महज सफेद हाथी बनकर रह गए लाखों की लागत से बने पंचायत भवन
जनपद के अधिकांश पंचायत भवनों पर लटक रहे तले अपने निजी कार्यालय अथवा प्रधान के घर से संचालित हो रहे पंचायती कार्य

पंचायत सचिवों की मनमानी आई सामने पंचायत सहायकों की बजाय अपने निजी प्राइवेट कर्मचारियों से काम करा रहे पंचायत सचिव
भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गए ग्राम पंचायत में बने पंचायत भवन, दर-दर की ठोकरे खाने को विवस ग्रामीण
लखीमपुर खीरी- सरकार द्वारा जनपद की 1165 ग्राम पंचायत में करोड़ों रुपया खर्च कर प्रत्येक ग्राम पंचायत में पंचायत भवनों का निर्माण कराया था सरकार की स्पष्ट मनसा थी कि ग्राम सभा निवासियों को अपने जरूरी कार्यों जैसे आय जाति निवास प्रमाण पत्रों, जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र सहित अन्य तमाम कार्यों के लिए जिला मुख्यालय या अन्य कहीं दौड़ना ना पड़े पंचायत के निवासियों को उक्त सारी सुविधाएं ग्राम पंचायत में बने पंचायत भवनों पर मुहैया कराई जा सके।
इसकी निगरानी के लिए नियुक्त योगी के उपयोगी अधिकारी खंड विकास अधिकारी एवं पंचायत राज अधिकारी को यह सब दिखाई नहीं पड़ रहा है या फिर वह सब कुछ जानने के बाद भी एक बड़े भ्रष्टाचार के खुलासे के भय से अंजान बने बैठे सरकार की मनसा पर पानी फिरते देख रहे हैं बताते चलें कि जनपद खीरी की पंचायती राज व्यवस्था की बदहाली का आलम यह है कि पूरा तंत्र भ्रष्टाचार के आकठ में डूबा नजर आ रहा है जिसकी एक बंा नगी दिखाने के लिए हम आपके जनपद के 15 ब्लॉकों की 1165 ग्राम पंचायत की ओर ले चल रहे हैं जहां पर लाखों की लागत से बनाए गए।
मानक विपरीत पंचायत भवनों में से अधिकांश पंचायत भवनों में अरसे से ताले लटकते देखे जा रहे हैं और इनमें रखी जाने वाली समस्त सामग्री पंखा वाईफाई, कंप्यूटर, फर्नीचर,सहित अन्य सामग्री ग्राम प्रधानों के घर की शोभा बढ़ाती देखी जा सकती हैं जिले के एक दो नहीं सैकड़ो पंचायत भवन ऐसे भी हैं जिनमें बिजली कनेक्शन और शौचालय पर पानी की टंकी व शुद्ध पेयजल की व्यवस्था तक नहीं है सूत्र बताते हैं कि अधिकांश पंचायत घर पर अरसे से जड़े ताले न खुलने के चलते उक्त पंचायत भवन आज जंगल झाड़ी में तब्दील होकर अपनी दुर्दशा पर आंसू बहाते हुए पंचायती राज व्यवस्था की बदहाली की दास्तां बयां करते नजर आ रहे हैं।
कागजों पर चुस्त दुरुस्त चल रही यह व्यवस्था आंकड़ों की बाजीगरी में भले ही सरपट दौड़ रही हो पर जमीन पर यह बदहाली भ्रष्टाचार और जिम्मेदारों के लापरवाही पूर्ण कार्यशैली व उदासीन रवैया की पोल खोलती नजर आ रही है पंचायत भवनों की जमीनी हकीकत और इन पर मिलने वाली सुविधाओं की जमीनी पड़ताल को निकली अमर भारती दैनिक समाचार पत्र की टीम को नजारा कुछ और ही नजर आया अधिकांश पंचायत भवनों पर लटकता मिला ताला कई पंचायत भवन जो खुले मिले तो वहां शौचालय की स्थिति बदहाल दिखाई दी किसी पर पानी की टंकी नहीं तो किसी में बैठने की कुर्सियां ही नदारद मिली पंचायत भवन की इमारत महज शोपिस बनी खड़ी है सामान का अता पता ही नहीं है।
दर्जनोग्राम पंचायत के निवासी जनों के बताएं अनुसार पंचायत भवन के इमारत तो जरूर खड़ी है पर इस पर पंचायत सचिव कभी नहीं बैठते हैं और ना ही कोई सुविधा ही मिलती है पंचायत सहायक प्रधान की आओ भगत करके घर बैठे मानदेय ले रहे हैं और आम जनमानस अपने जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र सहित समस्त कार्यों के लिए इधर-उधर भगत फिरता देखा जा सकता है ग्राम पंचायत के निवासी लोगों का आरोप है पंचायत अधिकारी सरकार से नियुक्त पंचायत सहायकों से काम लेने की बजाय अपने द्वारा रखें प्राइवेट कर्मियों से काम कराया जाता है।
और पंचायत पर कभी नहीं आते अपने घर में बनाए गए कार्यालय से सभी काम संचालित किए जाने के आरोप लगाने के साथ-साथ ग्रामीणों द्वारा पंचायत सचिव पर अपने प्राइवेट कर्मियों द्वारा प्रत्येक काम के लिए अवैध वसूली किए जाने जैसे कई गंभीर आरोप भी लगाए हैं यही कारण है आज काफी पंचायत भवन मृत प्राय अवस्था व जंगल झाड़ी में तब्दील होकर रह गए हैं जिसका जीता जागता उदाहरण विकासखंड लखीमपुर की ग्राम पंचायत सोंठन में बना पंचायत भवन है जो पंचायती राज व्यवस्था की पोल खोलने को काफी है शीघ्र ही विकासखंड वार तथा ग्राम पंचायत वार पंचायत भवन के हालातो की जमीनी हकीकत की खबर प्रमुखता से प्रकाशित की जाएगी साक्ष्यओं सहित अमर भारती समाचार पत्र की पड़ताल जारी रहेगी।
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