कहानी कहने की परंपरा: दादी-नानी की गोद से वैश्विक मंच तक

कहानी कहने की परंपरा: दादी-नानी की गोद से वैश्विक मंच तक

जब शब्द नृत्य करते हैंभावनाएँ जागती हैंऔर समय की धारा में एक जादुई चित्र उभरता है—तब जन्म लेती है एक कहानी। हर साल 20 मार्च को मनाया जाने वाला विश्व किस्सागोई दिवस  केवल एक तारीख नहींबल्कि उस अनमोल परंपरा का उत्सव है जो मानव सभ्यता की नींव में बसी है। कहानियाँ सिर्फ शब्दों का संग्रह नहीं होतींवे समय की नदी में बहती जादुई लहरें हैंजो सुनने वाले को एक अनदेखे सफर पर ले जाती हैं और कहने वाले के मन को अभिव्यक्ति का आकाश देती हैं। यह दिन हमें याद दिलाता है कि हमारा वजूदहमारी पहचान और हमारा इतिहास—सब कुछ कहानियों के रंगीन धागों से बुना गया है। चाहे वह दादी-नानी की गोद में सुनी लोककथाएँ होंकिताबों में दर्ज ऐतिहासिक गाथाएँ होंया आज के डिजिटल मंचों पर वायरल होती कहानियाँ—हर कथा में जीवन को समझने और उसे नई नजर से देखने की शक्ति छिपी है।

विश्व किस्सागोई दिवस एक ऐसा अनुपम उत्सव हैजो कहानियों के अलौकिक आकर्षण को केंद्र में लाता है और मानव सभ्यता की अनमोल विरासत को संजोते हुए सांस्कृतिक एकता का प्रतीक बनता है। इसकी नींव 1991 में स्वीडन में पड़ीजब इसे "राष्ट्रीय किस्सागोई दिवस" के रूप में मनाया गयाकिंतु 2001 में यह "विश्व किस्सागोई दिवस" के रूप में वैश्विक मंच पर स्थापित हो गया। 2002 में स्कैंडिनेविया से आगे बढ़ते हुए, 2005 तक यह 25 देशों में अपनी पहचान बना चुका था। यह दिन मौखिक कथाओं और लोकसाहित्य की असीम शक्ति का उत्सव हैजहां हर साल एक नई थीम—2025 में "गहरा पानी"—कथाकारों को प्रेरित करती है।

इस थीम के अंतर्गत वे संकट की घड़ियोंजल के रहस्यमयी संसार या सागर की अथाह गहराइयों से कथाएं गढ़ते हैं। 20 मार्च को ये कथावाचक अपनी सम्मोहक कहानियों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देते हैं—ये कथाएं अतीत को जीवंत करती हैंनैतिकता की ज्योति प्रज्वलित करती हैं और भविष्य के लिए प्रेरणा का आलोक फैलाती हैं। यह आयोजन केवल कला का प्रदर्शन नहींबल्कि मानव रचनात्मकता और वैश्विक सामंजस्य का एक प्रदीप्त प्रतीक है।

कहानी कहना मानवता की सबसे पुरानी कला है। जब हमारे पूर्वज गुफाओं में आग के चारों ओर बैठते थेतब भी वे अपने अनुभवों को कहानियों में ढालते थे। उन कहानियों ने न केवल उनका मनोरंजन कियाबल्कि आने वाली पीढ़ियों को जीवन के सबकनैतिकता और साहस की प्रेरणा दी। आज भी यह सिलसिला जारी है। एक माँ अपने बच्चे को सोते वक्त जो कहानी सुनाती हैवह सिर्फ नींद लाने का जरिया नहीं होती—वह उसके कोमल मन में सपनों के बीज बोती है। एक लेखक जो अपनी किताब में समाज की सच्चाई उकेरता हैवह पाठक के विचारों को झकझोर देता है। कहानी केवल मनोरंजन का साधन नहींबल्कि एक दर्पण है जो हमें हमारा अतीत दिखाता हैएक खिड़की है जो भविष्य की झलक देता हैऔर एक पुल है जो हमें एक-दूसरे से जोड़ता है।

