ग्रामीणों का आरोप.... साहब!लेखपाल नाई आ रहे पंचायत, चौराहे पर बुलाए केरे काम केरे बदलेम मांगत हैं पईसा 

राज्य सरकार की 34 बीघा भूमि पर दबंगों का कब्जा

ग्रामीणों का आरोप.... साहब!लेखपाल नाई आ रहे पंचायत, चौराहे पर बुलाए केरे काम केरे बदलेम मांगत हैं पईसा 

ग्रामीणों ने जिलाधिकारी से की शिकायत

काकोरी, लखनऊ। थावर ग्राम पंचायत के ग्रामीणों ने जिलाधिकारी को शिकायती पत्र देकर लेखपाल पारस वर्मा पर अपनी मर्जी से कार्य करने पंचायत में न आने सहित कार्य के बदले सुविधा शुल्क लेने का आरोप लगाया है।आपको बता दें कि सदर तहसील में तैनात लेखपाल पारस वर्मा पर थावर पंचायत के ग्रामीणों ने जिलाधिकारी लखनऊ को शिकायती पत्र के माध्यम से आरोप लगाया है कि यह कभी गांव नहीं आते हैं,घरौनी बनाने, वरासत संबंधी कार्य करने में कोई रुचि नहीं दिखाते हैं।सभी ग्रामीणों के कार्य पेंडिंग पड़े हुए हैं।साथ ही ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया है कि किसी कार्य के लिए फोन करने पर लेखपाल गोपरामऊ चौराहे पर बुलाते हैं।साथ ही कार्य के बदले में सुविधा शुल्क भी मांगते हैं।
 
गोपरामऊ चौराहे से पुराना नाता
अगर बात करें लेखपाल की तो ग्रामीणों ने बताया कि गोपरामऊ चौराहे से लेखपाल का पुराना नाता है,अभी कुछ दिन पूर्व गोपरामऊ में चल रहे अवैध खनन में लेखपाल की संलिप्तता पाए जाने पर मंडलायुक्त के द्वारा निलंबित किया गया था।फिर बहाली करवाकर ग्रामीणों के कार्यों में शिथिलता बरत रहे हैं।
 
संलिप्तता या लापरवाही
शिकायती पत्र में ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया है कि राज्य सरकार की 34 बीघा भूमि पर दबंग कब्जा जमाए रखे हैं।कहने को तो पंचायत में लेखपाल सरकारी जमीनों के सुरक्षा मद में तैनात हैं,पर यहां तो कितने हाकिम राजस्व महकमे के आएं और गए लेकिन दबंग बेशकीमती जमीन पर से हटे ही नहीं।जमीन का कब्जा लेखपाल की कार्यशैली की पोल खोलता है।वहीं दबंगों के हौसले बुलंद हैं। इसमें लेखपाल की संलिप्तता समझी जाए या फिर लापरवाही।
 
क्या बोले जिम्मेदार
इस संबंध में जब लखनऊ जिलाधिकारी विशाख जी से संपर्क किया गया तो फोन उनके पीआरओ ने उठाया बताया कि साहब अभी मीटिंग में हैं बाद में बात होगी।

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