हरियाणा के खजाने को लगा 1 हजार करोड़ से अधिक का चूना कैग की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा  ।

हरियाणा के खजाने को लगा 1 हजार करोड़ से अधिक का चूना कैग की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा  ।

दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार के वक्त की आई कैग (कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल) रिपोर्ट पर हंगामा खड़ा किए बीजेपी की मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली पूर्व हरियाणा सरकार के कार्यकाल की आई कैग रिपोर्ट में राज्य के खजाने को बड़ी चपत बताई गई है। ये आंकड़ा 1000 करोड़ से अधिक का है। बिक्री कर, वैट, राज्य उत्पाद शुल्क, स्टाम्प शुल्क एवं पंजीकरण फीस को लेकर 2021-22 की आई कैग की इस रिपोर्ट में राज्य के खजाने को हुए नुकसान के लिए खट्टर सरकार के कु-प्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया गया है।
 
हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र के दूसरे दिन 10 मार्च को सदन के पटल पर रखी गई कैग की रिपोर्ट में राज्य के खजाने को हुए नुकसान का दिया गया आंकड़ा बड़ा है। कैग ने लिखा है कि बिक्री कर, वैट, राज्य उत्पाद शुल्क, स्टाम्प शुल्क और पंजीकरण फीस के 104 यूनिटों के अभिलेखों की 2021-22 के दौरान की गई सैंपल जांच में 2,552 मामलों में 1,103,94 करोड़ के राजस्व का नुकसान हुआ है। संबंधित विभागों ने 1,077 मामलों में 643,07 करोड़ की हानि तथा अन्य कमियां स्वीकार की हैं।
 
रिपोर्ट बिंदुवार कहती है कि कर योग्य वस्तुओं के बजाय कर मुक्ति बिक्री कर के रूप में कटौती की अनुमति दे दी गई, जिसके परिणामस्वरूप 4.99 करोड़ के कर का नुकसान हुआ। इसके अलावा 4.77 करोड़ के ब्याज की वसूली भी होनी थी। अधिकारियों ने 36.61 करोड़ के बजाय 27.97 करोड़ के करयोग्य टर्नओवर पर कर की राशि तय की, जिससे 0.94 करोड़ के कर की हानि हुई। यही नहीं स्टॉक हस्तांतरण पर इनपुट टैक्स क्रेडिट वापसी दावे को गलत वापस कर दिया, जिससे भी 28.04 लाख की कम इनपुट टैक्स क्रेडिट की वापसी हुई। रिपोर्ट में सिलसिलेवार बताते हुए लिखा गया है कि विभाग ने वस्तु एवं सेवा कर के भुगतान और रिटर्न फाइलिंग को सत्यापित करने के लिए उचित तंत्र स्थापित नहीं किया। जिससे इनपुट टैक्स क्रेडिट, निष्पादित देयताओं और टर्न ओवर का मिलान न होने और वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम का पालन न होने से 678.22 करोड़ की विसंगतियां हुईं।
 
राज्य उत्पाद शुल्क को लेकर हुए ऑडिट में पाया गया है कि अवैध शराब के लिए अपराधियों से पेनल्टी वसूलने व आवंटियों से लाइसेंस फीस और ब्याज वसूलने की पहल नहीं गई, जिससे 7.46 करोड़ के सरकारी राजस्व की कम वसूली हुई। 
 
स्टाम्प शुल्क एवं पंजीकरण फीस के अंतर्गत कर प्रबंधन के ऑडिट में भी बिंदुवार खामियां गिनाई गई हैं। इसमें बताया गया है कि सेल डीड को गलत वर्गीकृत करने के परिणामस्वरूप 19.91 लाख के स्टाम्प शुल्क एवं पंजीकरण फीस की कम वसूली हुई। खून के रिश्तों के अलावा अन्य व्यक्तियों के पक्ष में ट्रांसफर डीड के 20 दस्तावेजों में स्टाम्प शुल्क की अनियमित छूट के परिणामस्वरूप राजकोष को 32.05 लाख के राजस्व की हानि हुई। पंजीकरण प्राधिकारियों ने पार्टियों के बीच सहमति की अपेक्षा 9 ट्रांसफर डीड का कम मूल्यांकन किया। इससे 12.27 लाख के स्टाम्प शुल्क और पंजीकरण फीस की कम वसूली हुई।
 
