जिले में पहली बार शासनादेश को ताख पर रखकर सचिवों का किया गया स्थानांतरण

भ्रष्टाचार छुपाने के लिए ऐसा किया गया स्थानांतरण जिससे भ्रष्टाचारियों की कलई न खुले

जिले में पहली बार शासनादेश को ताख पर रखकर सचिवों का किया गया स्थानांतरण

स्वतंत्र प्रभात 
बस्तीl बस्ती जिले में पहली बार गोपनीय तरीके से किये गये ग्राम विकास अधिकारी / ग्राम पंचायत अधिकारी के स्थानांतरण को लेकर पूरे प्रदेश में तरह - तरह की चर्चाएं चल रही है । सरकारी  शासनादेश के अनुसार कोई अधिकारी / कर्मचारी किसी कार्यालय / एक स्थान पर लगातार 03 साल तक डियूटी कर सकता है और 03 वर्ष से अधिक का समय होने पर स्थानांतरण नीति के आधार पर अन्य किसी स्थान पर स्थानांतरण कर दिया जाता है लेकिन अबकी बार शासनादेश को ताख पर रखकर सचिवों का स्थानांतरण किया गया है अर्थात् शासनादेश का सीधे विपरीत सचिवों का स्थानांतरण किया गया है।
 
जिन सचिवों का 01 वर्ष से विकासखण्ड पर तैनाती है उन सचिवों का मनचाहा स्थानांतरण सुविधा शुल्क लेकर मनचाहा विकासखण्डों पर तैनाती किया गया है। जिन सचिवों का 05 वर्ष से एक ही विकासखण्ड पर तैनाती है उन सचिवों का स्थानांतरण रोकने के नाम पर मनचाहा सुविधा शुल्क वसूला गया है । स्थानांतरण नीति का अनुपालन न हो पाना शासन व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है।
 
 
 सूत्रों से पता चल रहा है कि सचिवों के स्थानांतरण में बहुत बड़े पैमाने पर लेन - देन करके मनचाहा स्थानांतरण किया गया है और सचिवों को सख्त निर्देश दिया गया है कि कहीं भी स्थानांतरण सम्बंधी कोई चर्चा नहीं होनी चाहिए नही तो स्थानांतरण की गोपनीयता भंग हो जायेगी। गोपनीयता भंग करने वाले सचिव के खिलाफ कार्रवाई होगी इसीलिए स्थानांतरित सचिवों ने दिन भर में ज्वाइनिंग कर लिया और शान्ति पूर्वक अपने डियूटी पर लग गए हैं।
 
10 दिन बीतने के बाद भी मीडिया तक सचिवों के स्थानांतरण की सूची नही पहुंच पाई है। मीडिया से सचिवों के स्थानांतरण सूची को दूर रखना ही सबसे बड़ा भ्रष्टाचार का संकेतक है। यदि अधिकरियों द्वारा मनमानी तरीके से स्थानांतरण में खेल किया जायेगा तो ग्राम पंचायत में भ्रष्टाचार घटने के शिवाय भ्रष्टाचार में वृद्धि होगी और प्रदेश सरकार की छवि धूमिल होगी ।

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