वीर कई गौशाला केंद्रों की देखी जा रही है ।यहां तक कि गौवंश के लिये बनाए गौशाला केंद्र मौतगृह साबित हो रहे हैं। जिसका कारण भूख और इलाज के अभाव में लगातार गौवंश अक्सर मरते हुए देखे जा रहे हैं। जबकिं यहां का मौसम हमेशा गुलाबी दिखता है कि बात होती है। लेकिन धरातल की जो तस्वीर सामने आती है वह समझने के लिए काफी है कि गौवँशो के संरक्षण की व्यवस्था किस स्तर पर पहुंच चुका है।
ताजा मामला जनपद बलरामपुर के विकासखंड पचपेड़वा के अंतर्गत आने वाले इमलिया कोडर का है जंहा पर इमलिया कोडर गौशाला केंद्र बनाया गया है लेकिन जो व्यवस्था देखी जा रही वह बेहद खराब हालत में है।वहां स्थित गौशाला केंद्र में चारा व इलाज के आभाव में पशुओ की स्थिति काफी दयनीय है। तस्वीर देखने के बाद ऐसा लगता है कि यह गौशाला नही पशुओं की मृत्युशाला साबित हो रहा है। क्योकि सूत्र की माने तो लगातार वहां पर गायों की बड़ी संख्या मरी हुई देखी जा रही है जिसको जंगली जानवर और कुत्ते नोच खा रहे हैं।
जब इसकी पुष्टि करने के लिए स्थानीय पत्रकार वहां पहुंचते है तो वहां का नजारा काफी भयावह दिखता है। कई गाय मृत पड़ी है हाल तो यह है किसी का आधा शरीर तो किसी का कुछ हिस्सा शरीर से गायब है । स्थानीय लोगों से जब इस सम्बंध में जानकारी ली जाती है तो उनका साफ कहना मेरा नाम न आये की शर्त पर जो बात बताई गई वह काफी चिंताजनक है।जंहा अक्सर गौशाला केंद्र में गायों की मृत्यु होती है जिसको जानवर खा जाते है । यहां तक कि उनको दफन भी यहां के कर्मचारी नही करते। जिसको लेकर जब विकासखंड पचपेड़वा के विकासखंड अधिकारी से बात की जाती है तो उनका जवाब यह होता है खबर मत लिखिये मैनेज करवा रहा हूं। अब सवाल यह उठता है कि जिस अधिकारी को व्यवस्था की जांच और कार्यवाही की जिम्मेदारी दी गई है वह इस तरह कहे बड़ी बात है।

इससे ही अंदाजा लगा सकते है कि बलरामपुर में भ्रष्टाचार की जड़ कितना गहरी है । वही जिम्मेदार अधिकारी जब यह कहे खबर मत लिखिये मै इसको मैनेज करवा रहा हूं अपने आप मे बड़ा सवाल है। वही योगी सरकार में जिले के जिम्मेदार अधिकारियों के द्वारा सरकार को बदनाम करने की बड़ी साजिश तो नहीं एक बड़ा सवाल क्या यही है गौशालाओ की सच्चाई वही जब मामले की जानकारी के लिए मुख्य विकास अधिकारी को किया गया लगातार दो बार फोन लेकिन फोन न उठने के उनका पक्ष नहीं मिल सका।

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