कानपुर में बोल्डर के सहारे शहर की ट्रेफिक व्यवस्था, सिग्नल का काम बंद
तमाम चौराहों पर लाखों खर्च करके लगे सिग्नल बने शो पीस
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कानपुर। उत्तर प्रदेश का सबसे अधिक आबादी वाले दो शहरों में से एक शहर कानपुर अपने यातायात के दबाव से वर्षों से कराह रहा है और उसका सीधा कारण यह है कि उसके लिए कोई ठोस उपाय नहीं किए गए। हां यह जरूर है कि वैकल्पिक व्यवस्था को अपनाकर शहर के तमाम उन चौराहों को एक तरफ बोल्डर लगाकर बद कर दिया गया है जहां लाखों रूपए खर्च करके सिग्नल की शुरुआत की गई थी।
यदि आप शहर के बीच से गुजरने वाली जीटी रोड पर ध्यान दें तो अफीम कोठी चौराहा, जरीब चौकी चौराहा, गुमटी गुरुद्वारा चौराहा, कोकाकोला चौराहे पर तथा आगे कल्याणपुर तक तमाम ऐसी जगह हैं जहां एक - एक रास्ते सीधे-सीधे बंद कर दिए गए हैं। वहां पर भारी या सीमेंट के बोल्डर लागा दिए गए हैं। सुबह से लेकर रात तक यातायात रेंगता रहता है। लाखों रुपए खर्च कर लगाए गए सिग्नल सिस्टम शो- पीस बने मुंह चिढ़ा रहे हैं।
शहर के चौराहों पर सिग्नल सिस्टम इसलिए लगाए गए थे ताकि यातायात सिग्नल सिस्टम के तहत चले लेकिन फिर क्यों उसको जलते छोड़ दिया गया और यदि बोल्डर के सहारे ही यातायात संचालित करना था तो ये सिग्नल पर लाखों रुपए क्यों खर्च किए गए। जीटी रोड के अलावा भी शहर में कई अन्य चौराहे भी ऐसे हैं वहां भी यातायात व्यवस्था बोल्डर के सहारे चल रही है और वहां भी सिग्नल लगे हुए हैं।
इन चौराहों पर दिन भर ट्रेफिक रेंगता रहता है क्योंकि चौराहों के आगे जाकर जो यू-टर्न दिये हैं वहां जाम कभी खत्म नहीं होता। बोल्डर से यातायात की गति निम्नतम हो गई है औ 15 मिनट की रास्ता तय करने में एक घंटे तक का समय लग जाता है। यह जिम्मेदारी केवल ट्रेफिक विभाग की ही नहीं है अन्य विभाग भी इसके जिम्मेदार हैं। सड़कों के किनारे काफी जगह है जिनका चौड़ीकरण करके काफी कुछ सुधार किया जा सकता है। लेकिन केवल वैकल्पिक व्यवस्था से ही शहर का यातायात संचालित किया जा रहा है।
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