hindi kavita
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Read More... संजीव -नी।
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By Swatantra Prabhat Desk
कविता, चलो थोडा मुस्कुराते है।।चलो थोडा मुस्कुराते हैइस दवा को आजमाते है.कठिनाई में खिलखिलाते है,मुसीबत में भी मुस्कुराते हैं।जिसकी आदत है मुस्कुराना,वो ही ज़माने को झुकाते है।मायुसी विषाद की जड़ होती है,उदासी...
Read More... संजीव-नी।
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By Swatantra Prabhat Desk
कविता, प्यारी मां तेरी जैसी l स्वरूपा नारी सर्वत्र पूजनीय) पुरुषों को स्त्रियों का कृतज्ञ होना चाहियेl हर किसी की माँ हो, माँ हो मेरी जैसी, हर नारी लगती प्यारी मुझे मां जैसीl रोटी के इंतजाम में गई मां की...
Read More... कविता
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By Swatantra Prabhat Desk
दुनिया आजमाती रही मुझे संजीव। अपने अंदाज ही बड़े निराले हैं प्यार के जख्म दिल में पाले हैं। मौज करते हैं मांग मांग कर जो मजबूत हाथ पैर वाले हैं। जिंदगी में जो रंगीन दिखते हैं दिल के कुछ गोरे...
Read More... संजीवनी।
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By Swatantra Prabhat Desk
क्रूरता की परिणति युद्ध। युद्ध के बाद बड़ा पश्चाताप ही परिणति होती है, अक्सर होता है ऐसा देश या इंसान दुख और पश्चाताप में डूब जाता है हमेशा के लिए। युद्ध, हिंसा, किसी समस्या का हल नहीं। फिर क्यों लोग...
Read More... संजीव-नी।
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By Swatantra Prabhat Desk
व्यंग। हिंदी दिवस l नेशनल हिन्ढी डे ? एक अंग्रेज नुमा नेता जी हिंदी दिवस पर आये,करने भाषण बाजी । बोले, लेट अस सेलिब्रेट एन एन्जॉय हिंदी डे, मुझे हिंदी अच्छी नही आती मेरे पूरे परिवार को नही भाती, मेरा...
Read More... संजीव-नी|
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By Swatantra Prabhat Desk
हिंदुस्तान की सच्ची तस्वीर। नल पर अकाल की व्यतिरेक ग्रस्त जनानाओं कीआत्मभू मर्दाना वाच्याएं।एक-दूसरे के वयस की अंतरंग बातों,पहलुओं कोसरेआम निर्वस्त्र करती,वात्या सदृश्य क्षणिकाएं,चीरहरण, संवादों सेआत्म प्रवंचना, स्व-स्तुति,स्त्रियों के अधोवस्त्रों में झांकती...
Read More... संजीव-नीl
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By Swatantra Prabhat UP
उनके अंदाज ही अलहदा निराले हैंlउनके अंदाज ही अलहदा निराले हैंइश्क के जख्म हमने दिल में पालें हैं।मौज करते हैं भीख मांग-मांग करजो मजबूत साबुत हाथ पैर वाले हैं।जिंदगानी की उमंग में उड़ते पंछीकुछ...
Read More... संजीव-नी|
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कैलेंडर चुप क्यों है, चिथडी दीवारों पर, रूआंसे उधडे पलस्तर, और केलेंडर आमने सामने, एक दूसरे को फूटी आंखों भी नहीं सुहाते, साथ रहना, रोना, खासना, मजबूरी थे सब, वैसे भी...
Read More... संजीव-नी।
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प्रभु साथ दो मेराl प्रभु साथ दो मेराl जहां भी हो अंधेरा राह में सत्य की सदैव साथ हो तेराl जहां लोभ का डेरा पथ में न्याय के चलूं मैं अकेला प्रभु साथ दो मेराl वासना के प्रबल आंधी तूफान...
Read More... कविता,
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मोमिता हम शर्मिंदा है। क्या हम कहीं खो गए हैं क्या हम कहीं सो गए हैं या नपुंसकता की हद तक हम सब मजबूर हो गए हैं? क्या ऐसा तो नहीं कि हम हृदयहीन हो गए हैं गुड़िया और चिड़िया...
Read More... संजीव-नी।
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युग निर्मात्री नारी। कम ना आंको नारियों की शक्ति को, मां दुर्गा के प्रति इनकी भक्ति को। दुश्मनों का नाश करती मां भवानी अलौकिक अद्भुत है नारी हिंदुस्तानी। घर परिवार मुख्य धुरी है देश की नारी, उसे कभी मत समझो...
Read More... संजीवनी।
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By Swatantra Prabhat UP
(रक्षाबंधन का पवित्र पर्व)यह पवित्र रेशमी बंधन।भेज रही हूं तुम्हें सीमा परयह पवित्र रेशमी बंधनऔर मांग रही हूं एकअटूट और साहसिक वचन,इसे केवल रेशमी धागाना समझना मेरे भैयायह हर बहन की, हर...
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