मरौली खण्ड में पांच में नहीं थम रहा अवैध खनन का सिलसिला
- किसानों फसल रौंदने के बाद भी दबंगई के बल पर जारी है अवैध खनन कार्य
- फसल खराब होने से सदमें में है चटगन के पीड़ित किसान, भाकियू के प्रदर्शन के बाद भी नहीं हुई काई कार्यवाही
बांदा। जब सैंया भये कोतवाल को डर काहे का की कहवात मरौली खण्ड पांच के खनन कारोबारी पर सटीम बैठती नजर आ रही हैं। यही वजह है कि खनिज सहित जिम्मेदार अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त होने की वजह से सारे नियमों को अपने पैरों तले रौंदकर मरौली खण्ड पांच का खनन कारेाबारी जमकर अवैध खनन की मलाई खाने में लगा हुआ है। कनपुरिया खनन कारोबारी का खनन महकमे सहित जिम्मेदार अधिकारियों में इतनी पैठ है कि केन नदी की जलधारा में मनमाने तरीके से अवैध खनन करने के बाद अपने काले कारनामे को छिपाने के लिए किसानों की फसलों को चौपट कर दिया।
इस बात से दुखी किसानों ने जब खदान संचालक से फरियाद की तो उनको जानमाल की धमकी देकर चलता कर दिया गया। इसके बाद भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक के बैनर तले किसान नेताओं ने किसानों समस्या से जिलाधिकारी को अवगत कराने के बाद भी मरौली खण्ड पांच में कोई कार्यवाही न होना जिम्मेदारों की कार्यशैली पर सवालिया निशाल लगा रही है। खनिज सहित जिम्मेदारों के सबकुछ जानते हुए भी कुछ न करने की वजह लोगों के बीच में चर्चा का विषय बनी हुई है। बताते चलें कि मंगलवार को जिलाधिकारी को दिये ज्ञापन में भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक के मण्डल अध्यक्ष बलराम तिवारी ने बताया है कि मरौली खण्ड संख्या पांच के बालू माफियाओं द्वारा मानक विरूद्ध दबंगई के बल पर अवैध खनन कार्य करते हुए बालू की निकासी की जा रही है।
इन खनन माफिया द्वारा किसानों की फसलों को नष्ट कर दिया है। दो दिन पूर्व मरौली खण्ड संख्या पांच में छापेमारी के पूर्व ही तक्कों सूचना पर मरौली खण्ड पंाच के खदान संचालक द्वारा प्रतिबंधित पोकलैण्ड मशीनों को नदी पार करके ग्राम पंचायत चटगन में किसानों की खड़ी फसलों को रौंदते हुए खेतों में घुसेड़ दी गयीं थीं।जिससे किसान शिवबरन निषाद व राजबहादुर आदि सहित कई किसानों की कई बीघे सरसों की फसलें नष्ट हो गई। घटना की रात्रि में की गई थी। लेकिन सुबह जब किसानों ने अपनी बर्बाद फसलें देखीं तो किसानों ने खदान संचालक की शिकायती की जिस पर उनको खंदान संचालकों द्वारा जान-माल की धमकी देकर भगा दिया गया। जिससे किसान भयभीत हैं।
किसानों ने यह भी बताया कि खदान संचालक द्वारा नदी की जलधारा में नियमों के विरूद्ध बालू का अवैध खनन किया जा रहा है। जिससे केन नदी की अस्तित्व पर खतरे के बादल मण्डराने लगे हैं। यदि अवैध खनन कार्य न रूका तो निकट भविष्य में नदी की जलधारा समाप्त हो जायेगी। जिससे गांवों की जनता को पानी के लिए तरसना पड़ेगा। वहीं किसानों ने मामले की जांच कर बालू माफिया के खिलाफ कार्यवाही करने की मांग व किसानों की व किसानेां की फसलों का मुआवजा दिलाये जाने की मांग की है। लेकिन एक दिन बीतने के बाद भी किसानों के ज्ञापन का कोई असर ना तो खनन कारेाबारी पर पड़ा और ना ही जिम्मेदार अधिकारियों ने कोई कार्यवाही रही। अब तो किसान भी दबी जुबान यही कहते नजर आ रहे हैं कि फसल नष्ट होने से यदि उनको समय से मुआवजा नहीं मिला तो उनका परिवार भुखमरी का शिकार हो जायेगा।
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