आखिर कब तक चलेगी जांच, और कब होगी दोषियों पर कार्यवाही

न स्टीमेट और ना प्रस्ताव ना ही स्वीकृत बजट  और बदल दी गई 11000 विद्युत लाइन

आखिर कब तक चलेगी जांच, और कब होगी दोषियों पर कार्यवाही

  शटडाउन किसने लिया  लॉग बुक पर बने हस्ताक्षर अनुसार

किस सक्षम अधिकारी के आदेश से एयरटेल टावर को दी गई प्राइवेट लाइन में जोड़ी गई उक् लाइन
 
लखीमपुर खीरी थाना क्षेत्र ईसानगर के अंतर्गत मुराउवा गांव के राकेश कुमार संविदा विद्युत कर्मी ने बेल्तुआ विद्युत उपकेंद्र के एसडीओ और जे ई  समेत लाइनमैन अशोक साहू पर व्यापारी सुनील कुमार मौर्य से ₹200000 बतौर रिश्वत राशि लेकर सुनील कुमार मौर्य की दुकानों के ऊपर से निकली 11000 विद्युत लाइन को बगैर किसी सर्वे व प्रस्ताव तथा एस्टीमेट बनाए और बगैर बजट स्वीकृत कराए नियम कानून को ताक पर रखकर बदल दिए जाने के गंभीर आरोप लगाते हुए मामले की शिकायत जिला अधिकारी खीरी सहित मुख्यमंत्री के पोर्टल पर करके मामले की निष्पक्ष जांच कराए जाने की मांग की है।  इतना ही नहीं शिकायतकर्ता ने जे ई व एसडीओ के संरक्षण में उपरोक्त लाइन को एयरटेल टावर के लिए दी गई प्राइवेट लाइन से जोड़ दिये जाने की भी बात कही है।
 
बताया जाता है कि उक्त लाइन से लगभग 60 से 70 गांव को विद्युत की आपूर्ति की जाती थी ।बताते चलें की घटना दिनांक 18 फरवरी 2024 की है जब पूर्व योजित योजना बद्ध तरीके से  जे ई सुधीर कुमार गुप्ता ,एसडीओ और अशोक कुमार साहू लाइन मैंन एक राय होकर सुनील कुमार मौर्य के दुकानों पर से निकली 11000 विद्युत लाइन का आनंन-फानन में स्थान परिवर्तित कर डाला गया ।वह भी बिना सर्वे और बगैर प्रस्ताव तथा एस्टीमेट के बिना पास कराए ही पूरी 11000 लाइन का स्थान परिवर्तन कर दिया गया। और उक्त लाइन को एयरटेल टावर को दी गई प्राइवेट लाइन में जुड़वाकर नियमों के चीथड़े उड़ा कर रख दिए।
 
इस फर्जी वाडा का खुलासा होने व मामला मीडिया में सुर्खियां बनने पर अपनी व अपने चहेतों की गर्दन फंसते देख घटना के जिम्मेदार जे ई सुधीर कुमार गुप्ता का स्थानांतरण करते हुए आन  पेपर दोषी अशोक कुमार साहू लाइनमैन को संजीवनी दे दी गई ।और संविदा कर्मी राकेश को बालिका बकरा बना दिए जाने का मामला चर्चा का विषय बना है। उक्त मामले की धरातलीय पड़ताल करने पहुंची स्वतंत्र प्रभात समाचार पत्र की टीम को मामला विद्युत विभाग द्वारा गढी गई कहानी से ठीक उल्टा दिखाई पड़ा। व्यापारी सुनील कुमार  से जानकारी लेने पर उसने ₹200000 देकर लाइन हटवाए जाने की बात तो बताई ही साथ ही साथ जे ई सुधीर कुमार गुप्ता को ₹100000 नगद देने का गंभीर आरोप भी लगाया।जो यह सिद्ध करने को काफी है कि उक्त लाइन जे ई व एसडीओ के संरक्षण व संज्ञान में बदली गई और इसके एवज में ली गई सुविधा शुल्क का एक भाग ऊपर तक जाने के चलते आनंन-फानन में संविदा कर्मी को बलि का बकरा बनाते हुए अन्य सभी जिम्मेदारों को बचाने का प्रयास जारी है।
 
मामले को शांत करने के लिए जे ई सुधीर कुमार गुप्ता को शारदा नगर स्थानांतरित कर दिया गया। लेकिन यह खेल कई प्रश्नों को जन्म दे गया । क्या उपरोक्त 11000 लाइन एक आदमी बदल सकता है जवाब आता है नहीं, हर कोई यही कहेगा नहीं बदल सकता है। उक्त लाइन कई लोगों द्वारा बदली गई होगी ।तो फिर अकेले राकेश कुमार के विरुद्ध ही कार्रवाई क्यों? शटडाउन किसने लिया यह लाग बुक पर बने हस्ताक्षर से पता चलता है ।और उनके इस घटना में शामिल होने की पुष्टि करने को काफी हैलाग बुक पर बना हस्ताक्षर।
 
तो फिर अशोक साहू पर मेहरबानी क्यों? सबसे अहम सवाल तो यह है आखिरकार बार-बार अपने स्टेटमेंट क्यों बदल रहे जे ई विद्युत सुधीर कुमार गुप्ता साहब घटना के समय समाचार पत्र को दिए गए वर्जन में जे ई साहब ने प्रस्ताव व एस्टीमेट पास होने की बात कही थी।  और यही बात इक्सईनऔर एसडीओ ने भी कही थी। और अब बगैर प्रस्ताव ब बगैर एस्टीमेट लाइन बदले जाने की बात क्यों कहीं जा रही है? आखिर घटना के समय मीडिया द्वारा पूछे जाने पर कल एसडीओ द्वारा भी फर्जी झूठा एवं भ्रामक स्टेटमेंट क्यों दिया गया? की प्रस्ताव एस्टीमेट पास है इनका सबका यह क्रत्य  सिद्ध करता है की दाल में कुछ काला ही नहीं बल्कि संपूर्ण दाल ही काली है। 

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