खारिज करने लायक नहीं है सम्भल मंदिर से उपजे सवाल!
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यह न तो बांग्लादेश का मामला है न बंटवारे के बाद का पाकिस्तान का इलाका है और न ही हिन्दुओं को पलायन के लिए मजबूर करने के बाद काश्मीर का कोई इलाका है यह उत्तर प्रदेश के संभल का एक मौहल्ले का मामला है जहां कट्टरपंथी तत्वों ने पूर्ववर्ती मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति वाली राज्य सरकारों की ढिलाई के चलते एक मंदिर को ही कब्जा कर बंद कर दिया और उसकी कुछ मूर्तियां खंडित कर कुएं में फेंक दी। यहां 1978 की सांप्रदायिक हिंसा में 184 हिन्दुओं को कत्ल कर दिया गया था और इस मंदिर को कब्जा लिया गया था। जी हां इसी संभल में हाल ही में खोले गए 46 साल पुराने शिव मंदिर से लगातार चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। पहले जहां मंदिर में शिवलिंग और हनुमान जी की मूर्ति मिली थी, वहीं अब मंदिर के परिसर में मौजूद कुएं की खुदाई के दौरान मां पार्वती, गणेश जी और कार्तिकेय जी की प्राचीन मूर्तियां मिली हैं।
उत्तर प्रदेश के संभल में मुस्लिम बहुल इलाके में 46 साल पुराने मंदिर का पता चलने के बाद राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का बयान आया है. सीएम ने रविवार को कहा कि संभल में इतना प्राचीन मंदिर क्या रातोरात प्रशासन ने बना दिया? क्या वहां बजरंगबली की इतनी प्राचीन मूर्ति रातों-रात आ गई? मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि उन दरिंदों को आज तक सजा क्यों नहीं मिली, जिन्होंने 46 वर्ष पहले संभल में नरसंहार किया था? इस पर चर्चा क्यों नहीं होती हैमालूम हो कि शनिवार को मंदिर का पता चलने के बाद रविवार को पूजा-पाठ किया गया. हिंदू संगठन के लोग मंदिर में पूजा अर्चना के लिए पहुंचे. मंदिर में विधि विधान व मंत्रोचारण के साथ पूजा संपन्न होने के बाद आरती की गई।
इलाके में बिजली चोरी की चेकिंग के दौरान मंदिर होने की जानकारी सामने आई थी. मस्जिदों और घरों में छापेमारी के दौरान बड़े पैमाने पर बिजली चोरी के खुलासे हुए. लेकिन इसी दौरान शनिवार सुबह पुलिस तब हैरान रह गई जब दीपा राय इलाके में चेकिंग के समय अचानक एक मंदिर मिल गया जो कि सन 1978 का बताया जा रहा है। 46 सालों से बंद पड़ा ये मंदिर सपा सांसद जियाउररहमान बर्क के घर से 200 मीटर की दूरी पर मिला है. मंदिर के अंदर हनुमान जी की प्रतिमा, शिवलिंग और नंदी स्थापित हैं. फिलहाल यहां डीएम और एसपी ने सुरक्षा के चाक-चौबंद व्यवस्था की है।
संभल के क्षेत्राधिकारी अनुज चौधरी ने कहा कि ये मंदिर कई सालों से है. 1978 में जब दंगा हुआ था तब भी मंदिर यहीं था. यहां सभी को पता है कि दंगे के बाद यहां से हिंदू छोड़कर चले गए थे. मंदिर की जानकारी सामने आने के बाद खुदाई में यहां एक कुआं भी मिला है. इस कुआं को ढका गया था। मकान बनाकर मंदिर पर कब्जे की बात सामने आई है एडिशनल एसपी श्रीश चंद्र ने बताया, चेकिंग के दौरान पता चला कि कुछ लोगों ने मकान बनाकर मंदिर पर कब्जा कर लिया है. मंदिर की साफ-सफाई करा दी गई है और जिन लोगों ने मंदिर पर कब्जा किया है उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. वहां पर मंदिर में भगवान शिव और हनुमान जी की मूर्तियां हैं. किसी समय में इस क्षेत्र में हिंदू परिवार रहते थे और कुछ कारणों से उन्होंने यह क्षेत्र छोड़ दिया था.