मार्केट कमेटी, गुरुग्राम महानगर विकास प्राधिकरण व उत्तर हरियाणा बिजली प्रसारण निगम को सरकारी संस्था मानते हुए उन्हें 3.11 करोड़ के स्टाम्प शुल्क और पंजीकरण फीस के भुगतान से अनियमित छूट की अनुमति दी गई। नगरपालिका की सीमा के भीतर आने वाले 1,000 वर्ग गज से कम क्षेत्र के प्लाटों की 14 सेल डीड का आवासीय भूमि के बजाय कृषि भूमि के लिए निर्धारित दरों पर गलत मूल्यांकन किया गया, जिससे 0.57 करोड़ के स्टाम्प शुल्क और पंजीकरण फीस की कम वसूली हो पाई।
 
किसानों को 50 मामलों में स्टाम्प शुल्क से छूट की अनुमति दी गई थी। हालांकि, उन्होंने प्राप्त मुआवजे से आवासीय या व्यावसायिक भूमि खरीदी थी। इसके परिणामस्वरूप 1.61 करोड़ के स्टाम्प शुल्क और पंजीकरण फीस की कम वसूली हो पाई। कृषि भूमि के लिए निर्धारित सामान्य दरों पर प्राइम खसरा भूमि का गलत निर्धारण किया गया, जिससे भी 64.28 लाख के स्टाम्प शुल्क की कम वसूली हो पाई। इसके अलावा हरियाणा पंचायती राज अधिनियम 1994 के तहत स्टाम्प शुल्क के अतिरिक्त लेन-देन मूल्य पर 2 प्रतिशत की दर से शुल्क चार्ज किए बिना ग्राम पंचायत और जिला परिषद के क्षेत्रों में 176 सेल डीड पंजीकृत किए, जिससे 68.17 लाख के स्टाम्प शुल्क की कम वसूली हो पाई। 
 
कृषि भूमि के लिए निर्धारित दरों पर 142 सेल डीड पंजीकृत की गईं, जिन पर जमाबंदी के अनुसार 36.97 करोड़ के बजाय 18.22 करोड़ का स्टाम्प शुल्क एवं पंजीकरण फीस वसूली गई। इससे 18.75 करोड़ के स्टाम्प शुल्क और पंजीकरण फीस की कम वसूली हो पाई। विस के पटल पर कैग की यह रिपोर्ट रखे जाने के बाद सबसे बड़ा सवाल ये खड़ा हो गया है कि सरकार ने जिस तरह पिछली कैग की रिपोर्टों को कूड़ेदान में फेंका है कहीं इस रिपोर्ट का अंजाम भी वही न हो।
 
इस बीच हरियाणा विधानसभा 11 मार्च को तू-तू...मैं-मैं...का मैदान बन गई। वह भी सत्ता पक्ष के एक विधायक और कैबिनेट मंत्री के ही बीच। बात गोहाना की जलेबी से निकलकर गोबर खाने तक पहुंच गई, जिसका अंत आरोप साबित होने पर राजनीति तक छोड़ देने के ऐलान से हुआ। घटनाक्रम शर्मनाक था, लेकिन दिलचस्प भी। कैबिनेट मंत्री अरविंद शर्मा और भाजपा के ही जींद जिले की सफीदों विधानसभा सीट से विधायक रामकुमार गौतम के बीच। अरविंद शर्मा राज्यपाल के अभिभाषण पर बोलने के लिए खड़े हुए थे। बात पूरे हरियाणा में मशहूर गोहाना की जलेबी से शुरू हुई। अरविंद शर्मा कह रहे थे कि ये जलेबी हरियाणा से निकल कर महाराष्ट्र तक पहुंच चुकी है। अब बिहार में भी ये पहुंचने वाली है। 
 
स्पीकर हरविंद्र कल्याण इस पर कहने लगे कि गोहाना की जलेबी का बार-बार नाम लेकर मुंह में पानी ला दिया, लेकिन ये नहीं बताया कि खिलाओगे कब। इस वार्तालाप के बीच भाजपा विधायक राम कुमार गौतम खड़े हुए और कहने लगे अब गोहाना की जलेबी शुद्ध नहीं रहीं। ये देशी घी में नहीं बनाई जाती, लेकिन उनके इस्तेमाल किए गए शब्द और कहने का अंदाज ऐसा था कि अरविंद शर्मा को बुरा लग गया। इसके पीछे वजह शायद यह थी की उनका दावा उनकी ही पार्टी के विधायक ने तार-तार कर दिया था।
 
