पत्नी की रजामंदी से कराई नसबंदी , पांच साल से अपना रहे अस्थाई संसाधन

पत्नी की रजामंदी से कराई नसबंदी , पांच साल से अपना रहे अस्थाई संसाधन

-परिवार नियोजन में पुरूष भी निभाएं जिम्मेदारी : सीएमओ 


महोबा । ब्यूरो रिपोर्ट-अनूप सिंह

चरखारी ब्लाक के रहने वाले 40 वर्षीय रामकिशोर (परिवर्तित नाम) बताते हैं कि उनके एक बेटा व बेटी है। उन्हें आगे बच्चा नहीं चाहिए था। पत्नी की रजामंदी के बाद उन्होंने नसबंदी करवा ली। बताया कि उन्हें कोई दिक्कत नहीं है। इसी तरह परिवार नियोजन का संसाधन अपनाने में दिलचस्पी नहीं थी। दो बेटियां होने के बाद अस्थाई संसाधन अपनाने लगे। छोटी बेटी पांच साल की हो गई। वह अब तीसरा बच्चा नहीं चाहते। इसलिए परिवार नियोजन के लिए अस्थाई संसाधन के रूप में कंडोम अपना रहे हैं। यह कहना है कि पनवाड़ी ब्लाक के गांव के रहने वाले 38 वर्षीय महबूब का।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. सुधाकर पांडे का कहना है कि समुदाय को छोटे परिवार के बड़े फायदे की अहमियत समझाने की हरसम्भव कोशिश सरकार और स्वास्थ्य विभाग द्वारा जा रही है। पुरुष खुले मन से परिवार नियोजन साधन अपनाने में आगे आएं और उस मानसिकता को तिलांजलि दे दें कि यह सिर्फ और सिर्फ महिलाओं की जिम्मेदारी है। पुरुष नसबंदी से शारीरिक कमजोरी आती है इस भ्रान्ति को भी मन से निकालना होगा। महिला नसबंदी की अपेक्षा पुरुष नसबंदी अत्यधिक सरल और सुरक्षित है। सीएमओ का कहना है कि परिवार नियोजन के लिए पुरुष अस्थायी साधन कंडोम भी अपना सकते हैं। 

99.5 फीसदी सफल है पुरुष नसबंदी 

परिवार नियोजन के नोडल डा. वीके चौहान का कहना है कि पुरुष नसबंदी चंद मिनट में होने वाली आसान शल्य क्रिया है। यह 99.5 फीसदी सफल है। पुरुष नसबंदी होने के कम से कम तीन महीने तक परिवार नियोजन के अस्थायी साधनों का प्रयोग करना चाहिए, जब तक शुक्राणु पूरे प्रजनन तंत्र से खत्म न हो जाएं। नसबंदी के तीन महीने के बाद वीर्य की जांच करानी चाहिए। जांच में शुक्राणु न पाए जाने की दशा में ही नसबंदी को सफल माना जाता है। उनका कहना है कि नसबंदी की सेवा अपनाने से पहले चिकित्सक की सलाह भी जरूरी होती है। 

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के जिला डेटा प्रबंधक अनुपम कुमार ने बताया कि जिले में वित्तीय वर्ष 2020-21 में 9 पुरुषों ने नसबंदी करवाई वहीं वर्ष 2021-22 में 11 पुरुषों ने नसबंदी करवाई है । कंडोम का इस्तेमाल भी बढ़ा है । वर्ष 2020-21 में 3.47 लाख और वर्ष 2021-22 में 3.99 लाख कंडोम सरकारी क्षेत्र से इस्तेमाल हुए। 

यह भी प्रावधान 

परिवार नियोजन के नोडल बताते हैं कि नसबंदी के विफल होने पर 30,000 रुपए की धनराशि दी जाती  है। नसबंदी के बाद सात दिनों के अंदर मृत्यु हो जाने पर दो लाख रुपए की धनराशि दी जाती है। नसबंदी के 8 से 30 दिन के अंदर मृत्यु हो जाने पर 50,000 रुपए की धनराशि दिये जाने का प्रावधान है। नसबंदी के बाद 60 दिनों के अंदर जटिलता होने पर इलाज के लिए 25,000 रुपए की धनराशि  दी जाती है।
 

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