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डिजिटल युग ने कहानियों को नए पंख दिए हैं। पहले जो किस्से गाँव के चबूतरे पर या अलाव की गर्माहट में सुनाए जाते थेवे आज पॉडकास्ट की आवाज मेंवेब सीरीज़ के दृश्यों मेंऔर सोशल मीडिया के छोटे-छोटे वीडियो में जीवंत हो उठे हैं। टेक्नोलॉजी ने कहानी कहने के तरीके को बदला हैलेकिन उसकी आत्मा को नहीं छुआ। आज भी एक अच्छी कहानी सुनते ही हमारा मन उसमें खो जाता हैहमारी आँखों के सामने चित्र उभरने लगते हैंऔर हमारा दिल भावनाओं की लहरों में डूब जाता है। चाहे वह नेटफ्लिक्स पर कोई सीरीज़ हो या यूट्यूब पर कोई प्रेरक वीडियो—कहानी की वह ताकत अब भी बरकरार है जो हमें हँसाती हैरुलाती हैऔर सोचने पर मजबूर करती है।

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इतिहास गवाह है कि कहानियों ने समाज को बदलने में अहम भूमिका निभाई है। महाभारत और रामायण जैसी पौराणिक कथाएँ हमें धर्म और कर्म का पाठ पढ़ाती हैंतो मुंशी प्रेमचंद की कहानियाँ हमें गरीबी और अन्याय की कड़वी सच्चाई से रूबरू कराती हैं। भगत सिंह की डायरी के पन्ने और गांधी जी की आत्मकथा हमें आजादी के संघर्ष की कहानी सुनाते हैंजो आज भी युवाओं में जोश भर देती हैं। एक कहानी नायक को जन्म दे सकती हैएक क्रांति को प्रज्वलित कर सकती हैऔर एक समाज को नई दिशा दे सकती है। जब मार्टिन लूथर किंग ने अपने सपनों की कहानी सुनाईतो उसने नस्लवाद के खिलाफ एक आंदोलन खड़ा कर दिया। जब मलाला ने अपनी कलम से अपनी कहानी लिखीतो उसने शिक्षा के लिए लड़ने की प्रेरणा दी। कहानियाँ सिर्फ शब्द नहींबल्कि बदलाव का हथियार हैं।

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20 मार्च का यह दिन हमें न केवल कहानियाँ सुनने और सुनाने की प्रेरणा देता हैबल्कि यह भी याद दिलाता है कि हर इंसान के भीतर एक अनकही कहानी छिपी है। आपकी जिंदगी का वह छोटा-सा किस्साजो आपको हँसाता हैया वह अनुभवजो आपको रुला देता है—वह भी एक कहानी है। इस दिन हम यह संकल्प ले सकते हैं कि हम अपनी कहानियों को दुनिया के सामने लाएँगे। एक बच्चे को लोककथा सुनाएँगेएक दोस्त के साथ अपने जीवन का कोई यादगार पल साझा करेंगेया अपनी संस्कृति की गाथाओं को अगली पीढ़ी तक पहुँचाएँगे। कहानी कहना सिर्फ कला नहींबल्कि एक जिम्मेदारी है—खुद को और दूसरों को जोड़ने कीप्रेरित करने कीऔर दुनिया को बेहतर बनाने की।

कहानी सिर्फ शब्दों का संग्रह नहींयह अनुभवों का उजाला है—एक रोशनीजो न केवल हमारे भीतर के अंधेरे को मिटाती हैबल्कि दूसरों के जीवन में भी उजाला भरती है। जब हम कोई कथा कहते या सुनते हैंतो यह केवल संवाद नहींबल्कि एक यात्रा का आरंभ होता है—एक ऐसी यात्राजो समय की सीमाओं को लाँघकर अनंत तक पहुँचती है। 20 मार्चविश्व किस्सागोई दिवसकेवल एक तिथि नहींबल्कि एक अवसर है अपनी कहानियों को मुक्त करने काअपनी आवाज़ को नई ऊँचाइयाँ देने का। आपकी कहानीमेरी कहानीहमारी कहानीये वे धागे हैं जो दुनिया को जोड़ते हैंइसे संवेदनाओं की डोर में बाँधते हैं। तो आजअपने शब्दों को पंख देंअपने किस्सों को खुलकर बयां करें और उस जादू को महसूस करेंजो हर कहानी के भीतर छिपा होता है।

हर दिल में बस्ती है एक कहानी अधूरी,

सुनोकहोबनाओ इसे दुनिया की सबसे प्यारी सौगात पूरी,

जहां हर सपना सच होहर आंसू मुस्कान बन जाए,

और ये अधूरी कहानीप्यार की अनमोल निशानी कहलाए।

 

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