सर्वहित व्यापार मंडल उत्तर प्रदेश प्रदेश अध्यक्ष: राजकुमार यादव।

सर्वहित व्यापार मंडल उत्तर प्रदेश प्रदेश अध्यक्ष: राजकुमार यादव।

लखनऊ। राजधानी लखनऊ में एक फरवरी 2025 को भारत सरकार द्वारा पेश किए जाने वाले बजट से व्यापारियों को बहुत उम्मीदें है, व्यापारियों को आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि इस बार पेश किए जाने वाले  बजट से व्यापारियों के चेहरे खिल उठेंगे।  कुछ निम्नलिखित उम्मीदें व्यापारियों ने इस बजट से बांध रखी है। नए व्यवसाय शुरू करने वाले व्यापारियों के लिए पहले 3-5 वर्षों तक टैक्स में छूट या कम दरें की जाए, ताकि वे अपनी वित्तीय स्थिति स्थिर कर सकें।
 
इससे नौकरी देने वाले छोटे व्यवसायों को बढ़ावा मिलेगा। रिटेल सेक्टर के व्यापार को बचाने के लिए रिटेल ट्रेड पॉलिसी लाए सरकार। ई-कॉमर्स पर सख्त नियम बने, ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा डिस्काउंटिंग और प्राइस वार को नियंत्रित करने के लिए रेगुलेशन लागू हो। विदेशी कंपनियों को भारतीय बाजार में एक सीमित हिस्सेदारी दी जाए, जिससे भारतीय रिटेल सेक्टर को नुकसान न हो। ई-कॉमर्स पॉलिसी की मांग बहुत पुरानी है व्यापारियों को उम्मीद है कि शायद सरकार इस बार व्यापारियों की मांग को पूरा करेगी। एल  एल पी और पार्टनरशिप  फर्म पर वर्तमान में टैक्स 30% की दर है।
 
पहले, MLP में पास-थ्रू एंटिटी (Pass-Through Entity) की सुविधा होती थी, यानी उन्हें कॉर्पोरेट टैक्स नहीं देना पड़ता था। पार्टनर्स को अपनी व्यक्तिगत इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार कर देना होता था। लेकिन अब, अगर MLP को कॉरपोरेट टैक्स स्ट्रक्चर में डाला गया है, तो 30% की दर से टैक्स लगाया जा रहा है, इसे कॉरपोरेट टैक्स के बराबर 22% किया जाना चाहिए। धारा 44AD भारत के आयकर अधिनियम, 1961 के तहत एक विशेष प्रावधान है, जो छोटे व्यवसायों के लिए संभावित आय योजना (Presumptive Taxation Scheme) प्रदान करता है।
 
इसका उद्देश्य छोटे व्यापारियों और पेशेवरों को कर अनुपालन में आसानी देना है। जिनका वार्षिक टर्नओवर या सकल प्राप्ति ₹2 करोड़ तक हो, वे इस योजना के तहत आते है, यदि टर्नओवर ₹2 करोड़ से अधिक हो जाता है, तो नियमित कराधान प्रणाली लागू होती है। इसे 2 करोड़ से बढाकर 5 करोड़ किया जाना चाहिए। कॉमर्शियल लोन की दरें घटाई जाने की उम्मीद।  कमर्शियल लोन की ब्याज दरों में कमी होने से व्यापारियों को कई फायदे मिल सकते हैं, जिससे उनका व्यवसाय अधिक तेजी से बढ़ सकता है।
 
ब्याज दर कम होने से व्यापारियों को सस्ती दरों पर लोन मिलेगा, जिससे उनकी कुल लागत घटेगी। वे बिना अधिक वित्तीय दबाव के अपने व्यापार में अधिक निवेश कर सकते हैं। ब्याज दर कम होने से मासिक EMI कम होगी, जिससे व्यापार का नकदी प्रवाह (cash flow) सुधरेगा। जब व्यापारियों को कम दरों पर लोन मिलेगा, तो वे अधिक प्रतिस्पर्धी मूल्य पर उत्पाद और सेवाएं दे सकते हैं।  इससे बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, और उपभोक्ताओं को भी लाभ होगा।
 
कमर्शियल लोन की ब्याज दरें घटने से व्यापारियों की वित्तीय सेहत मजबूत होगी, वे नए अवसरों में निवेश कर सकेंगे, और इससे अर्थव्यवस्था में समग्र रूप से सुधार आएगा। यह विशेष रूप से छोटे और मध्यम व्यापारियों के लिए फायदेमंद होगा, जो महंगे लोन के कारण विस्तार नहीं कर पाते हैं। ₹5 करोड़ तक के टर्नओवर वाले व्यापारियों को एक निश्चित स्टैंडर्ड डिडक्शन दिया जाए, तो यह टैक्स कंप्लायंस को सरल बनाएगा, छोटे व्यापारियों को राहत देगा, और व्यापार जगत को मजबूत करेगा।
 
यह MSME सेक्टर को भी बढ़ावा देगा, जिससे भारत की अर्थव्यवस्था को लाभ होगा। व्यापार से जुड़े खर्चों जैसे ऑफिस रेंट, यात्रा, मार्केटिंग, सैलरी आदि पर टैक्स डिडक्शन मिले। विदेशों की तरह Annual Investment Allowance (AIA) लागू हो जिसके तहत व्यापार में नई मशीन, उपकरण या अन्य निवेश करने पर 100% टैक्स छूट मिलती है।यह व्यापारियों को नए संसाधनों में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करता है। सरकार एक "डिजिटल इंडिया रिटेल प्लेटफॉर्म" लॉन्च करे, जहां छोटे व्यापारी ऑनलाइन स्टोर बना सकें। छोटे दुकानदारों को सरकारी पोर्टल्स और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर व्यापार करने के लिए प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता दी जाए।
 
 

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