'मंदिर के पास स्थित प्राचीन कुआं' पिछले 46 साल की ज्यादती के सबूत उगल रहा है।
डीएम संभल राजेंद्र पैंसिया के अनुसार मुस्लिम आबादी के बीचो-बीच बंद पड़े मिले मंदिर के पास एक प्राचीन कुएं के होने के बारे में भी जानकारी मिली. कुएं की खुदाई की जा रही है. मंदिर के आसपास के इलाके में किया गया अतिक्रमण भी ध्वस्त किया जाएगा। आप को बता दें कि जिला प्रशासन द्वारा मंदिर के पुनर्निर्माण के दौरान कुएं की सफाई का काम शुरू किया गया था। इस दौरान मिट्टी हटाने पर ये तीनों मूर्तियां मिलीं। इनमें से एक मूर्ति संगमरमर की है और कार्तिकेय जी की मानी जा रही है। हालांकि, अन्य दो मूर्तियां थोड़ी खंडित अवस्था में मिली हैं।
मिली हुई मूर्तियों की प्राचीनता का पता लगाने के लिए पुरातत्व विभाग को सूचित कर दिया गया है। जल्द ही इन मूर्तियों की कार्बन डेटिंग कराई जाएगी ताकि इनकी सही उम्र का पता चल सके। डिप्टी एसपी अनुज चौधरी ने बताया कि मंदिर से मिली सभी मूर्तियों को सुरक्षित रख लिया गया है। कुएं की खुदाई का काम फिलहाल रोक दिया गया है और कुएं को ढक दिया गया है। उन्होंने कहा कि इस खोज से इतिहासकारों और पुरातत्वविदों के लिए एक नया अध्याय खुल गया है। बताया गया है कि यह मंदिर 1978 से बंद पड़ा था। स्थानीय लोगों के अनुसार, 1978 में हुए सांप्रदायिक दंगों के बाद से इस मंदिर को बंद कर दिया गया था। मंदिर के पुनर्निर्माण के बाद इसे 15 दिसंबर को फिर से खोला गया था। लोगों द्वारा आज सोमवार को तीसरे दिन भगवान शिव का जलाभिषेक कर आरती की गई। इसके बाद हनुमान जी की आरती भी की गई। वही मंदिर में भक्तों की भीड़ जुटना भी शुरू हो गई है।
संभल की एसडीएम वंदना मिश्रा ने बताया था कि हम विद्युत चोरी के खिलाफ अभियान चला रहे थे और जगह-जगह जाकर चेक कर रहे थे, तो इस स्थान पर भी पहुंचे। यहां पर एक मंदिर दिखाई दिया। इसके बाद मैंने जिलाधिकारी से इस मंदिर को खोलने की अनुमति ली और अब हम सभी लोग इस मंदिर का निरीक्षण करने के लिए यहां आए हैं। मंदिर के अंदर हनुमान जी की मूर्ति और शिवलिंग पाए गए, जिन्हें स्थानीय लोगों ने बताया कि यह मंदिर 1978 से बना हुआ है। बहरहाल स्पष्ट है कि हिन्दू मुसलिम दंगों के दौरान तत्कालीन राज्य सरकारों की नीति मुस्लिम तुष्टिकरण और हिन्दुओं के साथ दोहरा बर्ताव करने की रही इसी का परिणाम है कि दंगों में इकतरफा ढंग से करीब 184 हिन्दू समाज के लोगों की जान गयी थी और सरकारी अधिकारियों की लापरवाही और लचीला रुख का ही नतीजा है कि मंदिर को बंद कर कुछ मूर्तियां विध्वंस कर जमीन व भवन पर बलात कब्जा कर लिया गया जिसकी कलई अब राज्य सरकार के बिजली चोरों के खिलाफ चलाए गए अभियान के दौरान खुल कर सामने आयी है।
यह वही बाबरी मानसिकता है जो विध्वंस में यकीन रखते हैं दूसरे समुदाय के धार्मिक स्थलों को कब्जाने में यकीन रखते हैं एक मुहल्ले के सौ से अधिक घरों में बिजली लेकिन कनेक्शन सिर्फ एक चेकिंग करने वाले को अराजक तत्वों का सामना करना पड़ता है यही नहीं पांच मजहबी स्थल अवैध बिजली कनेक्शन बांटने का फीडर बतौर इस्तेमाल किए जा रहे थे ।क्या कोई धर्म चोरी सीनाजोरी सिखाता है? देखना है कि अब सरकार इस मामले में कितना गंभीर व सख्त कदम उठाने का प्रयास करती है।
मनोज कुमार अग्रवाल
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)
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