हैण्ड पंम्प मरम्मत व रिवोर के नाम पर जनपद मे करोड़ों का घोटाला
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बलरामपुर- जिले में इंडिया मार्का (2) हैंडपंप मरम्मत व रिबोर के नाम पर भारी घोटाला किया गया है परंतु इस संबंध में अधिकारी कर्मचारी सभी लोग तमाशाई बने बैठे हैं इससे शासन की योजनाएं धरातल पर नहीं उतर रही है बताते चलें कि बलरामपुर जनपद का अधिकांश हिस्सा नेपाल की पहाड़ियों से घिरा हुआ है ऊंचाई तथा जमीन के अंदर पथरेली सतह होने तथा जलस्तर काफी नीचे होने के कारण जनपद में हजारों की संख्या में इंडियामार्का टू हैंड पंप लगाया गया था इसका मुख्य कारण यहां के भूगर्भ में 25 से 70 फीट तक पाए जाने वाले पेयजल में फ्लोराइड व आर्सेनिक की मात्रा पाई जाती जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है सरकार ने आम जनता को शुद्ध पिय जल उपलब्ध कराने के लिए इन हैंड पंपों को लगवाया परंतु इसका घर दुरुपयोग भी हुआ जनपद के गांव में आबादी वाले स्थलों को छोड़कर खेत खलियान व आबादी से दूरी वाले स्थान पर भी लगा दिया गया इस संबंध में महेंद्र तिवारी अधिवक्ता उच्च न्यायालय लखनऊ जो तुलसीपुर विकासखंड के लोहे पनिया गांव के रहने वाले हैं.
जन सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के अंतर्गत तुलसीपुर विकासखंड में लगे हैंड पंपों के मरम्मत व रिवोर के संबंध में दिनांक 24 फरवरी 2024 को नियमानुसार जन सूचना मांगी थी जन सूचना में उल्लेख किया गया है कि प्रत्येक ग्राम में कुल कितने हैंडपंप है संदर्भित हैंड पंप में कुल कितने हैंडपंपों की दुर्ष्ति करण व कितने की रिबोर कराया गया है हैंडपंपों के मरम्मत व रिवोर के पश्चात निकले हुए निकले हुए अवशिष्ट सामग्री कबाड़ को कहां रखा गया अथवा कहां बेचा गया बिक्री युक्त कबाड़े से ग्राम सभाओं को कुल कितना लाभ हुआ तथा उसे कहां पर किया गया गौरतलब हो कि जनपद में सैकड़ो की संख्या में मांगी गई जन सूचना बाबुओ के अलमारियों में धूल फाक रही है इसी तरह अधिवक्ता तिवारी को भी सूचना प्राप्त नहीं प्राप्त हुई परंतु हैंड पंपों के मरम्मत रिवोर की लागत जो पोर्टल पर ऑनलाइन है.
उसे पर कई दिनों के मस्कत के बाद पता चला कि अकेले तुलसीपुर विकासखंड में हैंडपंप मरम्मत व रिबोर के नाम पर 7 करोड़ 42 लाख 248 रुपए सन 2016 से 2024 तक आहरित किया जा चुका है आश्चर्यजनक तत्थ यह है कि ग्राम स्वराज पटल पर मरम्मत युक्त व रिवोर सुधा हैंडपंपों का स्थल ही नहीं प्रदर्शित किया गया है उल्लेखनीय है कि बलरामपुर जनपद में 9 विकासखंड है सभी विकास करो का कमोबेश यही हाल है कुल लागत अलग-अलग विकास खण्डो में कुछ कम या कुछ अधिक हो सकती है इस हिसाब से जनपद में सन 2016 से सन 2024 तक घोटाले की रकम 50 करोड़ से अधिक हो सकती है इसकी उच्च स्तरीय जांच कराए जाने पर बहुत से सफेद पोस बेपर्दा होंगे इसके अलावा मरम्मत व रिबोर के पश्चात निकले अवशिष्ट कबाड़ को भी पता नहीं है जबकि ग्राम पंचायत में मएनुअल में प्रावधान है कि बेस्ट सामानों की नीलामी व बिक्री करके ग्राम पंचायत के विकास कार्यों में उपयोग किया जाए परंतु यहां कूट रचना कर बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा करते हुए घोटाला किया गया है इसके बावजूद जनपद के गांव में सैकड़ो हैंड पंप खराब पड़े हैं और लोग दूषित पानी पीने को विवश हैं
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