खीरी जमीन घोटाले के सीएम पोर्टल पर शिकायत
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कब्रिस्तान, रास्ता और राजा बी एन डी सिंह की जमीन पर अवैध कब्जा करके नियम विपरीत बगैर भूमि आकर्षिक कराए तथा लेआउट पास कराये बगैर जमीन का डेवलपमेंट कराए बिना की जा रही अवैध प्लाटिंग के विरुद्ध कार्यवाही एवं अवैध कब्जा छुडाये जाने की मांग।
लखीमपुर खीरी भले ही जमीन की पैमाइश न करने के मामले का संज्ञान लेते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने जनपद के तत्कालीन लगभग आधा दर्जन आईएएस पीसीएस अफसरो के विरुद्ध कार्यवाही करते हुए मौजूदा जिला अधिकारी खीरी से भी जवाब तलब किया है ।वाबजूद इसके तहसील सदर लखीमपुर में भ्रष्टाचार थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। आए दिन राजस्व कर्मियों के नए-नए कारनामे अखबारी सुर्खियां बन रहे हैं ।कहीं फर्जी बरासत तो कहीं जमीन खतौनी पर चढ़वाने के नाम पर ₹20000 घूस लेकर फर्जी इंतखाब काट कर दे दिए जाने तथा किसी की पैत्रक जमीन की बरासत किसी और के नाम कर दिए जाने के मामले चर्चा का विषय बन रहे हैं। और तहसील में बैठे जिम्मेदार प्रशासनिक अफसरो को यह सब सुनायीऔर दिखाई नहीं पड़ रहा है।
यह तो महज भ्रष्टाचार की वानगी भर है। तहसील सदर में बड़े-बड़े काले कारनामे भ्रष्टाचार और भूमाफियाओ और लेखपालों के बीच चल रही लंबी डील की दास्तां बयां करने को काफी है ।ऐसा ही एक मामला कस्बा खीरी टाउन से जुड़ा दिखाई पड़ रहा है सूत्रों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार कस्बा खीरी में पंचपीर आस्ताने के पास की जा रही प्लाटिंग में भारी झोल प्रकाश में आई है। सूत्र बताते हैं की गाटा संख्या 141 की जमीन में कुछ भाग राजा बी एन डी सिंह का है और गाटा 143 संपूर्ण भाग राजा बीएनडी सिंह के नाम दर्ज कागजात है इसके पास में दक्षिण की तरफ रास्ते से सटा सदियों पुराना कब्रिस्तान है ।
उक्त दबंगों ने तत्कालीन लेखपाल से साठगांठ करके खतौनियों में हेरा फेरी कराकर एक बेवा की गाटा संख्या 142/1नान जेड ए की जमीन सहित राजा साहब की जमीन गाटा संख्या 141 व143 को अपनी प्लाटिंग वाली जमीन में मिलाने के साथ-साथ ही रास्ता व कब्रिस्तान में बनी शाहीद मर्दों की कब्रो को नष्ट नाबूत कर अपनी प्लाटिंग में मिलाकर प्लाटिंग शुरू कर दी और कई प्लांट भेज भी डाले गए। उक्त लोगों द्वारा तहसील से साठगांठ के चलते बगैर जमीन का 143 कराए तथा लेआउट पास कराए बगैर ही प्लाटिंग काटना शुरु कर दिया गया ।उक्त लोगों के द्वारा किए जा रहे नियम विपरीत कार्य से मानकों की धज्जियां तो उड़ ही रही है साथ साथ सरकारी खजाने को भी राजस्व का चूना लगाया जा रहा है।
एक जानकार सूत्र द्वारा दी गई जानकारी के अनुरूप गाटा संख्या 142 बड़ा रकवा वाला गाटा नंबर था इसका रकवा लगभग 36 बीघा बताया जा रहा है। लेकिन अपने निजी स्वार्थ के चलते तहसील सदर के जिम्मेदार तत्कालीन लेखपाल के साथ मिली भगत करके गाटा संख्या 142 का रकबा 36 बीघा से छः बीघा करवा लिया गया आखिर क्यों? और वह 30 बीघा जमीन कहां चली गई? किन कारणो से इन दबंग अवैध कब्जे दारो व फर्जी नियम विरुद्ध की जा रही प्लाटिंग पर कार्यवाही करने से क्यों कतराते नजर आ रहे हैं तहसील प्रशासन के जिम्मेदार ?
उक्त प्रश्नों के उत्तर किसी भी जिम्मेदार के पास ढूंढे नहीं मिल पा रहे हैं तहसील प्रशासन और दबंग कथित भूमाफियाओं से चल रही साठगांठ से आहत एक समाजसेवी द्वारा मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत करके मामले की जांच कराए जाने की मांग की है ।देखना है क्या अब भी नहीं टूटेगी तहसील प्रशासन की कुंभकर्णी नींद ,और होगी दबंग व कथित भू माफियाओं पर कार्यवाही?
इस संबंध में क्षेत्रीय लेखपाल अनुज शुक्ला का कहना है यह मामला मेरी जानकारी में नहीं है और ना ही मेरे कार्यकाल का है मैं अभी थोड़े दिन पहले चार्ज लिया है कुछ भी जांच के बाद ही बता पाऊंगा।
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