अडानी पर अमेरिका में 'भारतीय सरकारी अधिकारियों को करोड़ों डॉलर की रिश्वत' देने का आरोप।

अडानी पर अमेरिका में 'भारतीय सरकारी अधिकारियों को करोड़ों डॉलर की रिश्वत' देने का आरोप।

दिल्ली। अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी पर अमेरिका में अपने निवेशकों को धोखा देने के आरोप लगे हैं। अडानी पर अमेरिका में अपनी कंपनी को कॉन्ट्रेक्ट दिलाने के लिए 265 मिलियन डॉलर या करीब 2236 करोड़ रुपये की रिश्वत देने और इसे छिपाने का आरोप लगा है। अदालत के रिकॉर्ड से पता चलता है कि एक न्यायाधीश ने गौतम अडानी और सागर अडानी के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी किया है और अभियोजकों ने उन वारंटों को विदेशी कानून प्रवर्तन एजेंसियों को सौंपने की योजना बनाई है।  यह पूरा मामला अडानी ग्रुप की कंपनी अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड और एक अन्य फर्म से जुड़ा है। गौतम अडानी पर 'रिश्वतखोरी' के आरोप के बीच लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि अमेरिका में जो जांच हुई है, उससे साफ हो गया है कि अडानी जी ने क्राइम किया है। ऐसे में हमारी मांग है कि अडानी को तुरंत अरेस्ट किया जाना चाहिए।
 
अडानी और उनके भतीजे सागर के साथ 7 अन्य प्रतिवादियों ने अपनी रिन्यूएबल एनर्जी कंपनी को कॉन्ट्रेक्ट दिलाने और भारत की सबसे बड़ी सौर ऊर्जा संयंत्र परियोजना विकसित करने के लिए भारतीय सरकारी अधिकारियों को करीब 265 मिलियन डॉलर की रिश्वत देने पर सहमति जताई थी।
अमेरिका में सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज कमीशन इस मामले में गौतम अडानी के भतीजे सागर अडानी, अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड के अधिकारियों समेत एक अन्य फर्म एज्योर पावर ग्लोबल लिमिटेड के कार्यकारी सिरिल काबेनेस के खिलाफ भी आरोप लगाया है। रिपोर्ट के मुताबिक, गौतम अडानी और उनके भतीजे सागर के साथ ही सात अन्य प्रतिवादियों ने अपनी रिन्यूएबल एनर्जी कंपनी को कॉन्ट्रेक्ट दिलाने और भारत की सबसे बड़ी सौर ऊर्जा संयंत्र परियोजना विकसित करने के लिए भारतीय सरकारी अधिकारियों को करीब 265 मिलियन डॉलर की रिश्वत देने पर सहमति जताई थी।
 
 
अधिकारियों को ये रिश्वत 2020 से 2024 के बीच दिए जाने का आरोप लगाया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, यह मामला अरबों डॉलर के मुनाफे से जुड़ा है। रिपोर्ट के मुताबिक, अभियोजकों द्वारा लगाए गए आरोपों के अनुसार, इस कॉन्ट्रेक्ट के जरिए अडानी ग्रुप को 20 सालों में करीब दो अरब डॉलर से ज्यादा का फायदा होने की उम्मीद थी। रिपोर्ट के मुताबिक, आरोप यह भी लगा है कि इस मुनाफे के लिए अमेरिका समेत अन्य देशों के निवेशकों और बैंकों से झूठ बोला गया। अभियोजकों द्वारा किए गए दावे के अनुसार, अडानी ग्रीन एनर्जी के एक अन्य कार्यकारी, पूर्व सीईओ विनीत जैन ने कर्जदाताओं और इन्वेस्टर्स से अपने भ्रष्टाचार को छिपाकर 3 अरब डॉलर से ज्यादा का लोन और बांड जुटाए थे। विनीत जैन साल 2020 से साल 2023 तक कंपनी के CEO थे।
 
अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी पर रिश्वतखोरी के आरोप के बीच लोकसाभ में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने प्रेस से बात की। प्रेस से बात करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि नरेंद्र मोदी जी ने एक नारा दिया, 'एक हैं तो सेफ हैं'। 'भारत में अडानी और मोदी एक हैं तो सेफ हैं'। हिंदुस्तान में अडानी का कुछ नहीं किया जा सकता है। देश में मुख्यमंत्री 10-15 करोड़ रुपये के लिए जेल चले जाते हैं। अडानी जी 2 हजार करोड़ रुपये का स्कैम करते हैं और वो बाहर घूम रहे हैं। इसके पीछे कारण यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अडानी को सुरक्षा प्रदान कर रहे हैं।
 
