भ्रष्टाचार की मशीन बनी नगर पालिका
ड्रीम प्रोजेक्ट में भी अधिकारी तलाश रहे हितलाभ, ठेकेदार के बचाव में जुटा पूरा महकमा
भ्रष्टाचार की मशीन बनी अकबरपुर नगर पालिका
स्वतंत्र प्रभात
अम्बेडकरनगर। सब कहते हैं चाँद में दाग है तो वैसे ही सरकार की नीतियों में अकबरपुर नगर पालिका परिषद भी एक दाग बनी है। यह दाग हैं इस नगर पालिका परिषद के जिम्मेदार करता धरता।
जी हां बात चल रही है अकबरपुर नगर पालिका के भ्रष्टाचारी अधिकारियों व ठेकेदारों की। जिनकी हठधर्मिता के आगे सरकार भी बौनी साबित हो रही है। इस पालिका के भ्रष्ट अधिकारियों व ठेकेदारों की हठधर्मिता का बखान जितना किया जाए उतना ही कम है।
जगह जगह कूड़े का ढेर लगवाने वाले ये जिम्मेदार अधिकारी अब ठेकेदारों के साथ मिलकर इस कदर भ्रष्टाचार पर उतर आए हैं कि सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट को भी पलीता लगाने से बाज नहीं आ रहे हैं।
बताते चलें कि सरकार की एक ड्रीम प्रोजेक्ट वंदन योजना है। जिसके अंतर्गत धार्मिक स्थलों पर सौंदर्यीकरण एवं अन्य निर्माण कार्य कराए जाते हैं। उसमें भी नगर पालिका परिषद अकबरपुर के अधिकारियों द्वारा अपना हितलाभ तलाशने में कोई कसर नहीं छोड़ा गया है। जिसका हस्र यह हुआ कि गत दिनों शिवबाबा धार्मिक स्थल पर बनी आरसीसी सड़क में पन्द्रह दिन भी नहीं बीते कि जगह जगह दरार पड़ गई।
जिसके बाबत खबर चलने पर जागी नगर पालिका ने आनन फानन में दरार भरने की कवायद शुरू की और दूसरे दिन ही सभी दरारों का लेपन कर दिया गया। अपितु लगाया गया लेप दो दिन भी नहीं टिक सका उक्त आरसीसी रोड में पुनः दरारें दिखने लगी। जिसे पुनः लेप लगाकर भरने का प्रयास किया जा रहा है। लेकिन भ्रष्टाचारी अधिकारी असली वजह तलाश कर सुधार करने के बजाय थूक लगाकर जीवित करने वाला कार्य करने में लगे हैं। इसी प्रकार से भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी वंदन योजना अन्तर्गत नवनिर्मित आरसीसी सड़क अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रही है।
नगर पालिका परिषद अकबरपुर द्वारा लगभग एक करोड़ रुपए खर्च कर लगभग तीन हेक्टेयर जमीन खरीद कर बनाए गए कूड़ा डंपिंग ग्राउंड एवं लाखों लाख रुपए खर्च करके निर्मित किए गए एमआरएफ सेन्टर होने के बावजूद नगर में कई स्थानों पर कूड़े के ढेर देखने को मिल ही जाएंगे। यहीं तक नगर पालिका के कर्मचारियों का कारनामा सीमित नहीं है। जहां मन किया वहां कूड़ा जलाकर उसके विषाक्त धुएं से मच्छर भगाने में भी पीछे नहीं रहते।
मानो कि नगर पालिका परिषद अकबरपुर की आदत में शुमार हो गया है कि सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट को पलीता लगाना ही है। शिवबाबा धार्मिक स्थल पर वंदन योजना अन्तर्गत हो रहे सौंदर्यीकरण के भ्रष्टाचार की कलई ढकी भी नहीं कि दूसरा ड्रीम प्रोजेक्ट कान्हा गौशाला मोहल्ला ऊंचेगांव वार्ड गौसपुर में हो रहे निर्माण कार्य में भरपूर घपले बाजी सामने आई। यहां तो दाल में काला नहीं बल्कि पूरी दाल ही काली है।
इस गौशाला के निर्माण में दीवाल की जोड़ाई में लगने वाले मटेरियल में दोयम दर्जे की ईंट तो लग ही रही है लेकिन उससे कहीं ज्यादा घटिया किस्म का मोरंग उपयोग करते हुए देखा गया। वह भी आधी सफेद बालू के साथ। निर्माणाधीन गौशाला में दीवाल की चुनाई में लगाए जाने वाले मसाले के अनुपात के बारे में काम कर रहे मजदूर से पूछने पर उसके द्वारा दबी जुबान से यह बताया गया कि सात तसला सफेद बालू, पन्द्रह तसला लाल बालू (मोरंग) एवं डेढ़ बोरी सीमेंट एक बार मिलाई जाती है।
अब जिम्मेदार अधिकारी तो इतना समझदार स्वयं है यह बता सकते है कि यह कार्य उचित है या अनुचित। फिलहाल जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा यह बताने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाती है कि जांचकर उचित कार्यवाही की जाएगी। अब कितनी कार्रवाई होगी यह भविष्य के गर्त में है।
क्रमशः.....
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