हाउस अरेस्टिंग डिजिटल क्रांति का काला और स्याह पहलू।

हाउस अरेस्टिंग डिजिटल क्रांति का काला और स्याह पहलू।

डिजिटल क्रांति का स्वरूप मानवीय जीवन में एक नया और क्रांतिकारी परिवर्तन लेकर आया है। व्हाट्सएप, फेसबुक, इंस्टाग्राम ने आमजन की जीवन शैली ही बदल कर रख दी है। इस क्रांति ने देश और विदेश की दूरियों को एकदम कम कर दिया इसके अनेक लाभ तो है ही साथ ही जीवन में अनेक परेशानियां तथा दहशत को जन्म दिया है । इंटरनेट की सेवाओं से उपजा हाउस अरेस्टिंग का मायाजाल कभी एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट कभी कस्टम ऑफिसर और कभी पुलिस अधिकारी बनकर लोगों को डरा धमका कर हाउस अरेस्ट कर आमजन के संचित कोष को लूटने में लगा है इसके अलावा पीड़ित व्यक्ति का समय दशरथ और डर गुजरता है मामला गंभीर है और चिंतनीय भी। इसका निदान तत्काल प्रभाव से किया जाना आवश्यक होगा अन्यथा हाउस अरेस्टिंग एक बड़े सामाजिक अभिशाप के रूप में सामने आने लगा है।
 
21वीं सदी इंटरनेट और वेब मीडिया युग की शताब्दी मानी जा रही है इसलिए सूचना के आदान-प्रदान जनमत तैयार करने विभिन्न क्षेत्रों और संस्कृति को आपस में जोड़ने तथा भागीदार बनाने में सोशल नेटवर्किंग एक बेजोड़ उपकरण की तरह उभरी है। सोशल नेटवर्किंग साइट आज स्टेटस सिंबल भी बन गई है। इसमें जितनी अच्छाइयां हैं दूसरी तरफ उतनी ही बड़ी परेशानी का सबब भी है। आज इस युग में सोशल मीडिया ने विश्व के लोगों को जोड़कर एक ऐसे नए नागरिक का जन्म किया है, जो स्वयं तो जागरूक है दूसरों को भी जागरूक कर रहा है पर इससे बच्चे ही आने आने वाली पीढ़ी के नागरिक मानसिक द्वंद और वयस्क दुनिया में अचानक प्रवेश कर जाते हैं। इसके अलावा मानसिक रोगों को जन्म देने वाली भी यह एक बड़ी मशीन है।
 
आज गांव से लेकर शहर तक हर आदमी सोशल मीडिया के प्रयोग से ग्रसित है और मानसिक संतुलन खोने की स्थिति तक पहुंच चुका है। परिवार के अभिभावकों द्वारा बच्चों से मोबाइल छीन लेने पर बच्चों के आत्महत्या के प्रकरण में बहुत ज्यादा इजाफा हुआ है। वर्तमान में सोशल नेटवर्किंग साइट इंटरनेट का एक अभिन्न हिस्सा है जिसका उपयोग विश्व के अरबों लोगों द्वारा किया जा रहा है। यह एक ऑनलाइन मंच है जो सार्वजनिक प्रोफाइल बनाने तथा वेबसाइट पर उपयोगकर्ताओं के साथ सहभागी होने की अनुमति देता है। फेसबुक, व्हाट्सएप, टि्वटर, लिंकडेंन, इंस्टाग्राम और न जाने कितने ऐसे साइट्स हैं जो दुनिया भर के लोगों को एक दूसरे से अनायास जोड़ देते हैं।
 
इंटरनेट के जरिए विश्व के अनेक देशों की दूरियां पलक झपकते खत्म हो जाती है। वैश्विक नागरिक जन अब इंटरनेट मीडिया नामक एक आभासी देश के नागरिक बन चुके हैं। फेसबुक का आविष्कार 2004 में और ट्विटर का आविष्कार 2006 मे हुआ है। फेसबुक के निर्माता मार्क जुकरबर्ग ने फेसबुक का निर्माण कर दुनिया में तहलका मचा दिया है। फेसबुक का इस्तेमाल विश्व के अरबों लोगों द्वारा किया जाता है। यह दुनिया का सबसे लोकप्रिय साइट है। भारत की विशाल जनसंख्या को देखते हुए फेसबुक, व्हाट्सएप, टि्वटर, इंस्टाग्राम के बड़े उपयोगकर्ता भारत में निवास करते हैं। आंकड़ों की मानें तो भारत में ही 350 मिलियन सोशल नेटवर्किंग के ग्राहक हैं, और 2023 में इनकी संख्या 450 मिलियन होने की संभावना है।
 
