जहरीली यमुना

जहरीली यमुना

दिल्ली के सियासी संग्राम में केजरीवाल के एक ब्यान ने तूफान ला दिया है। अरविंद केजरीवाल ने एक ब्यान में हरियाणा की भाजपा सरकार पर यमुना के पानी को जहरीला करने का आरोप लगाया। केजरीवाल ने कहा- दिल्ली के लोगों को पीने के लिए पानी हरियाणा और उत्तर प्रदेश से मिलता है। भाजपा की हरियाणा सरकार ने यमुना के पानी को जहरीला कर दिया है। इस आरोप का विरोध करते हुए भाजपा ने इलेक्शन कमीशन में शिकायत दर्ज कराई।
 
इस मामले का संज्ञान लेते हुए चुनाव आयोग ने केजरीवाल से सबूत पेश करने को कहा। चुनाव आयोग ने केजरीवाल से उनके यमुना के पानी में जहर वाले दावे पर बुधवार यानी 29 जनवरी रात 8 बजे तक सबूत देने को कहा। भाजपा की तरफ से केजरीवाल के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के बाद चुनाव आयोग ने कहा कि केजरीवाल ने भाजपा की हरियाणा सरकार पर बहुत गंभीर आरोप लगाया, जिससे राज्यों के बीच नफरत पनप सकती है। केजरीवाल ने आयोग को दिए जवाब में दिल्ली जल बोर्ड की सीईओ की चिट्ठी का हवाला दिया है।
 
उन्होंने इस जवाब में दिल्ली जल बोर्ड की सीईओ शिल्पा शिंदे की ओर से दिल्ली के मुख्य सचिव को लिखी चिट्ठी का हवाला दिया है, जिसमें यमुना नदी में अमोनिया की बात कही गई थी। इस मामले में प्रधानमंत्री मोदी भी बोले। दिल्ली में रैली के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि हरियाणा का भेजा यही पानी दिल्ली में हमारे सारे जज, जस्टिस, सम्मानित सदस्य पीते हैं।
 
आपका प्रधानमंत्री भी यही पानी पीता है। क्या कोई सोच सकता है कि मोदी को जहर देने के लिए हरियाणा ने जहर दिया होगा। यह वही केजरीवाल हैं जो पिछले दो बार के दिल्ली व‍िधानसभा चुनावों में जनता से पांच-पांच साल यमुना को साफ करने के नाम पर मांग चुके हैं। जिसमें वो यमुना साफ करने में असफल रहे। अब वो फिर जनता से यमुना साफ करने के लिए पांच साल मांग रहे हैं।
 
देखना होगा इस बार जनता उन्हें मौका देते हैं या नही। आखिर वादा करके भी क्यों चूक गए अरविंद केजरीवाल, यमुना की सफाई का लक्ष्य पूरा करना क्या सच में असंभव सा है। वर्षों से यमुना की सफाई पर राजनीति चली आ रही है। यमुना की सफाई दिल्ली की राजनीति में हमेशा एक गर्मागर्म मुद्दा रही है। 2020 के चुनाव से पहले दिल्ली के तत्कालीन मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने प्रदूषित यमुना को लंदन की टेम्स नदी की तरह साफ और पीने लायक बनाने का वादा किया था।
 
लेकिन, यह वादा अभी तक पूरा नहीं हुआ है। केजरीवाल इस चुनाव में खुले तौर पर स्वीकार कर रहे हैं कि वो 2020 के चुनावों के वक्त दिल्ली की जनता से किया कि वो यमुना की सफाई का वादा पूरा नही कर पाए। केजरीवाल की इस स्वीकारोक्ति पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कटाक्ष किया। उन्होंने एक रैली में केजरीवाल का मजाक उड़ाते हुए कहा कि उन्होंने यमुना को शुद्ध करने और उसमें डुबकी लगाने का वादा किया था। दिल्लीवासी अभी भी उनकी विश्व प्रसिद्ध डुबकी का इंतजार कर रहे हैं।
 
