अयोध्या की बेटी रागिनी बनी असिस्टेंट कमिश्नर
राष्ट्रीय स्तर की कठिन UPSC परीक्षा पास कर रचा इतिहास
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अयोध्या
मिल्कीपुर तहसील, कर्मदंडा, पूरे अमीर सिंह का पुरवा गांव की बेटी रागिनी यादव की कहानी आंसुओं, संघर्ष और अपार दृढ़ता की एक ऐसी दास्तान है, जो हर भारतीय के दिल को छू जाएगी।
गरीबी के साये में पली-बढ़ी रागिनी ने कच्चे मकान की दीवारों के बीच अपने सपनों को संजोया, बार-बार असफलताओं से टूटते हुए भी हार नहीं मानी, और यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (UPSC) की कठिन राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा पास कर असिस्टेंट प्रोविडेंट फंड कमिश्नर (APFC) का सम्मानजनक पद हासिल किया। यह जीत केवल उनकी नहीं, बल्कि हर उस परिवार की है जो आर्थिक तंगी और समाज की कठोर वास्तविकताओं से जूझता है।
कच्चे मकान की दरारों से निकली उम्मीद की किरण
रागिनी यादव, जिनके पिता श्री रामबाली यादव दिल्ली की एक प्राइवेट नौकरी में पसीना बहाते हैं और माता श्रीमती उत्तम लाली यादव दिन-रात परिवार की चिंता में डूबी रहती हैं, का बचपन अभावों में बीता। उनके दो छोटे भाई हिमांशु यादव और दीपांशु यादव के सपनों को संभालते हुए, परिवार का कच्चा मकान बारिश में लीक होता और सर्दी में ठंड से कांपता था। शिक्षा की शुरुआत डीडी पब्लिक स्कूल से हाई स्कूल (2014) से हुई, फिर पॉलीटेक्निक में मैकेनिकल इंजीनियरिंग का डिप्लोमा लिया, लेकिन नौकरी न मिलने का दर्द उन्हें तोड़ गया। मजबूरी में रास्ता बदला—आजाद आईसी पालिया कुचेरा से इंटरमीडिएट (2019), मां त्रिपला देवी डिग्री कॉलेज से बीए और बीएड की डिग्री हासिल की। 2022 में यूपी बीएड प्रवेश परीक्षा में 359.66 अंक लेकर टॉपर बनीं, लेकिन यह सफर आसान नहीं था।
असफलताओं के आंसुओं से सींचा सपनों का पौधा
रागिनी की जिंदगी कई परीक्षाओं में असफलताओं के गहरे घावों से भरी है। हर असफलता के बाद परिवार की उम्मीदों का बोझ और बढ़ता गया। प्रयागराज की गलियों में छोटे बच्चों को होम ट्यूशन देकर और एक कोचिंग में पार्ट-टाइम काउंसलर की नौकरी करके उन्होंने अपने सपनों को जिंदा रखा। रातों की नींद हराम, आंखों में आंसू, और दिल में हिम्मत—इसी से उन्होंने UPSC की राह बनाई। आर्थिक तंगी ने उन्हें तोड़ा, लेकिन उनके हौसले ने उन्हें संभाला।
दर्द के बीच मिला सहारा: अखिलेश यादव का साथ
इस दर्द भरे सफर में, जब उम्मीदें धूमिल पड़ने लगीं, समाजवादी नेता अखिलेश यादव ने रागिनी के परिवार को आर्थिक सहायता का हाथ बढ़ाया। यह मदद उनके घावों पर मरहम बनी और परिवार की आंखों में नई चमक लाई। पिता रामबाली की मेहनत, माता उत्तम लाली की दुआएं, भाइयों हिमांशु और दीपांशु का प्यार, और गुरुजनों का मार्गदर्शन—इन सबके सहारे रागिनी ने 159 पदों के लिए आयोजित UPSC परीक्षा में अपनी जगह बनाई, जैसा कि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने घोषित किया। प्रतापगढ़ के अरहम सिद्दीक ने तैयारी के दौरान आर्थिक मदद और मार्गदर्शन की थी।
रागिनी की आंखों में छिपे आंसुओं के बीच एक मुस्कान है। वे कहती हैं, "मेरी जीत मेरे माता-पिता, भाइयों और गुरुजनों के बलिदान, अखिलेश यादव जी की मदद, और मेरे दर्द से सींचे गए परिश्रम का फल है। मैं हर उस बच्चे से कहना चाहती हूं, जो रातों में आंसू बहाता है—तुम्हारा दर्द तुम्हें कमजोर नहीं, बल्कि मजबूत बनाएगा।" उनकी यह कहानी समाज के हर कोने में गूंज रही है, हर मां-बाप के लिए आशा और हर युवा के लिए प्रेरणा बन रही है। यह साबित करती है कि दर्द और संघर्ष से ही विजय की मंजिल मिलती है। रागिनी की कामयाबी पर मित्रगण सुरेंद्र वर्मा, प्रदीप वर्मा, अरुणिमा ,चंदा कुशवाहा, शुभम वर्मा ने खुशियां व्यक्त की।
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