जवाब में अरविंद शर्मा ने कहा कि ये पता नहीं किस किस दुकान पर चले जाते हैं। वह यहीं नहीं रुके। वह कहने लगे कि ये तो शर्त लगाकर 10 किलो गोबर तक पी गए थे। रामकुमार गौतम की तरफ इशारा करते हुए यकीन से वह बोले कि इन्हीं से पूछ लो। जवाब में रामकुमार गौतम भी कहां रुकने वाले थे। अरविंद शर्मा पर उन्होंने बड़े गंभीर आरोप लगा दिए। स्पीकर ने जिन्हें बाद में कार्यवाही से निकाल दिया, लेकिन तब तक मामला बिगड़ चुका था। सत्तापक्ष के ही दो विधायकों में गर्मागर्मी से सरकार की किरकिरी हो चुकी थी।
 
आरोप बेहद गंभीर किस्म के थे। विपक्ष ने भी मुद्दे को हाथों हाथ लपक लिया। कांग्रेस के विधायक खड़े होकर आरोपों पर जांच की मांग करने लगे। उधर, अरविंद शर्मा तिलमिलाए बैठे हुए थे। उनकी जग हंसाई हो चुकी थी। लिहाजा, भरपाई के लिए अरविंद शर्मा ने ऐलान किया कि यदि रामकुमार गौतम लेन-देन की एक भी बात सिद्ध कर दें तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा। जाहिर है यह मसला स्पीकर ने फिलहाल तो खत्म कर दिया है, लेकिन इसकी गूंज दूर तक जाने वाली है। कांग्रेस विधायक रघुवीर कादियान ने स्पीकर से कहा कि इस सदन की गरिमा को बनाए रखें। इतना मत ढील छोड़ो कि सदन में ये हाल हो जाए। 
 
 
रघुवीर कादियान ने इससे पहले स्पीकर से राज्यपाल के अभिभाषण पर मंत्री अरविंद शर्मा के बोलने पर आपत्ति प्रकट की थी। उन्होंने कहा कि ये गलत है, पहले कभी ऐसा नहीं हुआ। आप एक नई प्रथा शुरू कर रहे हैं, लेकिन स्पीकर ने उनकी मांग को खारिज कर दिया। विपक्ष का कहना था कि राज्यपाल का अभिभाषण सरकार ही लिखती है। मंत्री खुद भी एक तरह से सरकार है। लिहाजा, वह विपक्ष की बातों का जवाब तो दे सकता है, लेकिन चर्चा में भाग नहीं ले सकता।
विधानसभा में लाडो लक्ष्मी योजना पर भी हंगामा हुआ। कांग्रेस विधायक पूजा चौधरी ने सरकार से पूछा कि महिलाओं को 2100 रुपए कब से मिलेंगे। सरकार इसकी तारीख बताए।  इस पर कैबिनेट मंत्री कृष्ण बेदी ने जवाब दिया कि सरकार इस पर विचार कर रही है। पूजा चौधरी ने सरकार के इस जवाब पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि बड़ी हैरानी है कि सरकार इस तरह का जवाब दे रही है। चुनाव में भाजपा का पहला संकल्प ही यही था। जिसके फार्म तक भर चुके थे। आधी आबादी के प्रति सरकार का यह रवैया ठीक नहीं है।
 मंत्री कृष्ण बेदी के यह कहने पर कि हमारी सरकार पर आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है, कांग्रेस के विधायकों ने हंगामा किया। पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा और विधायक गीता भुक्कल समेत कांग्रेस के विधायक खड़े हो गए और मंत्री के रवैये पर आपत्ति जताई। विधायक पूजा चौधरी ने बाद में भी इसे लेकर स्पीकर से आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि मेरा सप्लीमेंट्री सवाल पूछने का अधिकार भी छीना गया है। इस सरकार का यह कैसा महिला सशक्तिकरण है। मैं सरकार के जवाब से संतुष्ट नहीं हूं।

About The Author

Post Comment

Comment List

No comments yet.

आपका शहर

पत्रकारों ने डीएम, एसपी को सौंपा ज्ञापन, हत्यारे को फांसी की मांग पत्रकारों ने डीएम, एसपी को सौंपा ज्ञापन, हत्यारे को फांसी की मांग
बलरामपुर- सीतापुर में दैनिक जागरण के महोली संवाददाता राघवेंद्र बाजपेई की शनिवार को गोली मारकर नृशंस हत्या किए जाने के...

अंतर्राष्ट्रीय

Online Channel