hindi kavita
कविता/कहानी  साहित्य/ज्योतिष 

संजीव-नी। लंबी उम्र की ना दुआ किया करो।

संजीव-नी। लंबी उम्र की ना दुआ किया करो। संजीव-नी। लंबी उम्र की ना दुआ किया करो।    मोहब्बत में दर्द छुपा लिया करो, दर्द के छालों को छुपा लिया करो।    आशिकी छुपाना होती नहीं आसां, जमाने को मेरा नाम बता दिया करो।    हर दर्द की दास्तां होती है जुदा...
Read More...
कविता/कहानी  साहित्य/ज्योतिष 

संजीव-नी। फूलों से दो पल,मुस्कुराना सीख लेते है।

संजीव-नी। फूलों से दो पल,मुस्कुराना सीख लेते है। संजीव-नी।    फूलों से दो पल,मुस्कुराना सीख लेते है।    आओ उजालों से कुछ सीख लेते है, ताज़ी हवाओ से उमंगें भर लेते हैं।    जमाने की तमाम बुराई रखे एक तरफ, फूलों से दो पल,मुस्कुराना सीख लेते है।    पतझड़ में पत्तो को...
Read More...
कविता/कहानी  साहित्य/ज्योतिष 

सामना

सामना सामना रुख पहाड़ों की तरफ कियातो समझ आयाजन्नत इस धरा पर भी है। रुख बादलों की तरफ कियातो समझ आयाबदमाशी इनमें भी है। रुख बहती नदी की तरफ कियातो समझ आयाजीवन का बहाव इनमें...
Read More...
कविता/कहानी  साहित्य/ज्योतिष 

सामंजस्य

सामंजस्य सामंजस्य    जब आहत  ह्रदय शमशान बन जाए तो उसमें लाशे नहीं  भावनाएं राख हुआ करती है।    जब विश्वासी हृदय में बिखराव आ जाए तो अपने और पराए नहीं बस मौन रहा करता है।    जब वेदिती हृदय राख बन जाए है...
Read More...
कविता/कहानी  साहित्य/ज्योतिष 

जंग सियासी है विचार से जीतेंगे

जंग सियासी है विचार से जीतेंगे जंग सियासी है विचार से जीतेंगे    हम नफरत से नहीं, प्यार से जीतेंगे जंग सियासी है, विचार से जीतेंगे    शस्त्र हमारा सत्याग्रह है सदियों से उनको लगता है कटार से जीतेंगे    जनादेश लेकर आएंगे जनता से जनादेश वे ,लूटमार से...
Read More...
कविता/कहानी  साहित्य/ज्योतिष 

दुश्मनी का ये अंदाज हमें पसन्द आया।।

दुश्मनी का ये अंदाज हमें पसन्द आया।। संजीव नी।    दुश्मनी का ये अंदाज हमें पसन्द आया।।    बड़ी शिद्दत से निभाई है तुमने अदावत, दुश्मनी का ये अंदाज हमें पसन्द आया।।    मासूम हो,रंजिश करने की नहीं उमर, गुस्सा होता चेहरा लाल हमें पसंद आया।    रकीब की तरह तिरछी...
Read More...
कविता/कहानी  साहित्य/ज्योतिष 

कत्ल हुआ इस तरह हमारा किश्तों में

कत्ल हुआ इस तरह हमारा किश्तों में कत्ल हुआ इस तरह हमारा किश्तों में ,कभी खँजर बदल गये कभी कातिल ।शामिल था मै किश्तों में तेरी जिंदगी में,कभी मुझे ख़ारिज किया कभी शामिल।बड़े दिनों बाद रौशनी लौटी है शहर में,आज पकड़ा गया...
Read More...
कविता/कहानी  साहित्य/ज्योतिष 

संस्कार

संस्कार संस्कार वो जाति वो मज़हबकिस काम काजो सीखा ना सकेंपरायों से भी अपनापन। वो धर्म वो परंपराएकिस काम कीजो बात ना सकेंइंसान को इंसानियत। वो अपने वो पराएकिस काम केजो काम ना...
Read More...
संपादकीय  स्वतंत्र विचार 

संजीव-नी। ना करो अन्न की बर्बादी

संजीव-नी। ना करो अन्न की बर्बादी       ना करो अन्न की बर्बादी, भुखमरी पर है यह भारी, चारों तरफ छाई है गरीबी, भुखमरी और बेचारी, भोजन की अनावश्यक बर्बादी पूरी दुनिया पर पड़ रही है भारी।    थाली में लो भोजन उतना खा सको हो तुम जितना,   खाना...
Read More...
कविता/कहानी  साहित्य/ज्योतिष 

मंहगे हो गये शंकर बेटा 

मंहगे हो गये शंकर बेटा  चुभ गये कांटे कंकर बेटामंहगे हो गये शंकर बेटा दर्शन,भोग आरती सबकेहो गये रेट भयंकर बेटा खतरे में हिंदुत्व नहीं हैखतरे में अभ्यंकर बेटा भोलै से मिलना है मुश्किलखुदवा ले तू बंकर बेटा जजिया कर से...
Read More...
कविता/कहानी  साहित्य/ज्योतिष 

क्यूँ ?

क्यूँ ? क्यू तुम मेरे व्यक्तित्व पर अपना व्यक्तित्व थोपते हो ? क्यू मेरे इंन्द धनुषी स्वपनो को अपनी इच्छाओं के काले बादल से ढकते हो क्यूं मेरे हिरन रूपी मन के पैरों में अपने आदेशों की बेडियाँ जकड़ते हो?   क्यूँ क्यू...
Read More...

Advertisement