डीएम की हिदायत के बाद जारी ओवरलोडिंग, अवैध खनन परिवहन
खनिज अधिकारी, राज्स्व व क्षेत्रीय पुलिस के संरक्षण में जारी है बेखौफ खनन।
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बेंदा, मरौली-5 , मड़ौली व अन्य खदानों में अवैध खनन परिवहन व ओवरलोडिंग ने पकड़ी रफ्तार।
बांदा - जनपद में मानसून सत्र की समाप्ति के बाद शुरू हुआ खनन करोबार एकबार फिर से नदियों के मूलस्वरूप को छिन्न-भिन्न कर पर्यावरण को दूषित कर रहा है। जिसके लिए प्रदेश की भाजपा सरकार ने तेजतर्रार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में पर्यावरण सन्तुलन के साथ राजस्व पूर्ति उद्देश्य को पूरा करने के लिए खनन नीति में अमूल चूल परिवर्तन किया और ई टेंडर प्रक्रिया से नदी तल पर जमा मोरम बालू के छोटे छोटे खंड बनाकर नीलामी की गई।
लेकिन पट्टाधारकों, प्रशासनिक अधिकारियों व नेताओं की जुगलबंदी ने पूरे नियमों कानून को धता बताकर पूर्व वर्ती सरकारों के जैसे अप्रत्यक्ष सिंडीकेट का जाल बनाकर दैत्याकार हैवीवेट मशीनरी के साथ लगातार खनन जारी रखा है। एनजीटी नियमों, प्रदूषण नियंत्रण व अन्य नियमों का पालन खाली एग्रीमेंट स्टाम्प पेपर में लिखा गया धरातल पर नीलामी दर से दस गुना अधिक दरो पर रव्वनै या एनआर तय मानक से चार से पांच गुना अधिक खनिज वाहनों में बालू भरकर खदानों से विक्री जारी है। जिसमें दिखावे के लिए लगें धर्म कांटे व हाई-फाई पी जेड सीसीटीवी कैमरे मानों सफेद हांथी की तरह मौजूद हैं।
जनपद में डीएम के कमान संभालने के कुछ समय बाद शुरू हुआ खनन पर उनके द्वारा दिए गए कड़े दिशा-निर्देशों का असर शुरुआत में दिखाई दिया। जिसके फलस्वरूप खनिज, राजस्व, परिवहन व पुलिस की संयुक्त टीम ने सभी संचालित खदानों का निरीक्षण किया और कुछ पर लाखों का जुर्माना लगाया। वहीं शहरी जनों में आम चर्चा हो गई की अब खनिज माफियाओं की खैर नहीं अवैध खनन परिवहन व ओवरलोडिंग की रफ्तार को डीएम की सख्ती से ब्रेक लग जाएगा।
लेकिन उसके विपरीत चिल्ला थाना अंतर्गत बेंदा खदान, पैलानी तहसील अन्तर्गत मंडोली व सदर तहसील थाना मटौंध अन्तर्गत मरौली खंड 5 खनिज विभाग, परिवहन, क्षेत्रीय राजस्व व क्षेत्रीय पुलिस की धृतराष्ट्र नीति के कारण खनन, प्रदूषण व एनजीटी नियमों को तार-तार कर नदियों की कोख को उजाड़ रहे है। जिसके लिए मीडिया ठेकेदारों को एक्टिव कर गली चौराहे पर नीलामी का ठेका दिया है। जिलाधिकारी को खनिज अधिकारी पूर्व की जुर्माना व निरीक्षण कार्यवाही को दिखाकर लगातार खनिज माफियाओं के एजेंट के रूप में कार्य कर रहे हैं।
हद जब हो जाती है जब कोई जिम्मेदार पत्रकार खनिज सम्बंधित किसी भी जानकारी के लिए खनिज अधिकारी अर्जुन फोन काल करते हैं तो काॅल उठाना या वापस करना भी जरूरी नहीं समझते। जबकि बार बार मुख्यमंत्री व आलाकमान द्वारा चेतावनी दी गई है कि सीयुजी फोन को उठाकर हर संभव मदद या निदान करना उनकी जिम्मेदारी है। लेकिन जनपद में बैठे खनिज अधिकारी पर प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री के आदेश नहीं लागू होता है। इसी तर्ज पर खनिज विभाग जिलाधिकारी की सख्ती को दरकिनार कर अवैध खनन व ओवरलोडिंग की रफ्तार को रोकने में रूचि नहीं रखते।
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