गंगा पंडाल में भक्ति, नृत्य, और संगीत का संगम।
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स्वतंत्र प्रभात ।
ब्यूरो प्रयागराज ।
महाकुंभ 2025 के गंगा पंडाल में आज का दिन भक्ति, नृत्य और संगीत के अनूठे संगम का गवाह बना। भारतीय सनातन संस्कृति के महात्म्य को संजोते इस विशेष आयोजन में भक्तिमय गीतों, कथक नृत्य और प्रेरणादायक व्याख्यानों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया।
कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ. कुमार विश्वास के ऊर्जा सत्र "अपने अपने राम" से हुआ, जिसमें उन्होंने रामकथा के विभिन्न पहलुओं को अपनी शैली में प्रस्तुत किया। उन्होंने माता कैकयी, अंजनिपुत्र हनुमान और केवट के प्रसंगों के माध्यम से रामायण के महत्त्व को उजागर किया। डॉ. विश्वास ने प्रभु श्री राम के नव निर्मित मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की वर्षगांठ पर सभी सनातनियों को बधाई देते हुए अपने गीतों से मंच को विभोर कर दिया।

इसके बाद, सुप्रसिद्ध कथक एवं भरतनाट्यम नृत्यांगना राजश्री शिरके ने अपनी प्रस्तुति से दर्शकों को रोमांचित कर दिया। उनकी "शिव आराधना" और "रावण-मंदोदरी संवाद" पर आधारित नृत्य नाटिका ने प्राचीन मंदिर परंपराओं को पुनर्जीवित किया। उनकी प्रस्तुति में ध्वनि और प्रकाश का ऐसा अनूठा संयोजन था जिसने दर्शकों को भाव-विभोर कर दिया।
कार्यक्रम की अंतिम कड़ी में प्रसिद्ध पार्श्व गायिका प्रतिभा सिंह बघेल ने अपने सुमधुर भजनों से पूरे गंगा पंडाल को मधुर रस में सराबोर कर दिया। उन्होंने "सत्यम शिवम सुंदरम" और "बाजे रे मुरलिया" जैसे लोकप्रिय गीतों से दर्शकों को मोहित किया। उनके गीतों ने महाकुंभ की भक्ति पूर्ण वातावरण को और अधिक ऊर्जावान बना दिया।

आज के दिन के कार्यक्रम विशेष रूप से ऐतिहासिक रहे, क्योंकि इसी दिन अयोध्या में प्रभु श्री राम की नव निर्मित मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ था। महाकुंभ 2025 भारतीय संस्कृति और सनातन परंपराओं के प्रसार का अनूठा मंच बन गया है
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