मुख्तार की मौत: राजनीतिक संरक्षणदाताओं का विधवा विलाप !
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मनोज कुमार अग्रवाल
स्वतंत्र प्रभात
यूपी के बांदा जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे माफिया मुख्तार अंसारी की ह्रदयाघात से मौत पर काफी सवाल उठाए जा रहे हैं । कभी दहशत और आतंक का पर्याय बना अपराध की दुनिया के बेताज बादशाह मुख्तार को पिछले तीन साल से मौत का भय सता रहा था जवानी की दहलीज पर कदम रखते ही संगीन हत्या को अंजाम देकर जरायम की दुनिया में कदम रखने वाले मुख्तार को लगातार इस बात का अहसास हो रहा था कि मौत दबे पांव उसकी ओर बढ़ी आ रही है पंजाब की जेल से बांदा यूपी की जेल में सख्त निगरानी में आते ही मुख्तार का सुख और मनमानी का समय हवा हो गया जिस पैसे ताकत और राजनीतिक संरक्षण के बूते पर उसने अपना आतंक का साम्राज्य स्थापित किया था वो अब उसके पहुंच से दूर जा रहे थे।
गाजीपुर में मुख्तार अंसारी के परिवार की पहचान एक प्रतिष्ठित राजनीतिक खानदान की है. पहली बार मुख्तार ने अपराध की दुनिया में साल 1988 में कदम रखा था. 25 अक्टूबर 1988 को आजमगढ़ के ढकवा के संजय प्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना सिंह ने मुख्तार अंसारी के खिलाफ हत्या की कोशिश का मुकदमा दर्ज कराया था. हालांकि, अगस्त 2007 में इस मामले में मुख्तार दोषमुक्त हो गया थामुख्तार अंसारी की अपराध की कुंडली ऐसी थी कि जानकर रोंगटे खड़े हो जाएं, और इस अपराध की आड़ में उसने अकूत दौलत बनाई. उनके खिलाफ कुल 155 एफआईआर दर्ज की गईं।
देशभर के आठ राज्यों दिल्ली, पंजाब और उत्तर प्रदेश में मुख्तार अंसारी पर कुल 65 मामले दर्ज हैं. मुख्तार अंसारी पर हत्या, लूट, डकैती, अपहरण, रंगदारी, गैंगस्टर, रासुका जैसी विभिन्न जघन्य प्रकृति के अपराधों के ये मुकदमे हैं. इनमें पंजाब में एक और दिल्ली में तीन मुकदमे दर्ज हैं. बाकी मुकदमे उत्तर प्रदेश के गाजीपुर, वाराणसी, आजमगढ़ और मऊ सहित अन्य जिलों में दर्ज हैं. 19 साल से जेल में बंद मुख्तार अंसारी को पिछले डेढ़ सालों में आठ मामलों में सजा हो चुकी थी।
मुख्तार के सबसे ज्यादा चर्चित मामलों में गाजीपुर में भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या.मन्ना हत्याकांड के गवाह रामचंद्र मौर्य की हत्या.फर्जी तरीके से शस्त्र लाइसेंस लेने का केस.कांग्रेस के नेता अजय राय के भाई अवधेश राय की हत्या.मऊ में ए श्रेणी ठेकेदार मन्ना सिंह हत्याकांड.रामचंद्र मौर्य के बॉडी गार्ड सिपाही सतीष का मर्डर.26 फरवरी 1996 को गाजीपुर में ASP शंकर जायसवाल पर जानलेवा हमला.1997 में पूर्वांचल के सबसे बड़े कोयला कारोबारी रूंगटा को अगवा करने का आरोप।
रिपोर्ट्स के मुताबिक यूपी पुलिस के रिकार्ड में , 1988 में मुख्तार अंसारी का नाम क्राइम की दुनिया में पहली बार आया. मंडी परिषद की ठेकेदारी को लेकर स्थानीय ठेकेदार सच्चिदानंद राय की हत्या के मामले में मुख्तार का नाम सामने आया. इसके बाद मुख्तार ने कभी जरायम की दुनिया पीछे मुड़कर नहीं देखा. 90 के दशक से लेकर अब तक मुख्तार पर 65 मुकदमे दर्ज हुए. यूपी के गाजीपुर, वाराणसी, चंदौली, आजमगढ़, मऊ, सोनभद, लखनऊ, बाराबंकी और आगरा में लूट, डकैती, अपहरण, रंगदारी और हत्या से संबंधित धाराओं में मामले दर्ज हुए. इनमें सबसे ज्यादा मामले उसके गृह जिले गाजीपुर में दर्ज हैं. आठ मुकदमे ऐसे हैं, जो मुख्तार अंसारी के जेल रहने के दौरान दर्ज किए गए थे।
कांग्रेस नेता अवधेश राय देश की 3 अगस्त 1991 को बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। 33 साल पहले हुए हत्याकांड ने यूपी में दहशत पैदा कर दी थी और मुख्य आरोपी के रूप में पहचान मुख्तार अंसारी की हुई। ये घटना वाराणसी के चेतगंज थाना क्षेत्र के लहुरा पीर इलाके में हुई थी।दूसरी सबसे चर्चित व दहलाने वाला मामला कृष्णानंद राय हत्याकांड है।
एक पदस्थ विधायक की अंसारी ने अपने शूटरों से हत्या करवा दी थी, 400 से ज्यादा गोलियां चली थीं,एके-47 का इस्तेमाल किया गया था इस को बाद में बरामद किया गया। उस हत्याकांड में कुल 6 लोगों को मुख्तार अंसारी के आदमियों ने मौत के घाट उतार दिया था। इस रंजिश की कहानी साल 2002 में शुरू हुई थी। तब गाजीपुर जिले की मोहम्मदाबाद सीट पर सबसे बड़ा सियासी खेल हुआ था। जिस सीट को मुख्तार अंसारी का गढ़ माना जाता था, वहां से बीजेपी के कृष्णानंद राय ने बड़ी जीत हासिल की थी।
आपको बता दें कि 1990 के दशक में मुख्तार अंसारी ने अपना गैंग बना लिया. उसने कोयला खनन, रेलवे जैसे कामों में 100 करोड़ का काला कारोबार खड़ा कर लिया. फिर वो गुंडा टैक्स, जबरन वसूली और अपहरण के धंधे में आ गया था। उसका सिंडिकेट मऊ, गाजीपुर, बनारस और जौनपुर में एक्टिव था. पूर्वांचल में उस वक्त दो बड़े गैंग थे- ब्रजेश सिंह और मुख्तार अंसारी गैंग।दोनों में वर्चस्व की जंग थी मुख्तार अंसारी पर हत्या, हत्या के प्रयास, धमकी, धोखाधड़ी और कई अन्य आपराधिक कृत्यों में कुल 65 मामले दर्ज थे. इनमें से 18 मामले हत्या के थे.