एक गणना के अनुसार भारत में लोग सोशल मीडिया पर 24 घंटे गुजारते हैं जबकि भारत से समृद्ध देश जापान के लोग केवल 47 से 50 मिनट तक की सोशल मीडिया पर उपस्थित रहते हैं। सोशल मीडिया नेटवर्किंग कोई भी सकारात्मक रूप से लें इसके बहुत फायदे हैं, इसके फायदे की जद में न सिर्फ बच्चे बल्कि शिक्षक, व्यवसाई, न्यूज़पेपर, मीडिया चैनल आदि भी हैं जिसका परिणाम सोशल मीडिया एक विशाल नेटवर्क बन गया है।ये पूरे विश्व को जोड़कर रखने में सक्षम है। इसके अलावा यह संचार का अच्छा माध्यम होने के साथ-साथ बहुत तेज गति से सूचनाओं का आदान-प्रदान भी करता है।
 
भौगोलिक तथा सांख्यिकी रूप से विशाल देश भारत में जन जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए इसको अभियान की तरफ अपनाया गया है। इसके अलावा यह रोजगार प्रदान करने वाला माध्यम भी बन गया है। यह शिक्षा तथा ज्ञान का एक विशिष्ट माध्यम बन गया है। एक झटके में एक क्लिक से विश्व की कोई भी जानकारी इसमें तत्काल उपलब्ध हो जाती है। सोशल नेटवर्किंग का सबसे ज्यादा फायदा कोविड-19 के संक्रमण काल में करुणा की महामारी को रोकने के लिए इस संबंध में बचाव कार्यक्रमों के संबंध में विस्तृत जानकारी के लिए हुआ है।
 
अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, कनाडा, इजराइल,ऑस्ट्रेलिया जैसे सक्षम देश में महामारी से लाखों लोगों की मौत हुई किंतु सोशल नेटवर्किंग के बलबूते पर भारत शासन ने कोविड-19 की महामारी में विशाल जनसंख्या के होते हुए भी प्रभावी नियंत्रण पा लिया है। सोशल नेटवर्किंग की इस सदी की सबसे बड़ी मानवीय सहायता है। भारत देश के अच्छे कार्यों तथा चीन और पाकिस्तान के गलत तरीके से भारत की सीमा में घुसने के समाचारों को सोशल नेटवर्किंग से प्रचारित प्रसारित कर भारत को वैश्विक समर्थन आप करने में सोशल मीडिया का बहुत बड़ा सहयोग रहा है। भारत के प्रधानमंत्री वैश्विक स्तर पर दूसरे नंबर के सर्वाधिक लोकप्रिय व्यक्ति भी सोशल मीडिया के कारण ही बने हैं।
 
पर यदि सोशल मीडिया के नकारात्मक पहलू पर अपन चर्चा ना करें तो यह बात अधूरी रह जाएगी, सोशल मीडिया का ज्यादा प्रयोग मानव मस्तिष्क को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है, जिससे व्यक्ति के डिप्रेशन में जाने की संभावना हो सकती है। सोशल मीडिया साइबर क्राइम को बढ़ावा देता है। भारत एक लोकतांत्रिक देश है यहां हर संप्रदाय तथा धर्म के लोग निवास करते हैं ऐसे में सोशल मीडिया फर्जी न्यूज़ तथा भड़काऊ भाषण फैलाने में एक बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इससे देश में स्थिरता एवं सांप्रदायिक दंगे फैलने की संभावना बलवती होती है। इसके अलावा साइबर अपराध का भी एक बड़ा माध्यम बन गया है।
 
सोशल मीडिया का अधिक उपयोग मनुष्य के शारीरिक मानसिक स्वास्थ्य को बहुत ज्यादा प्रभावित करता है एवं मनुष्य की स्मरण शक्ति सोचने की शक्ति विश्वास की प्रवृत्ति धीरे-धीरे कमजोर होने लगती है, और इसके अनियंत्रित प्रयोगों से व्यक्ति कि व्यक्ति से दूरी बढ़ते जा रही है। साइबर स्कैम या अपराध सोशल मीडिया की सबसे बड़ी नकारात्मक बात है। फेसबुक तथा टि्वटर सबसे ज्यादा धार्मिक भावनाओं और राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान का निषेध करने वालों कानूनों का उल्लंघन करता है। सोशल नेटवर्किंग आज की स्थिति में सामाजिक सौहार्द के सामने सोशल मीडिया एक चुनौती बनकर खड़ा है। जो अनेक भ्रांतियां तथा भ्रम फैलाने का काम करता है।
 
इस तरह सोशल मीडिया नेटवर्क ज्ञान, धन अर्जन एवं अच्छे कामों के लिए संचार का सुलभ माध्यम है पर इसके दुरुपयोग से इसकी विश्वसनीयता पर प्रश्न खड़े हुए हैं। सोशल नेटवर्किंग अब जीवन का एक आवश्यक हिस्सा बन चुका है अतः आवश्यक है कि निजता के अधिकार का उल्लंघन किए बिना सोशल मीडिया के दुरुपयोग को रोकने के लिए हम सबको नए विकल्पों की खोज करनी चाहिए, जिससे इसकी अच्छाइयों को आत्मसात करते हुए भविष्य में इसके संभावित दुरुपयोग नुकसान तथा दुष्प्रभावों से बचने का उपाय हमें खोजना होगा।
 
संजीव ठाकुर, चिंतक, लेखक

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