फिर दिखाना होगा 1971 वाला जलवा
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बांग्लादेश में हिन्दूओं पर अत्याचार दिन प्रति दिन बढ़ता जा रहा है। आज कहां है वो अंतराष्ट्रीय समुदाय जो भारत में रह रहे खुशहाल और अधिकार प्राप्त अल्पसंख्यकों के लिए अपनी बनावटी चिंता का प्रदर्शन समय-समय पर करता रहता है। क्यों कहीं से कोई आवाज नही आ रही। क्यों कोई बांग्लादेशी हिंदू अल्पसंख्यकों को सहायता नही भेज रहा। क्यों अंतरराष्ट्रीय संगठन बांग्लादेश की सरकार पर हिंदू नरसंहार रोकने के लिए दबाब नही बना रहा। क्यों मानव अधिकार वाले आज अपनी छाती नही पीट रहे। बांग्लादेशी शासन पर जबरदस्ती काबिज हुई कट्टरपंथी सरकार के संरक्षण में सम्पूर्ण बांग्लादेश में हिन्दुओं का नरसंहार हो रहा है और किसी भी अंतर्राष्ट्रीय मंच पर कोई चर्चा नही।
निर्दोष अल्पसंख्यकों को चुन चुन के मारा जा रहा है। अल्पसंख्यक महिलाओं और बच्चियों का बलात्कार कर उन्हें मौत के घाट उतारा जा रहा है। उनके घर, दुकान और सम्पत्तियों को जलाया जा रहा है। मंदिरों को तोड़ा और जलाया जा रहा है। हिन्दू साधुओं को देश द्रोही कह जेलों में ठूंसा जा रहा है। वैसे तो पहले भी यहां का हिंदू समुदाय यह सब झेलता रहा है परन्तु 5 अगस्त के बाद तो हालात बेहद खतरनाक और बुरे हो गए हैं। आज बांग्लादेश की बागडोर उन हाथों में है जिनका विश्वास लोकतंत्र एवं मानवाधिकार मे बिल्कुल भी नहीं है और जिसका प्रमाण सत्ता प्रायोजित हिंसा है। 1971 में हमारी मेहरबानी में जिस देश का जन्म हुआ वहां आज हमारे ही भाई-बहनों का जीना असंभव हो गया है। पाकिस्तान के अत्याचारों से आजाद कराने और बांग्लादेश को तरक्की के रास्ते पर ले जाने में भारत ने सदा प्रमुख भूमिका निभाई है।
आज के बांग्लादेश और अतीत के पूर्वी पाकिस्तान में हिंदुओं की जनसंख्या 1951 में 22 प्रतिशत थी। साल 2022 आते-आते यह घटकर 8 प्रतिशत से भी कम हो गई है। वहीं मुसलमानों की आबादी 1951 में 76 प्रतिशत थी, जो अब बढ़कर 91 प्रतिशत से ज्यादा हो गई है। बांग्लादेश की कुल जनसंख्या करीब साढ़े 17 करोड है। अगर आबादी के लिहाज से देखें तो हिन्दू धर्म बांग्लादेश का दूसरा सबसे बड़ा धर्म है। भारत ने बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं को लेकर गंभीर चिंता जाहिर की है। बेशक हिंदुओं के जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा करने की प्राथमिक जिम्मेदारी ढाका में अंतरिम सरकार की है।
बेशक भारत घोषित हिन्दू राष्ट्र नही है परन्तु हिन्दू बहुल राष्ट्र तो है। जैसे इजरायल यह मानता है कि विश्व के किसी भी कोने में रहने वाला यहूदी इजरायल का नागरिक है और उसकी रक्षा की जिम्मेदारी इजरायल की है। इसी तर्ज पर भारत को भी ऐसी ही घोषणा करनी चाहिए। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने लोकसभा में कहा कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के साथ हो रही हिंसा भारत के लिए चिंता का विषय है। नई दिल्ली को उम्मीद है कि ढाका उनकी सुरक्षा के लिए कदम उठाएगा। विदेशमंत्री ने कहा कि भारत को उम्मीद है कि बांग्लादेश में नई सरकार भारत के साथ पारस्परिक रूप से लाभकारी स्थिर संबंध स्थापित करेगी। जयशंकर ने शुक्रवार को प्रश्नकाल के दौरान कहा कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के साथ हिंसात्मक व्यवहार चिंता का विषय रहा है क्योंकि उन पर हमलों की कई घटनाएं हुई हैं।
हमने अपनी चिंताओं की ओर उनका ध्यान आकर्षित किया है। वहां हिंदुओं पर बहुत हमले हुए हैं। हाल ही में विदेश सचिव ने ढाका का दौरा किया था। यह विषय उनकी बैठकों में भी उठा था। उन्होने कहा था हम उम्मीद करते हैं कि बांग्लादेश अपने हितों को ध्यान में रखते हुए अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए कदम उठाएगा। विदेश मंत्री ने कहा कि बांग्लादेश में विकास परियोजनाओं का भारत का अच्छा इतिहास रहा है। उन्होंने कहा कि वास्तव में जब हम पड़ोस पहले की नीति की बात करते हैं, तो पाकिस्तान और चीन को छोड़कर लगभग हर पड़ोसी देश में हमने महत्वपूर्ण विकास परियोजनाएं शुरू की हैं और बांग्लादेश के मामले में भी यही स्थिति है।
बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की स्थिति पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि जहां तक बांग्लादेश में हिंदुओं और अल्पसंख्यकों की स्थिति का सवाल है, हमने अपना विरोध बहुत स्पष्ट कर दिया है। भारत ने लगातार और सख्ती से बांग्लादेश सरकार के साथ हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर खतरों और टारगेट हमलों को उठाया है। अंतरिम सरकार को सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए। हम चरमपंथी बयानबाजी के बढ़ने से चिंतित हैं। हम बांग्लादेश से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए कदम उठाने का आह्वान करते हैं। इनके अलावा और बहुत से बयान इस मुद्दे पर भारत सरकार की ओर से दिए गए हैं।
बांग्लादेश को यह नही भूलना चाहिए कि उसका जन्म तत्कालीन पश्चिमी पाकिस्तान के अत्याचारों के कारण ही हुआ है और एक नए देश के जन्म में सबसे बड़ा हाथ भारत का ही है।भारत आज भी इतना शक्तिशाली है कि बांग्लादेश के टुकड़े कर सके। भारतीय सेना ढाका को पैरों के नीचे कुचलने में सक्षम हैं। भारत विश्व में शांति और अमन का प्रतीक है। भारत सरकार लगातार बांग्लादेश सरकार और अधिकारियों के साथ संपर्क में है पर जब वहां कोई कानून व्यवस्था ही नहीं है तो किसी से बात कर के क्या फायदा, इस से हिंदुओं के जान-माल की रक्षा नहीं की जा सकती है। क्या अब समय नहीं आ गया है कि भारत वैसी ही हिम्मत और तत्परता दिखाए जैसा 1971 में हमारे भारत महान द्वारा दिखाई गई थी।
(नीरज शर्मा'भरथल')
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