लेकिन इसके अलावा मन्ना हत्याकांड के गवाह रामचंद्र मौर्य की हत्या, मऊ में ए श्रेणी ठेकेदार मन्ना सिंह हत्याकांड, 1996 में गाजीपुर के एसपी शंकर जायसवाल पर जानलेवा हमला करना, 1997 में पूर्वांचल के सबसे बड़े कोयला कारोबारी रुंगटा का अपहरण, ये कुछ ऐसे जुर्म थे जिन्होंने प्रदेश को मुख्तार के आतंक से दहला दिया था। उसके खिलाफ लखनऊ, गाजीपुर, चंदौली, वाराणसी, सोनभद्र, मऊ, आगरा, बाराबंकी, आजमगढ़ के अलावा नई दिल्ली और पंजाब में भी मुकदमे दर्ज थे. अंसारी के खिलाफ 2010 में कपिल देव सिंह की हत्या और 2009 में उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में मीर हसन नामक व्यक्ति की हत्या के प्रयास मामले में आरोप साबित हो चुके थे। अक्टूबर 2005 में मुख्तार अंसारी पर मऊ जिले में हिंसा भड़काने का आरोप लगा. इसी दौरान मुख्तार अंसारी ने गाजीपुर पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया था।
2017 में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद ऐसे अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई शुरू हुई तो पुलिस और कानून का इकबाल बुलंद हुआ और अदालत ने अपना काम शुरू किया नतीजतन उसे की मामलों में सजा सुनाई गई।पंजाब की रोपड़ जेल से अपने गैंग को संचालित कर शान शौकत से जेल को आरामगाह बना चुके मुख्तार को वहां से बांदा जेल लाया गया और कड़ी निगरानी में रखा गया। योगी सरकार के शासन में उसकी करीब छह सौ करोड़ की सम्पत्ति भी जब्त की जा चुकी है।
आपको बता दें कि मुख्तार की मौत पर परिवार से लेकर तमाम विपक्षी दल भी सवाल उठा रहे हैं, जिसके बाद इस मामले की न्यायिक जांच के आदेश दे दिए गए हैं. इस मामले में एक महीने के अंदर रिपोर्ट जमा करानी होगी। बांदा कोर्ट के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट भगवान दास गुप्ता ने मुख्तार अंसारी की मौत की न्यायिक जांच के आदेश दिए है. इस मामले की जांच के लिए अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट गरिमा सिंह को जिम्मेदारी दी गई है. प्रशासन को मुख्तार अंसारी के इलाज से लेकर तमाम जानकारियां तीन दिन में उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं. एक महीने के अंदर जांच रिपोर्ट देनी होगी।
मुख्तार अंसारी के परिवार की ओर से इस मौत को लेकर कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं. परिजनों ने जेल प्रशासन पर उन्हें धीमा जहर दिए जाने का आरोप लगाया है. इससे पहले कोर्ट में पेशी के दौरान मुख्तार अंसारी ने भी ऐसे ही आरोप लगाए थे. जिसके बाद से इस मामले पर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं।दूसरी तरफ कई विपक्षी दल भी इसे लेकर प्रदेश सरकार को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव बसपा सुप्रीमो मायावती एआइएमआइएम के प्रमुख असदुददीन औवेसी आदि ने मुख्तार की मौत को संदिग्ध बताते हुए कानून के शासन पर अंगुली उठाई है। हालांकि तमाम रिकार्डिग और पोस्टमार्टम रिपोर्ट हार्टअटैक से मौत की पुष्टि कर रहे हैं।
दहशत और आतंक के एक पहरूए का अंत हो गया है इस मौत को कुछ राजनीतिक रोटियां सेकने के ईच्छुक राजनीतिक दलों के नेता मुख्तार को धीमा जहर देने और उसकी मौत के पीछे साजिश की आशंका व्यक्त कर प्रदेश की योगी सरकार के खिलाफ बयान बाजी कर रहे हैं लेकिन इनमें ज्यादातर वहीं लोग हैं जिनका इस तरह के बड़े अपराधी माफियाओं पर हाथ रहा जिनके संरक्षण में अतीक मुख्तार मुन्ना बजरंगी जैसे दुर्दांत अपराधी माफिया पनपते रहे और प्रदेश में दहशत और अपराध का बोलबाला कायम हुआ था ।
मनोज कुमार अग्रवाल
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)
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