जीवन सुरक्षित रखने के लिए करें श्रीअन्न का प्रयोग-पद्मश्री डॉ. खादर वली

जीवन सुरक्षित रखने के लिए करें श्रीअन्न का प्रयोग-पद्मश्री  डॉ. खादर वली

मिल्कीपुर ,अयोध्या। अमृतकाल में भारत का स्वास्थ्य एवं आहार परंपरा विषय पर कृषि विश्वविद्यालय कुमारगंज में आयोजित कार्यक्रम का उद्घाटन पद्मश्री डॉ. खादर वली मिलेट्स मैन ऑफ इंडिया, सभापति स्वास्थ्य संसद कुलपति डॉ. बिजेंद्र सिंह, पूर्व राज्यसभा सांसद डॉ. आर.के सिन्हा, अयोध्या मेयर महंत गिरिश पति त्रिपाठी और आयुर्वेदाचार्य डॉ. हितेश चंद्र ने जलभरो कार्यक्रम प्रस्तुत कर किया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पद्मश्री डॉ. खादर वली ने संबोधित करते हुए  कहा कि हमारे शरीर में बीमीरियों का मूल कारण आहार है। उन्होंने कहा की वर्तमान समय में हमारे शरीर में एक साथ कई बीमारियां हैं। डायबिटिज, ब्लडप्रेशर, थायराइड, मेंटली परेशानी आदि बीमारी से मनुष्य जूझ रहा है। उन्होंने कहा कि आज के समय में मनुष्य स्वास्थ्य के लिए नहीं बल्कि अस्पताल के लिए कार्य कर रहा है। डॉ खादर वली ने खाद से तैयार अनाज का सेवन मनुष्य कर रहा है जिसके कारण खून का संतुलन लगातार बिगड़ रहा है और कई प्रकार की बीमारियां उत्पन्न हो रहीं हैं। मनुष्य अगर रागी, सांवा, कोदो, ज्वार, बाजरा, पुटकी का सेवन करे तो सुगर, बीपी और थायराइड जैसी बीमारी को छह महीने के अंदर दूर कर सकता है। श्रीअन्न का प्रयोग कर गाढ़े खून के संतुलन को सही रख सकते हैं। 

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे पूर्व राज्यसभा सांसद डा.आर. के सिन्हा ने कहा कि शरीर को स्वस्थ रखने के लिए इम्युनिटी सिस्टम और संतुलन को सही रखना होगा। वर्तमान समय में हार्मोनल संतुलन नहीं होने के कारण महिलाएं अधिकतर अस्वस्थ रहतीं हैं। उन्होंने कहा कि शरीर को स्वस्थ रखना है तो बाजारों और डेरी के दूध को त्यागना होगा। रिफाइंड तेल का प्रयोग हमारे शरीर के लिए बहुत हानिकारक है और कोल्हू का शुद्ध तेल खाने में प्रयोग करें।
 मेयर महंत गिरिश पति त्रिपाठी ने कहा कि शरीर को स्वस्थ रखने के लिए शाम के समय भोजन नहीं करें और पौष्टिक आहार का प्रयोग करें। 
आयुर्वेदाचार्य डॉ. हितेश चंद्र अमृत काल पर व्यंग करते हुए कहा कि मिट्टी,पानी, हवा और दूध सब जहरीला है तो अमृत किस बात का। उन्होंने कहा कि अन्न को ही ब्रह्म मानकर प्रकृति के अनुसार ग्रहण करें। मनुष्य को ऋतु बुक, मित्र बुक और अल्प बुक होना चाहिए।  

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