पाकिस्तान सरकार इमरान की पार्टी पर बैन लगाएगी- राजद्रोह में शामिल होने का आरोप
पाकिस्तान और PTI एक साथ नहीं रह सकते- बोली सरकार
International Desk
सरकार ने ये फैसला उस वक्त किया है जब PTI के फाउंडर और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान एक साल से जेल में हैं। 2 दिन पहले इमरान खान इद्दत मामले में बरी होने के बाद सभी मामलों में रिहा हो गए थे। लेकिन वे जेल से बाहर आ पाते इसके पहले ही NAB की टीम ने उन्हें एक और मामले में जेल से गिरफ्तार कर लिया था। खान के साथ उनकी पत्नी बुशरा बीबी को भी जेल से ही गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें तोशाखाना से जुड़े नए मामले में गिरफ्तार करने नेशनल अकाउंटेबिलिटी (NAB) की टीम अडियाला जेल पहुंची थी।
सबसे ज्यादा सीटें जेल में रहकर भी जीतीं
पाकिस्तान में 8 फरवरी को आम चुनाव हुए। इनसे पहले खान को एक के बाद एक लगातार 3 मामलों में दोषी करार दे दिया गया था। इससे वे चुनाव में हिस्सा नहीं ले पाए थे। चुनाव से पहले उनका पार्टी चुनाव चिह्न छीन लिया गया था। पार्टी के सभी नेता निर्दलीय चुनाव लड़े थे। इसके बावजूद खान की पार्टी PTI के समर्थकों को पाकिस्तान की नेशनल असेंबली की 342 सीटों में से 93 सीटें मिलीं।
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इमरान खान पर 100 से ज्यादा मामले चल रहे हैं। इस्लामाबाद की स्थानीय कोर्ट ने उन्हें 5 अगस्त, 2023 को तोशाखाना के केस में दोषी करार दिया था। इसके बाद उन्हें इस्लामाबाद के जमान पार्क स्थित उनके घर से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था। बाद में उन्हें 2 और मामलों में दोषी करार दिया गया था। अंग्रेजी अखबार डॉन के मुताबिक, अगर इमरान जेल से बाहर आते हैं तो, वे पाकिस्तान में दोबारा चुनाव की मांग को उठाएंगे।
इस साल हुए आम चुनाव में इमरान की तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी आधिकारिक तौर पर हिस्सा नहीं ले पाई थी। इमरान खान के एक्स (ट्विटर) अकाउंट पर 5 जुलाई को हुई एक पोस्ट में इस साल 8 फरवरी को हुए आम चुनावों को फर्जी बताया गया था। ऐसे में शहबाज सरकार या फौज नहीं चाहेगी की खान किसी भी कीमत पर रिहा हों।
पेशावर उच्च न्यायालय का फैसला रद्द
इमरान खान (71) की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के लिए एक बड़ी कानूनी जीत में प्रधान न्यायाधीश काजी फैज इसा के नेतृत्व वाली शीर्ष अदालत की 13 सदस्यीय पूर्ण पीठ ने पेशावर उच्च न्यायालय के फैसले को रद्द कर दिया है। पेशावर उच्च न्यायालय पाकिस्तान के निर्वाचन आयोग द्वारा नेशनल असेंबली और प्रांतीय विधानसभाओं में आरक्षित सीट में पार्टी को हिस्सा देने से इनकार करने के कदम को बरकरार रखा था। पीठ ने निर्वाचन आयोग के फैसले को भी “अमान्य” घोषित करते हुए इसे “पाकिस्तान के संविधान के खिलाफ” करार दिया।

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