सड़े हुए शव की दुर्गंध वाला फूल तीसरी बार खिला आस्ट्रेलिया में
ऑस्ट्रेलियन नेशनल बॉटैनिक गार्डन में सड़े हुए शव की दुर्गंध वाला दुर्लभ फूल खिला है। तीन महीनों में इस तरह के फूल के खिलने का यह तीसरा मौका है।
नेशनल बॉटैनिक गार्डन, मेलबर्न- ऑस्ट्रेलिया की राजधानी कैनबरा में सड़े हुए शव की दुर्गंध वाला दुर्लभ फूल खिला है। तीन महीनों में इस तरह के फूल के खिलने का यह तीसरा मौका है। ऑस्ट्रेलियन नेशनल बॉटैनिक गार्डन में यह फूल शनिवार को पहली बार खिला और सोमवार तक मुरझाने की प्रक्रिया में था। इससे पहले, जनवरी के अंत में सिडनी के रॉयल बॉटैनिक गार्डन और नवंबर में मेलबर्न के पास गीलॉन्ग बॉटैनिक गार्डन में भी ऐसा ही फूल खिला था। कॉर्प्स फ्लावर का वैज्ञानिक नाम अमोर्फोफैलस टाइटेनियम है। यह फूल इंडोनेशिया के पश्चिमी सुमात्रा के वर्षावनों में पाया जाता है।
ग्रीनहाउस में जगह की कमी के कारण टिकट प्रणाली के जरिए केवल कुछ सौ लोगों को ही अंदर जाने की अनुमति दी गई। फूल की गंध को लेकर लोगों ने अलग-अलग प्रतिक्रियाएं दीं। कुछ लोगों ने इसे मरे हुए जानवर की बदबू जैसी बताया तो कुछ ने कहा कि यह सड़े हुए अंडों, पसीने भरे मोजों, सीवेज और कचरे की मिश्रित गंध जैसी है।
यह प्राकृतिक रूप से सात से दस साल में एक बार खिलता है और कुछ ही दिनों तक खिला रहता है। इसकी तेज दुर्गंध सड़े हुए मांस जैसी होती है जो मक्खियों और अन्य परागण करने वाले कीटों को आकर्षित करती है। कैनबरा की कार्यकारी नर्सरी प्रबंधक कैरोल डेल ने कहा कि इस फूल के खिलने के पीछे कोई स्पष्ट कारण नहीं है। उन्होंने बताया कि यह फूल तब खिलता है जब पौधा अपने भूमिगत कंद (कॉर्म) में पर्याप्त ऊर्जा जमा कर लेता है।
उन्होंने कहा कि एक सिद्धांत यह है कि ऑस्ट्रेलिया में उगाए गए इन सभी पौधों की उम्र लगभग समान है और वे अब पर्याप्त ऊर्जा संचित करने के बाद फूल देने के लिए तैयार हो गए हैं। डेल ने यह भी बताया कि कैनबरा, सिडनी और गीलॉन्ग की जलवायु एक-दूसरे से अलग है और हर जगह इन पौधों को अलग-अलग खाद और देखभाल प्रदान की जाती है।

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