संजीवनी।

(रक्षाबंधन का पवित्र पर्व)

संजीवनी।

(रक्षाबंधन का पवित्र पर्व)

यह पवित्र रेशमी बंधन।

भेज रही हूं तुम्हें सीमा पर
यह पवित्र रेशमी बंधन
और मांग रही हूं एक
अटूट और साहसिक वचन,

इसे केवल रेशमी धागा
ना समझना मेरे भैया
यह हर बहन की, हर मां
की ,हर पत्नी की
अपने भाई से है आशा,

अपने बाहुबल और शक्ति से
जिस तरह तुम करते हो
स्त्रियों की बहनों की रक्षा
ठीक उसी तरह मेरे भैया।

सीमा पर देश की तुम
कठिन परिस्थितियों में
करना सर्वस्व सुरक्षा,

इस भारत मां  धरती की
देश के मुकुट हिमालय की
तुम एक सच्चे प्रहरी की तरह
करते हो सुरक्षा और रक्षा,

एक वचन दो हम सब
बहनों के लिए
संपूर्ण देश की स्त्रियों के लिए
उसी तरह करना सुरक्षा।

प्रदेश की सीमा की करते हो रक्षा
इस पवित्र रेशमी बंधन को
बांध लेना तुम कलाई पर,
इसी कलाई से
मजबूती से करना देश की
संपूर्ण सुरक्षा ।

मेरे प्यारे भैया,
इन रेशमी धागों की आन रख लेना
देश के बाहुबल की शान रख लेना।
हम तो तुमसे सुरक्षित हैं मेरे भैया।
देश सीमा सुरक्षित कर लेना मेरे  भैया।

संजीव ठाकुर

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