देख सुदामा की दीन दशा,करुणा करके करुणानिधि रोये

देख सुदामा की दीन दशा,करुणा करके करुणानिधि रोये

देख सुदामा की दीन दशा,करुणा करके करुणानिधि रोये


रिपोर्ट/सुदर्शन शुकल
सहजनवां /गोरखपुर ।

पिपरौली क्षेत्र के बसुधा में आयोजित श्रीराम यज्ञ में श्रीकृष्ण सुदामा की मित्रता की हुई कथा।

सहजनवा गोरखपुर-पिपरौली क्षेत्र के ग्रामसभा बसुधा में चल रहे श्रीराम यज्ञ के अंतिम दिन मंगलवार को व्यास पीठ से वृंदावन से पधारी श्री कृष्ण दासी जी ने कृष्ण सुदामा मित्रता कथा का रसपान कराया।उन्होंने कहा कि कृष्ण राजपरिवार के थे, और इनके बाल सखा सुदामा एक गरीब ब्राह्मण परिवार से थे।लेकिन दोनों की गहरी मित्रता बचपन से थी। धीरे धीरे समय के साथ उम्र भी बीतता गया।

 कृष्ण द्वारिका के राजा बने और सुदामा बेचारे गरीब ही रहे। एक दिन सुदामा के बच्चे भूख से रो रहे थे। यह ह्रदय विदारक दृश्य सुदामा की पत्नी से देखा नही गया। तब सुदामा से बोलीं आप कहते हैं कि द्वारका के राजा कृष्ण आपके मित्र हैं, तो एक बार क्यों नहीं उनके पास चले जाते ?हो सकता है आपकी गरीबी दूर कर दें। इस पर सुदामा बड़ी मुश्किल से अपने सखा कृष्ण से मिलने के लिए तैयार हुए।पड़ोस से चार मुट्ठी चावल उपहार स्वरूप लेकर कृष्ण से मिलने निकल गए।

सुदामा द्वारका पहुंचकर दरवाजे पर खड़े पहरेदारों से कहा कि हम आपके  राजा कृष्ण के मित्र है। हमें उनसे मिलना है।मित्र शब्द सुनकर द्वारपालों ने एक बार सुदामा को ऊपर से नीचे तक देखा। तब द्वारपालों ने जाकर कृष्ण को बताया कोई गरीब उनसे मिलने आया है। वह अपना नाम सुदामा बता रहा है। द्वारपाल के मुंह से "सु" शब्द सुनते ही कृष्ण नंगे पांव सुदामा से मिलने के  लिए दौड़ पड़े। यह दृश्य देखकर सभी लोग हैरान हो गए।

कृष्ण सुदामा को अपने महल में ले आए। खूब आदर सत्कार किया।मिलने की खुशी में दोनों के आंखों से आसुओं की धारा बहने लगी। आगे कृष्ण ने सुदामा से पूछा कि भाभी ने उनके लिए क्या भेजा है? इस पर सुदामा संकोच में पड़ गए और चावल की पोटली छुपाने लगे। 
 

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