राहुल गांधी ने कहा कि अमेरिका में अडानी पावर, मोदी पावर न जाने क्या क्या चल रहा है, लेकिन हकीकत यह है कि दोनों एक हैं। अडानी जी ने भारत-अमेरिका में क्राइम किया है। अमेरिका में जो जांच हुई है, उसमे यह बात सामने आई है। लेकिन हिंदुस्तान में अडानी जी के खिलाफ कुछ नहीं हो रहा है। अडानी को अरेस्ट किया जाना चाहिए और अभी अरेस्ट किया जाना चाहिए, यह मांग हम बहुत दिनों से कर रहे हैं। मधावी बुच जो उन्हें (अडानी) सुरक्षा प्रदान करने वाली हैं, जिन्होंने कोई जांच नहीं की। उनको हटाया जाना चाहिए और उनके खिलाफ जांच होनी चाहिए।
 
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक्स पर लिखा, "न्यूयॉर्क के पूर्वी ज़िले के अमेरिकी अटॉर्नी कार्यालय द्वारा गौतम अडानी और उनसे जुड़े अन्य लोगों पर गंभीर आरोप लगाना उस मांग को सही ठहराता है जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस जनवरी 2023 से विभिन्न मोदानी घोटालों की संयुक्त संसदीय समिति (JPC) जांच के लिए कर रही है। कांग्रेस ने हम अडानी के हैं कौन (HAHK) श्रृंखला में इन घोटालों के विभिन्न पहलुओं और प्रधानमंत्री और उनके पसंदीदा पूंजीपति के बीच के घनिष्ठ संबंधों को उजागर करते हुए 100 सवाल पूछे थे। इन सवालों के जवाब आज तक नहीं दिए गए हैं।"
 
उन्होंने कहा कि अब न्यूयॉर्क के पूर्वी ज़िले के अमेरिकी अटॉर्नी कार्यालय द्वारा गौतम S अडानी, सागर R अडानी और अन्य लोगों के ख़िलाफ़ लगाए गए गंभीर आरोप से अडानी की आपराधिक गतिविधियों के बारे में और अधिक चौंकाने वाले विवरण सामने आए हैं। इसमें कहा गया है कि उन्होंने 2020 और 2024 के बीच भारत सरकार के अधिकारियों को 250 मिलियन डॉलर (2,100 करोड़ रुपए) से अधिक की रिश्वत दी। रिश्वत का भुगतान “भारत सरकार के सोलर पावर प्लांट्स के प्रोजेक्ट का कॉन्ट्रैक्ट प्राप्त करने के लिए किया गया था, जिससे टैक्स के बाद $2 बिलियन (16,800 करोड़ रुपए) से अधिक मुनाफा होने का अनुमान था।” इसमें आरोप लगाया गया है कि "कई मौकों पर, गौतम S अडानी ने रिश्वत की स्कीम को आगे बढ़ाने के लिए व्यक्तिगत रूप से भारत सरकार के एक अधिकारी से मुलाक़ात की" और इसका इलेक्ट्रॉनिक और सेलुलर फोन सबूत होने का दावा किया गया है।"
 
उन्होंने कहा कि ये सब प्रधानमंत्री के स्पष्ट संरक्षण और कुछ नहीं होगा वाली सोच के साथ की गई धोखाधड़ी और अपराधों के एक लंबे रिकॉर्ड के अनुरूप है। तथ्य यह है कि अडानी की उचित जांच करने के लिए विदेशी अधिकार क्षेत्र का सहारा लिया गया है, इससे पता चलता है कि कैसे भारतीय संस्थानों पर बीजेपी ने कब्जा कर लिया है, और कैसे लालची और सत्ता के भूखे नेताओं ने दशकों के संस्थागत विकास को बर्बाद कर दिया है।
उन्होंने कहा कि इस ख़ुलासे के बाद SEBI की नाकामी भी एक बार फ़िर से सामने आती है, जो अडानी ग्रुप द्वारा प्रतिभूतियों और अन्य कानूनों के उल्लंघन की जांच कर रहा है और ग्रुप को उसके निवेश के स्रोत, शेल कंपनियों, आदि के लिए ज़िम्मेदार ठहराने में पूरी तरह से विफल रहा है।
 
उन्होंने आगे कहा कि आगे का सही रास्ता यही है कि अडानी महाघोटाले में प्रतिभूति कानून के उल्लंघनों की जांच को पूरा करने के लिए एक नए और विश्वसनीय SEBI प्रमुख को नियुक्त किया जाए, और इसकी पूरी जांच के लिए तुरंत एक JPC का गठन किया जाए।उन्होंने कहा कि कांग्रेस लगातार अडानी ग्रुप के लेन-देन की जांच के लिए JPC गठन की मांग करती रही है। क्योंकि इनके लेन-देन की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्रों में एकाधिकार बढ़ रहा है और साथ ही, हमारे पड़ोस में विदेश नीति के लिए विशेष रूप से बड़ी चुनौतियां पैदा हो रही हैं।
 
