कहानी कहने की परंपरा: दादी-नानी की गोद से वैश्विक मंच तक
जब शब्द नृत्य करते हैं, भावनाएँ जागती हैं, और समय की धारा में एक जादुई चित्र उभरता है—तब जन्म लेती है एक कहानी। हर साल 20 मार्च को मनाया जाने वाला विश्व किस्सागोई दिवस केवल एक तारीख नहीं, बल्कि उस अनमोल परंपरा का उत्सव है जो मानव सभ्यता की नींव में बसी है। कहानियाँ सिर्फ शब्दों का संग्रह नहीं होतीं, वे समय की नदी में बहती जादुई लहरें हैं, जो सुनने वाले को एक अनदेखे सफर पर ले जाती हैं और कहने वाले के मन को अभिव्यक्ति का आकाश देती हैं। यह दिन हमें याद दिलाता है कि हमारा वजूद, हमारी पहचान और हमारा इतिहास—सब कुछ कहानियों के रंगीन धागों से बुना गया है। चाहे वह दादी-नानी की गोद में सुनी लोककथाएँ हों, किताबों में दर्ज ऐतिहासिक गाथाएँ हों, या आज के डिजिटल मंचों पर वायरल होती कहानियाँ—हर कथा में जीवन को समझने और उसे नई नजर से देखने की शक्ति छिपी है।
इस थीम के अंतर्गत वे संकट की घड़ियों, जल के रहस्यमयी संसार या सागर की अथाह गहराइयों से कथाएं गढ़ते हैं। 20 मार्च को ये कथावाचक अपनी सम्मोहक कहानियों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देते हैं—ये कथाएं अतीत को जीवंत करती हैं, नैतिकता की ज्योति प्रज्वलित करती हैं और भविष्य के लिए प्रेरणा का आलोक फैलाती हैं। यह आयोजन केवल कला का प्रदर्शन नहीं, बल्कि मानव रचनात्मकता और वैश्विक सामंजस्य का एक प्रदीप्त प्रतीक है।
कहानी कहना मानवता की सबसे पुरानी कला है। जब हमारे पूर्वज गुफाओं में आग के चारों ओर बैठते थे, तब भी वे अपने अनुभवों को कहानियों में ढालते थे। उन कहानियों ने न केवल उनका मनोरंजन किया, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को जीवन के सबक, नैतिकता और साहस की प्रेरणा दी। आज भी यह सिलसिला जारी है। एक माँ अपने बच्चे को सोते वक्त जो कहानी सुनाती है, वह सिर्फ नींद लाने का जरिया नहीं होती—वह उसके कोमल मन में सपनों के बीज बोती है। एक लेखक जो अपनी किताब में समाज की सच्चाई उकेरता है, वह पाठक के विचारों को झकझोर देता है। कहानी केवल मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि एक दर्पण है जो हमें हमारा अतीत दिखाता है, एक खिड़की है जो भविष्य की झलक देता है, और एक पुल है जो हमें एक-दूसरे से जोड़ता है।
डिजिटल युग ने कहानियों को नए पंख दिए हैं। पहले जो किस्से गाँव के चबूतरे पर या अलाव की गर्माहट में सुनाए जाते थे, वे आज पॉडकास्ट की आवाज में, वेब सीरीज़ के दृश्यों में, और सोशल मीडिया के छोटे-छोटे वीडियो में जीवंत हो उठे हैं। टेक्नोलॉजी ने कहानी कहने के तरीके को बदला है, लेकिन उसकी आत्मा को नहीं छुआ। आज भी एक अच्छी कहानी सुनते ही हमारा मन उसमें खो जाता है, हमारी आँखों के सामने चित्र उभरने लगते हैं, और हमारा दिल भावनाओं की लहरों में डूब जाता है। चाहे वह नेटफ्लिक्स पर कोई सीरीज़ हो या यूट्यूब पर कोई प्रेरक वीडियो—कहानी की वह ताकत अब भी बरकरार है जो हमें हँसाती है, रुलाती है, और सोचने पर मजबूर करती है।
