ये समाजकंटक अध्यापक अपराधियों से अधिक खतरनाक हैं!
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जीवन में माता-पिता के बाद अध्यापक का ही सर्वोच्च स्थान माना गया है। अध्यापक ही बच्चों को सही शिक्षा देकर ज्ञानवान बनाते हैं, परंतु आज चंद अध्यापक-अध्यापिकाएं अपनी मर्यादा को भूल कर बच्चों पर अमानवीय अत्याचार कर रहे हैं पिछले कुछ दिनों में ऐसी घटनाओं की झड़ी लगी है जिनमें टीचर टीजर बन रहे हैं जो बच्चों के साथ तमाम तरीके से मानसिक शारीरिक शोषण ही नही कर रहे हैं वरन अपराधियों से भी घटिया व्यवहार यहाँ तक कि दुराचार भी करने से बाज नहीं आ रहे है। आपको बता दें कि 12 फरवरी को 'जोधपुर' (राजस्थान) के प्रताप नगर में 2 अध्यापकों ने एक 8 वर्षीय मासूम की किसी गलती पर पहले तो उसे गंदा पानी पिलाया और फिर 'बैल्ट' से इतना पीटा कि वह बेहोश हो गया।
18 फरवरी को 'साबरकांठा' (गुजरात) में एक अध्यापक को दसवीं कक्षा की 15 वर्षीय छात्रा को अपने जन्मदिन के बहाने होटल में बुलाकर उससे बलात्कार और मारपीट करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया।
21 फरवरी को 'सवाई माधोपुर' (राजस्थान) के 'सुखवास' स्थित एक प्राइवेट स्कूल के अध्यापक द्वारा छठी कक्षा के एक छात्र को पीटने और उससे 200 उठक-बैठक लगवाने के आरोप में पीड़ित बच्चे के पिता ने उसके विरुद्ध पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई।
22 फरवरी को 'बठिंडा' (पंजाब) के गुरुनानकपुरा मोहल्ला स्थित सरकारी हाई स्कूल में एक अध्यापक और अध्यापिका ने 10वीं कक्षा के 2 छात्रों को बुरी तरह पीट डाला। एक छात्रा के हाथ में मारे डंडे से गंभीर चोट आई जबकि दूसरे छात्र को इतने जोर से थप्पड़ मारा कि कान में दर्द शुरू हो जाने के कारण उसे अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा। 22 फरवरी को ही 'मैनपुरी' (उत्तर प्रदेश) के 'घिरोर' में एक स्कूल के अध्यापक ने कक्षा 2 के छात्र को किसी गलती पर पेड़ से बांध कर पीटा।
23 फरवरी को 'पूर्णिया' (बिहार) जिले के 'मोगलाहा प्रसादपुर' गांव में सरकारी प्राइमरी स्कूल में 2 बच्चों के झगड़े में स्कूल की एक अध्यापिका ने एक 9 वर्षीय बच्चे को इतनी बुरी तरह पीटा कि वह बेहोश हो गया।
23 फरवरी को ही नई दिल्ली में 'खजूरीखास' के एक स्कूल में एक 6 वर्षीय बच्चे द्वारा शरारत करने से नाराज अध्यापक ने उसके गाल पर इतने जोर से थप्पड़ मारा कि उसके कान का पर्दा फट गया।
23 फरवरी को ही बरेली (उत्तर प्रदेश) के 'बिधरी चैनपुर' स्थित एक प्राइवेट स्कूल की अध्यापिका ने एक छात्रा द्वारा उससे ट्यूशन पढ़ने से इंकार करने पर उसे इतनी बुरी तरह पीटा कि उसके कान का पर्दा फट जाने से उसे सुनाई देना बंद हो गया। शिकायत करने गए बच्ची के पिता के साथ भी स्कूल के प्रबंधक ने दुर्व्यवहार किया।
24 फरवरी को 'हरदोई' (उत्तर प्रदेश) के 'बिरोरी' गांव में एक प्राइवेट स्कूल के अध्यापक ने पूछे गए प्रश्न का उत्तर न दे पाने पर तीसरी कक्षा के एक छात्र को जातिसूचक गालियां दीं, मुर्गा बनाकर बुरी तरह पीटा और उसकी पीठ पर बैठ गया, जिससे उसके पैर में फ्रैंक्कर हो गया।
24 फरवरी को ही चेन्नई के 'कुलपोक' स्थित एक स्कूल में तीसरी कक्षा का एक छात्र हिन्दी कविता नहीं सुना पाया तो उसके अध्यापक ने बच्चे को बुरी तरह पीट डाला जिस पर अध्यापक को निलंबित कर दिया गया।
छात्र-छात्राओं पर अध्यापकों के एक वर्ग द्वारा मारपीट के उक्त उदाहरण इस आदर्श व्यवसाय पर एक घिनौना धब्बा है तथा इसके विरुद्ध स्कूलों के प्रबंधकों को दोषी अध्यापकों को समझाना चाहिए और उनसे लिखवा कर लेना चाहिए कि वे भविष्य में ऐसा नहीं करेंगे।
कानूनी तौर पर अध्यापकों द्वारा बच्चों को शारीरिक दंड देने की मनाही है लेकिन - कानूनी प्रावधानों के बावजूद कुछ अध्यापक व अध्यापिकाएं सारे कायदे-कानून भूल कर और परिणाम पर विचार किए बिना बच्चों पर अत्याचार कर रहे हैं।
अतः अध्यापकों को नौकरी देते समय उनका इंटरव्यू लेने के साथ-साथ उनका मनोवैज्ञानिक परीक्षण करने के अलावा नौकरी देने के बाद भी नियमित रूप से उनकी काऊंसलिंग की जानी चाहिए तथा छात्रों से दुर्व्यवहार करने वाले अध्यापकों को शिक्षाप्रद सजा दी जाए ताकि उनके द्वारा छात्र-छात्राओं के उत्पीड़न का यह दुष्चक्र रुके।ऐसे अध्यापकों को तत्काल कार्यमुक्त कर जेल भेजा जाए ताकि भविष्य में ऐसी वारदातों की पुनरावृत्ति न हो साथ ही शिक्षा के मंदिरों की शुचिता को. बचाया जा सके। ।
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