शाह ने आगे कहा कि केजरीवाल महाकुंभ में गंगा में डुबकी लगाकर अपने पाप धो सकते हैं। वहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी केजरीवाल पर यमुना को गंदा नाला बनाने का आरोप लगाया। यमुना के प्रदूषण का मुख्य कारण ज्यादा फेकल कोलीफॉर्म का स्रोत एसटीपी से अनुपचारित या अपर्याप्त रूप से उपचारित सीवेज, अनधिकृत कॉलोनियों से आने वाले खुले नालों के माध्यम से सीवेज का मिलना, फैक्टरियों का प्रदूषित पानी, सेप्टेज का घुसपैठ या मिश्रण, जानवरों का मल, आदि है।
 
सितंबर-अक्टूबर में बेहद विषैली हो जाती है यमुना, हर वर्ष सितंबर-अक्तूबर महीने में यमुना नदी में जहरीले तत्व रिकॉर्ड तोड़ स्तर पर पहुंच जाते हैं। इस दौरान फेकल कोलीफॉर्म का स्तर बहुत ऊंचा हो जाता है। फेकल कोलीफॉर्म, पानी में गंदगी की मात्रा दिखाता है। अक्तूबर 2024 में यह स्तर 4,900,000 एमपीएन/100 मिलीलीटर तक पहुंच गया था।
 
यह मानक 2,500 यूनिट से 1,959 गुना ज्यादा है जबकि वांछित सीमा 500 यूनिट से 9,800 गुना अधिक है। फरवरी 2022 के बाद से यमुना में इतना प्रदूषण नहीं देखा गया था। उस समय आगरा नहर (शहर में नदी के एक स्टेशन) पर फेकल स्तर 6,300,000 यूनिट तक पहुंच गया था। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने सितंबर महीने के लिए नदी में फेकल लेवल की जांच की थी। इसकी रिपोर्ट 4 अक्तूबर, 2024 को जारी हुई थी जबकि नमूने 4 सितंबर, 2024 को इकट्ठे किए गए थे।
 
रिपोर्ट ऐसे समय में आई थी जब नदी के कुछ हिस्सों में झाग दिख रहा था। यह प्रदूषण का एक स्पष्ट संकेत है। जब सर्फेक्टेंट और फॉस्फेट जैसे प्रदूषक मिलते हैं तो झाग बनता है। मानकों के अनुसार, बीओडी 5 मिलीग्राम/लीटर से ज्यादा नहीं होना चाहिए और डीओ 5 मिलीग्राम/लीटर से कम नहीं होना चाहिए। डीओ नदी में घुली हुई ऑक्सीजन की मात्रा होती है जिससे पता चलता है कि नदी में जीवन है या नहीं। वहीं बीओडी से पता चलता है कि पानी खुद को कितना साफ कर सकता है।
 
यह पानी में मौजूद जैविक पदार्थों को साफ करने के लिए जरूरी ऑक्सीजन की मात्रा है। डीपीसीसी की रिपोर्ट के अनुसार, पल्ला में जहां नदी शहर में प्रवेश करती है, डीओ का स्तर 8 मिलीग्राम/लीटर जबकि बीओडी 3 मिलीग्राम/लीटर और फेकल स्तर 1,600 यूनिट था। ये सभी मानकों के भीतर थे। लेकिन जैसे-जैसे नदी आगे बढ़ी, प्रदूषण बढ़ता गया।
 
वजीराबाद पहुंचने तक डीओ और एफसी मानकों के भीतर थे, लेकिन बीओडी मानकों से ज्यादा हो गया था। डीपीसीसी रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा था कि दिल्ली में 56% सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट अगस्त में मानकों को पूरा करने में विफल रहे। यह जुलाई और जून के समान ही था। हालांकि, अगस्त में सबसे ज्यादा फेकल कोलीफॉर्म 9,20,000 यूनिट्स तक पहुंच गया था। 
 
 
 
 

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