इतिहास गवाह है कि कहानियों ने समाज को बदलने में अहम भूमिका निभाई है। महाभारत और रामायण जैसी पौराणिक कथाएँ हमें धर्म और कर्म का पाठ पढ़ाती हैं, तो मुंशी प्रेमचंद की कहानियाँ हमें गरीबी और अन्याय की कड़वी सच्चाई से रूबरू कराती हैं। भगत सिंह की डायरी के पन्ने और गांधी जी की आत्मकथा हमें आजादी के संघर्ष की कहानी सुनाते हैं, जो आज भी युवाओं में जोश भर देती हैं। एक कहानी नायक को जन्म दे सकती है, एक क्रांति को प्रज्वलित कर सकती है, और एक समाज को नई दिशा दे सकती है। जब मार्टिन लूथर किंग ने अपने सपनों की कहानी सुनाई, तो उसने नस्लवाद के खिलाफ एक आंदोलन खड़ा कर दिया। जब मलाला ने अपनी कलम से अपनी कहानी लिखी, तो उसने शिक्षा के लिए लड़ने की प्रेरणा दी। कहानियाँ सिर्फ शब्द नहीं, बल्कि बदलाव का हथियार हैं।
20 मार्च का यह दिन हमें न केवल कहानियाँ सुनने और सुनाने की प्रेरणा देता है, बल्कि यह भी याद दिलाता है कि हर इंसान के भीतर एक अनकही कहानी छिपी है। आपकी जिंदगी का वह छोटा-सा किस्सा, जो आपको हँसाता है, या वह अनुभव, जो आपको रुला देता है—वह भी एक कहानी है। इस दिन हम यह संकल्प ले सकते हैं कि हम अपनी कहानियों को दुनिया के सामने लाएँगे। एक बच्चे को लोककथा सुनाएँगे, एक दोस्त के साथ अपने जीवन का कोई यादगार पल साझा करेंगे, या अपनी संस्कृति की गाथाओं को अगली पीढ़ी तक पहुँचाएँगे। कहानी कहना सिर्फ कला नहीं, बल्कि एक जिम्मेदारी है—खुद को और दूसरों को जोड़ने की, प्रेरित करने की, और दुनिया को बेहतर बनाने की।
कहानी सिर्फ शब्दों का संग्रह नहीं, यह अनुभवों का उजाला है—एक रोशनी, जो न केवल हमारे भीतर के अंधेरे को मिटाती है, बल्कि दूसरों के जीवन में भी उजाला भरती है। जब हम कोई कथा कहते या सुनते हैं, तो यह केवल संवाद नहीं, बल्कि एक यात्रा का आरंभ होता है—एक ऐसी यात्रा, जो समय की सीमाओं को लाँघकर अनंत तक पहुँचती है। 20 मार्च, विश्व किस्सागोई दिवस, केवल एक तिथि नहीं, बल्कि एक अवसर है अपनी कहानियों को मुक्त करने का, अपनी आवाज़ को नई ऊँचाइयाँ देने का। आपकी कहानी, मेरी कहानी, हमारी कहानी—ये वे धागे हैं जो दुनिया को जोड़ते हैं, इसे संवेदनाओं की डोर में बाँधते हैं। तो आज, अपने शब्दों को पंख दें, अपने किस्सों को खुलकर बयां करें और उस जादू को महसूस करें, जो हर कहानी के भीतर छिपा होता है।
हर दिल में बस्ती है एक कहानी अधूरी,
सुनो, कहो, बनाओ इसे दुनिया की सबसे प्यारी सौगात पूरी,
जहां हर सपना सच हो, हर आंसू मुस्कान बन जाए,
और ये अधूरी कहानी, प्यार की अनमोल निशानी कहलाए।

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