नैनी सेंट्रल जेल से फरार बंदी की दिल्ली में मिली लोकेशन,।

 भेजी गई पुलिस टीम!

 नैनी सेंट्रल जेल से फरार बंदी की दिल्ली में मिली लोकेशन,।

प्रयागराज। नैनी सेंट्रल जेल से फरार सजायाफ्ता बंदी कालीचरण उर्फ बऊआ लगातार अपना ठिकाना बदल रहा है। अब,उसकी लोकेशन दिल्ली में मिली है। इसका पता चलने के बाद फरार बंदी की गिरफ्तारी के लिए पुलिस की टीम दिल्ली भेजी गई है। इससे पहले कालीचरण महोबा उसके बाद बांदा पहुंचा था, जहां उसकी घेरेबंदी की गई, लेकिन वह बांदा से निकलने में कामयाब रहा। उसकी लोकेशन के अनुसार माना जा रहा है कि बंदी ट्रेन के जरिए सफर कर रहा है। इसको लेकर जीआरपी की भी मदद ली जा रही है।
 
महोबा जिले के कोतवाली क्षेत्र के सारा गांव निवासी कालीचरण नौ दिन पहले नैनी जेल की 20 फीट ऊंची दीवार फांदकर फरार हो गया था। उसे सामूहिक दुष्कर्म के मामले में 20 साल की सजा हुई है। नैनी जेल में निरुद्ध किया गया था। मगर उसकी फरारी से जेल प्रशासन में हड़कंप मच गया था। नैनी थाने में मुकदमा दर्ज करने के बाद पुलिस की चार टीमें गिरफ्तारी के लिए लगाई गई, लेकिन अब तक वह पकड़ में नहीं आया। नैनी इंस्पेक्टर वैभव सिंह का कहना है कि पुलिस टीम दिल्ली भेजी गई है। टीम लगातार संभावित स्थानों पर दबिश डाल रही है।
 
सजायाफ्ता बंदी कालीचरण के फरार होने के बाद जेल प्रशासन की सुरक्षा-व्यवस्था पर तमाम सवाल उठ रहे थे। आशंका जताई गई थी कि महिला बैरक और जेल की बाहरी दीवार के बीच स्थित पेड़ की मदद से कैदी भागा होगा। इसी आधार पर जेल प्रशासन ने पेड़ को कटवा दिया और चरी की फसल को भी पूरी तरह से साफ करवा दिया गया। वरिष्ठ जेल अधीक्षक रंग बहादुर पटेल का कहना है कि महिला बैरक के समीप उगे पेड़ को कटवा दिया गया है।
 
सेंट्रल जेल में क्षमता से कम बंदियों के रहने की वजह से इन दिनों शासन के आदेश पर लगातार अन्य जेलों से सजायाफ्ता बंदियों को यहां स्थानांतरित किया जा रहा है। रविवार को चित्रकूट जेल से 40 बंदियों को यहां भेजा गया। बताया गया है कि सेंट्रल जेल में लगभग 2200 बंदियों के रहने की क्षमता है। जिला जेल का संचालन शुरू होने से पहले यहां क्षमता से दोगुने बंदी रहते थे।
 
अब संख्या बढ़ाने के लिए शासन द्वारा अन्य जेलों से यहां सजायाफ्ता बंदियों को भेजने की कार्रवाई चल ग्दी है। चित्रकूट से बंदी आने के बाद सेंट्रल जेल में बंदियों की रु 341 से 1381 हो गई है। यहां से 418 विचाराधीन बंदियों का स्थानांतरण जिला जेल में किया जाना है।
 
 

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