जानिए, दिनकर के नाम पर वायरल कविता “ये नववर्ष हमे स्वीकार नही” का सच…
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स्वतंत्र प्रभात (प्रत्यक्ष मिश्रा) नववर्ष के त्योहार पर कविताओं का दौर कई दिन पहले ही स्टार्ट हो गया था और बाद मे भी दो दिन तक चलता रहा। इस मौके पर हिन्दी के प्रसिद्ध लेखक और साहित्यकारों की रचनाएं वायरल हो रही थी इनमें से ही सबसे ज्यादा वायरल होने वाली कविता थी –
स्वतंत्र प्रभात (प्रत्यक्ष मिश्रा)
नववर्ष के त्योहार पर कविताओं का दौर कई दिन पहले ही स्टार्ट हो गया था और बाद मे भी दो दिन तक चलता रहा। इस मौके पर हिन्दी के प्रसिद्ध लेखक और साहित्यकारों की रचनाएं वायरल हो रही थी इनमें से ही सबसे ज्यादा वायरल होने वाली कविता थी – “ ये नववर्ष हमें स्वीकार नही” यह रचना राष्ट्रकवि रामधारी सिंह “दिनकर” के नाम से वायरल हो रही थी।
यह हिन्दी के प्रसिद्ध संस्थानो पर भी जमकर वायरल हुई। किसी नेे इसकी पुष्टि नही की। यह रचना किसकी है ?? जब हमनेे इसकी पड़ताल की तो हमे वेबसाइट पर अकुुुर “आनंद” की टिप्पणी मिली, जहांं अंकुर ने लिखा –
“संपादक महोदय
नमस्ते
ये रचना दिनकर जी की नहीं अपितु मेरी मौलिक रचना है –
अंकुर आनंद
१५९१/२१ आदर्श नगर , रोहतक .
यदि प्रमाण चाहिए तो अपना व्हाट्स अप नंबर भेजें
ये मेरी मौलिक रचना है , कृपया संशोधन कर लें I अपना ईमेल बताएं , ताकि आपको प्रमाण भेजे जा सकें I
प्रस्तुत कविता रामधारी सिंह दिनकर जी की नहीं है I ये अंकुर ‘आनंद’ , १५९१/२१ , आदर्श नगर , रोहतक (हरियाणा ) की मौलिक रचना है I ये रचना दिनकर जी की किसी पुस्तक में नहीं मिलेगी “
आखिर में अंकुर के बारें जानकारी हासिल करके, इस कविता का सच निकल ही आया, कि यह रचना अंकुर “आनंद” की ही है ना कि रामधारी सिंह “दिनकर” की।
इस कविता के बारे में संशय का पैदा होना ,दिनकर की रचनाएं और भाषा शैली होना है, अर्थात दिनकर का व्यक्तित्व भी इस कविता के करीब नही है।
उपरोक्त जानकारी अंकुर द्वारा बिल्कुल सटीक दी गई है। अंकुर सन् 2017 से क्वोरा वेब प्लेटफॉर्म पर भी लिखते हैं। फिलहाल अंकुर स्वतंत्र लेखन करते हैं।
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