द गार्डियन की रिपोर्ट में कहा गया है कि या तो घूस की यह रक़म भुगतान की जा रही है या फिर यह देना तय हुआ है। न्यूयॉर्क में उनपर यह आरोप इसलिए लगा है कि 250 मिलियन डॉलर की रिश्वत देने की इस योजना को अमेरिकी निवेशकों से छिपाया गया।भारत में गौतम अडानी की सौर परियोजनाओं से जुड़ी कथित कई अरब डॉलर की रिश्वतखोरी और धोखाधड़ी योजना में उनकी भूमिका के लिए ही यह अभियोग लगाया गया है। अमेरिकी अभियोजकों ने बुधवार को कहा कि अडानी और उनके भतीजे सागर अडानी सहित सात अन्य लोगों ने 20 वर्षों में 2 बिलियन डॉलर का लाभ कमाने वाले अनुबंध को पाने और भारत की सबसे बड़ी सौर ऊर्जा संयंत्र परियोजना विकसित करने के लिए भारतीय सरकारी अधिकारियों को लगभग 265 मिलियन डॉलर की रिश्वत देने पर सहमति जताई।
 
अमेरिकी अभियोजकों ने बुधवार को कहा कि अडानी और उनके भतीजे सागर अडानी सहित सात अन्य लोगों ने 20 वर्षों में 2 बिलियन डॉलर का लाभ कमाने वाले अनुबंध को पाने और भारत की सबसे बड़ी सौर ऊर्जा संयंत्र परियोजना विकसित करने के लिए भारतीय सरकारी अधिकारियों को लगभग 265 मिलियन डॉलर की रिश्वत देने पर सहमति जताई। आरोप लगाया गया है कि अभियोजकों ने यह भी कहा कि अडानी और अडानी ग्रीन एनर्जी के एक अन्य कार्यकारी, पूर्व सीईओ विनीत जैन ने ऋणदाताओं और निवेशकों से अपने भ्रष्टाचार को छिपाकर 3 बिलियन डॉलर से अधिक का ऋण और बांड जुटाए।
 
इस बीच, एक अन्य कार्रवाई में अमेरिकी प्रतिभूति और विनिमय आयोग ने अडानी और दो सह-प्रतिवादियों पर अमेरिकी प्रतिभूति कानूनों के धोखाधड़ी विरोधी प्रावधानों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। आयोग मौद्रिक जुर्माना लगाने और अन्य प्रतिबंधों की मांग कर रहा है। दोनों मामले ब्रुकलिन की संघीय अदालत में दायर किए गए। अमेरिकी कानून विदेशी भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच की अनुमति देता है, यदि उनका संबंध अमेरिकी बाजारों से हो।अमेरिकी अटॉर्नी कार्यालय के बयान में कहा गया है कि अडानी पर इस योजना में व्यक्तिगत रूप से शामिल होने का आरोप है, उन्होंने इस योजना को आगे बढ़ाने के लिए एक भारतीय सरकारी अधिकारी से मुलाकात की, जो 2020 से 2024 के बीच हुई।
 
फबीआई के सहायक निदेशक प्रभारी जेम्स ई. डेनेही ने कहा, "गौतम एस. अडानी और सात अन्य व्यावसायिक अधिकारियों ने अपने व्यवसायों को लाभ पहुंचाने के लिए आकर्षक अनुबंधों को वित्तपोषित करने के लिए कथित तौर पर भारतीय सरकार को रिश्वत दी। अडानी और अन्य प्रतिवादियों ने रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के बारे में झूठे बयानों के आधार पर पूंजी जुटाकर निवेशकों को धोखा दिया, जबकि अन्य प्रतिवादियों ने कथित तौर पर सरकार की जांच में बाधा डालकर रिश्वतखोरी की साजिश को छिपाने का प्रयास किया।"
 
ब्लूमबर्ग ने इस साल मार्च में बताया था कि इस तरह की जांच चल रही है। तब अडानी समूह ने समाचार आउटलेट को बताया था कि उसे चेयरमैन अडानी के खिलाफ ऐसी किसी जांच के बारे में जानकारी नहीं है। उसने कहा था, "एक व्यावसायिक समूह के रूप में जो शासन के उच्चतम मानकों के साथ काम करता है, हम भारत और अन्य देशों में भ्रष्टाचार विरोधी और रिश्वत विरोधी कानूनों के अधीन हैं और उनका पूरी तरह से अनुपालन करते हैं।"

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