ओबरा में फूटा गुस्सा: बंद खदान बनी मासूम की कब्र, सुरक्षा व्यवस्था पर उठे तीखे सवाल

बंद खदान बनी मासूम की कब्र, सुरक्षा पर उठे गंभीर सवाल

ओबरा में फूटा गुस्सा: बंद खदान बनी मासूम की कब्र, सुरक्षा व्यवस्था पर उठे तीखे सवाल

बिल्ली मारकुंडो क्षेत्र की घटना

अजीत सिंह ( ब्यूरो रिपोर्ट) 

ओबरा/ सोनभद्र-

सोमवार का दिन ओबरा क्षेत्र के बिल्ली चढ़ाई इलाके के लिए एक और गहरा सदमा लेकर आया। बकरी चराने गई लगभग 18 वर्षीय पूनम गौड़, जो बिल्ली चढ़ाई पर अपने परिवार के साथ रहती थीं, मूल रूप से फाफड़ा कुंड क्षेत्र की निवासी थीं। वह एक बंद पड़ी खदान में फिसलकर लगभग 150 फीट नीचे जा गिरीं और उनकी दर्दनाक मौत हो गई।

इस हृदयविदारक घटना ने न केवल पूनम के परिवार को अथाह दुख में डुबो दिया है, बल्कि इलाके में मौजूद असुरक्षित बंद खदानों के प्रति लोगों के गुस्से को भी चरम पर पहुंचा दिया है। पूनम गौड़, लालमन गौड़ की तीसरी संतान थीं। तीन बेटियों और एक बेटे के परिवार में वह अपने माता-पिता की लाडली थीं।

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उनके पिता, जो अपनी रोजी-रोटी के लिए बिल्ली चढ़ाई पर रहते थे, निजी क्षेत्र में काम कर अपना जीवन यापन करते थे। परिवार में खुशी का माहौल था क्योंकि जल्द ही उनके विवाह की तैयारियां चल रही थीं। लेकिन विधि के विधान को कुछ और ही मंजूर था और उनकी असामयिक मृत्यु ने पूरे परिवार पर दुखों का पहाड़ तोड़ दिया है।

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पिता लालमन का करुण क्रंदन घटनास्थल पर मौजूद हर व्यक्ति की आंखें नम कर गया। यह दुखद घटना सोमवार दोपहर करीब 3:00 बजे घटी। जैसे ही यह हृदयविदारक समाचार क्षेत्र में फैला, शोक की लहर दौड़ गई और देखते ही देखते सैकड़ों ग्रामीण घटनास्थल पर जमा हो गए।

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अपनी बेटी के साथ हुए इस भयानक हादसे की खबर सुनकर पिता लालमन बदहवास हालत में मौके पर पहुंचे। खदान की अत्यधिक गहराई और उसमें उतरने के लिए किसी सुरक्षित मार्ग का अभाव बचाव कार्य के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया था। इसके बावजूद, छह साहसी ग्रामीणों ने अपनी जान की परवाह किए बिना मानवता का उत्कृष्ट उदाहरण पेश किया।

वे पहाड़ी के किनारे बने एक संकरे और खतरनाक रास्ते से होते हुए खदान में उतरे। अथक प्रयासों और मुश्किलों का सामना करने के बाद वे पूनम के निष्प्राण शरीर तक पहुंचने में सफल रहे और उसे ऊपर निकाला। पूनम के कोमल शरीर पर कई गंभीर चोटें आई थीं। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, उनके सिर, हाथ, पेट और सीने में गहरी चोटें थीं, जो उनकी तत्काल मृत्यु का कारण बनीं। पूनम का सांवला रंग और गोल चेहरा अब हमेशा के लिए शांत हो गया। घटना के समय उन्होंने हरे रंग का सूट और पायजामा पहना हुआ था।

घटना की सूचना मिलते ही ओबरा थाने के उप निरीक्षक राम सिंह यादव और सतीश कुमार सिंह भी तुरंत घटनास्थल पर पहुंचे। और इस दुखद घड़ी में पत्रकार सिंह भी घटनास्थल पर पहुंचे और उन्होंने शव को खदान से निकालने में ग्रामीणों की हर संभव सहायता की और स्थिति को नियंत्रित किया।

पुलिस ने पंचनामा भरकर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है और आगे की कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है। इस दुखद घटना ने पूरे ओबरा क्षेत्र को गहरे सदमे में डाल दिया है। हर कोई इस मासूम युवती की असामयिक मृत्यु पर गहरा शोक व्यक्त कर रहा है और पीड़ित परिवार के प्रति अपनी गहरी संवेदनाएं प्रकट कर रहा है। लेकिन इस शोक के साथ-साथ लोगों में गहरा आक्रोश भी व्याप्त है।

स्थानीय निवासियों का स्पष्ट आरोप है कि खनन माफियाओं द्वारा अंधाधुंध खनन करने के बाद इन खदानों को जानबूझकर असुरक्षित छोड़ दिया जाता है। न तो खदानों के किनारों पर कोई सुरक्षा दीवार बनाई जाती है और न ही उन्हें किसी प्रकार की घेराबंदी से सुरक्षित किया जाता है। ग्रामीणों का कहना है कि ऐसी घोर लापरवाही के कारण आए दिन न केवल इंसान बल्कि बेजुबान जानवर भी इन खदानों का शिकार होते रहते हैं।

लोगों का यह भी कहना है कि खनन करने वालों ने इन खदानों से अथाह धन कमाया, लेकिन इन्हें वापस भरकर क्षेत्र को सुरक्षित बनाने की कोई जहमत नहीं उठाई। जबकि सरकारी कागजों में खनन के बाद खदानों को भरने का स्पष्ट आदेश दिया गया है, लेकिन जमीनी स्तर पर इसका कोई अनुपालन नहीं होता है।

इस दर्दनाक घटना ने एक बार फिर क्षेत्र में मौजूद इन खतरनाक और असुरक्षित बंद खदानों की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर और तीखे सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय निवासियों ने प्रशासन से पुरजोर मांग की है कि ऐसी सभी खतरनाक खदानों को तत्काल प्रभाव से सुरक्षित किया जाए या उन्हें स्थायी रूप से बंद कर दिया जाए, ताकि भविष्य में किसी और मासूम को अपनी जान न गंवानी पड़े।

लोगों का कहना है कि यह महज एक दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना नहीं है, बल्कि प्रशासन और खनन माफियाओं की आपराधिक लापरवाही का प्रत्यक्ष परिणाम है, जिसकी कीमत एक गरीब परिवार को अपनी बेटी खोकर चुकानी पड़ी है।

पूनम की मौत न केवल उनके परिवार के लिए, बल्कि पूरे गांव के लिए एक अपूरणीय क्षति है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि प्रशासन इस हृदयविदारक घटना से कोई सबक लेता है या नहीं और क्षेत्र में मौजूद अन्य असुरक्षित खदानों के खिलाफ क्या ठोस कार्रवाई करता है।

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