सोनभद्र में विकास की हकीकत, नाले का गंदा पानी पीने को मजबूर आदिवासी
अजीत सिंह ( ब्यूरो)
एक तरफ जहाँ वर्तमान सरकार अपने विकास कार्यों का लगातार प्रचार-प्रसार करती है, वहीं दूसरी तरफ इस जिले के कई गाँव आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं।
तहसील ओबरा, ब्लॉक चोपन के पियरी माटी टोला ग्राम कनच्छ में रहने वाले आदिवासी समुदाय के लोग नाले का गंदा पानी पीने को मजबूर हैं। इस गाँव में लगभग 20-25 घर हैं और आबादी 300-400 के आसपास है। ग्रामीणों का कहना है कि उनके गाँव में पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं है।हर घर नल जल योजना के तहत करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी इस गाँव में पानी की व्यवस्था नहीं हो पाई है।
गंदा पानी पीने से ग्रामीणों के स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ सकता है। यह मामला सरकार की 'हर घर नल जल योजना' की विफलता को दर्शाता है।
गंदा पानी पीने से ग्रामीणों को कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं, जैसे कि,डायरिया, हैजा,टाइफाइड,पेट में संक्रमण, त्वचा रोग इन बीमारियों से ग्रामीणों के स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ सकता है। कुछ बीमारियां तो जानलेवा भी हो सकती हैं। यह मामला सरकार की 'हर घर नल जल योजना' की विफलता को दर्शाता है।
इस योजना के तहत सरकार ने हर घर में नल से जल पहुंचाने का वादा किया था। लेकिन, सोनभद्र के इस गांव में आज भी लोग गंदा पानी पीने को मजबूर हैं।यह मामला सरकार की लापरवाही को दर्शाता है। सरकार को इस मामले में तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए और ग्रामीणों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराना चाहिए।
यह एक गंभीर मुद्दा है, जिस पर सरकार को ध्यान देने की आवश्यकता है।

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