सांझ सबेरे दिन और रात, एस के चौबे समाज के साथ

सांझ सबेरे दिन और रात, एस के चौबे समाज के साथ

पटेल नगर नई दिल्ली-दिल्ली में चुनावी सरगर्मी बहुत तेजी से चल रही, इस चुनावी सरगर्मी में जहां राजनीतिक दल एक दूसरे पर हमलावर है वही कल पटेल नगर विधान सभा में बीजेपी उम्मीदवार एक सामाजिक सेवक को भी धमकाने में पीछे नहीं रहे। हमारे विशेष संवाददाता ने जब पटेल नगर विधान सभा के एक समाज सेवक जिनका नाम एस के चौबे है जिनका नाम क्षेत्र के सम्मानित लोगों में बड़े इज्जत से लिया जाता है जिन्हें बीजेपी प्रत्याशी राजकुमार आनन्द द्वारा धमकाया गया था से जब बात किया गया तो एस के चौबे ने बताया कि नेहरू नगर गुंबद के पास जो शौचालय है उसके सामने से सुबह एक महिला ने फोन किया। 
 
कि मेरा 10 वर्षीय बच्चा पिछले तीन दिन से गायब है मिल नहीं रहा है कृपया मेरी मदद करें, जिसके बाद तुरंत मैने पुलिस से बात करके उनको वहां जाकर सीसी टीवी खंगालने का निवेदन किया और जब मैं वहां गया तो देखा पुलिस कैमरा चेक कर रही थी, कुछ समय मैं सीसी टीवी के पास बैठा और जब घर जाने के लिए बाहर आया था जो बच्चा गायब हुआ था उनकी मौसी, चाची, मम्मी और बहने तथा मोहल्ले की कुछ महिलाएं बच्चे मुझसे बच्चे को ढूंढने में मदद करने का निवेदन करने लगे
 
जिसमें कुछ महिलाएं रोने भी लगी थी उनको देखकर मैं भी भावुक हो गया था, उस समय वहां अधिकतर लोगोंके आंखों में आंसु थे । ठीक उसी समय बीजेपी प्रत्याशी राजकुमार आनंद आते है और बिना कुछ बोले कहते है कि चौबे ज्यादा मेहनत मत करो इस बार मैं सबकी चर्निया उखाड़ दूंगा और सब देखते रहेंगे। इतना कहते ही वे वहां से अपने कुछ कार्यकर्ताओं के साथ आगे बढ़ गए, एक बार भी नहीं पूछे कि क्या हुआ आप लोगों के आंखों में आसूं क्यों है।
 
तब जब मैं उनके शब्दों पर गौर किया तब समझ पाया कि ये चर्निया उखाड़ने को बोल रहे है इसका मतलब तो नींव होता है गांव के देहाती भाषा में। आपको बता दें कि पटेल नगर विधान सभा के गायत्री कॉलोनी, गुलशन चौक, होली चौक, नेपाली मंदिर और टाली वालां बस्ती के लगभग 800 बीघे जमीन पर तलवार लटक रही है अभी कुछ दिन पहले यहां के कुछ क्षेत्र में डीडीए की नोटिस भी लगी थी डेमोलेशन की लेकिन लोगों के संघर्षों ने बुलडोजर वापस करने को मजबूर कर दिया।
 
एस के चौबे का कहना है कि क्या आनंद जी इन झुग्गियों में रहने वालों की चर्निया उखाड़ना चाहते है मतलब सत्ता में आने के बाद ये झुग्गियां तोड़ना चाहते है या यहां रहने वाले गरीब, मजबूर, लाचार व्यक्तियों के साथ पूर्वांचलियों को उखाड़ फेंकना चाहते है, आखिर राजकुमार आनंद जी द्वारा चर्नियाँ उखाड़ने का तात्पर्य क्या था, क्या राजकुमार आनंद अगर गलती से चुनाव जीत भी गए तो क्या विधान सभा पटेल नगर से समाज सेवकों की चर्नियाँ उखाड़ फेंकने के लिए उतावले है।
 
एस के चौबे ने बताया कि आनंद साहब को वह व्यक्ति पसंद नहीं जिनके माथे पर तिलक लगा हो क्या आनंद साहब मेरे माथे पर तिलक लगा हुआ देखने के बाद सभी तिलक धारियों की चर्निया उखाड़ने को लालायित है। एस के चौबे ने बताया कि मैं समाज के किसी भी वर्ग जाति धर्म के लोगों की मदद के लिए दिन रात तत्पर रहता हूं कभी भी किसी से परहेज नहीं करता, मैं इस चुनाव में न तो अपने राजनीतिक दल से किसी को चुनाव लड़ा रहा हूं ना ही किसी राजनीतिक दल का समर्थन कर रहा हूं ना ही किसी राजनीतिक दल से मिल जुल रहा हूं और ना ही क्षेत्र में किसी भी व्यक्ति को यहां तक कि अपने संगठन के साथियों को किसी दल का समर्थन करने की बात कर रहा हूं फिर भी ऐसे धमकाना कुंठित मानसिकता को प्रदर्शित करता है। जब एक सामाजिक व्यक्ति को चुनाव जीतने से पहले इस तरह से धमकाया जा रहा है तो चुनाव जीतने के बाद ऐसे लोग आम जनता के साथ कैसा व्यवहार करेगा वह विधान सभा की जनता को अब खुद ही विचार करना होगा।

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