सारस गणना 2023 में बालाघाट जिला रहा अग्रणी

सर्वाधिक 49 सारस, जिला प्रशासन ने की सारस संरक्षण कार्य सराहना

सारस गणना 2023 में बालाघाट जिला रहा अग्रणी

स्वतंत्र प्रभात।

हेमेन्द्र क्षीरसागर। जिला ब्यूरो। मध्यप्रदेश। 

बालाघाट। जिला पुरातत्व एवं संस्कृती परिषद बालाघाट के नोडल अधिकारी द्वारा बताया गया कि बालाघाट कलेक्टर डॉ गिरीश कुमार मिश्रा एवं सीईओ जिला पंचायत श्री डी एस रणदा के मार्गदर्शन एवं सहयोग से सेवा संस्था वन विभाग के साथ सारस गणना का कार्य किया जा रहा है। सारस गणना में पूर्व वर्षो की तरह बालाघाट जिला अग्रणी रहा है।

 

यहां तीन जिलों की अपेक्षा बालाघाट में सर्वाधिक 49 सारस पाये गये है। दूसरे स्थान पर गोंदिया जिला है जहां 31 सारस तथा भण्डारा जिले में महज 4 सारस की गणना की गई है । जिला प्रशासन द्वारा सेवा संस्था के सारस संरक्षण कार्य की सराहना की एवं आगे भी सारस संरक्षण के क्षेत्र में कार्य करते रहने की बात कही।

 

पर्यावरण एवं वन्यजीव संरक्षण तथा संवर्धन के लिए कार्यरत“सेवा” संस्था अध्यक्ष श्री सावन बहेकार तथा सारस संरक्षण प्रकल्प प्रभारी सेवा संस्था सदस्य के नेतृत्व में तथा बालाघाट उत्तर-दक्षिण वनमंडल एवं जिला पुरातत्व एवं संस्कृती परिषद बालाघाट स्थानीय किसान मित्र के सहयोग से सारस गणना का कार्य पारंपारिक तथा शास्त्रीय पध्दती से किया गया 6 दिनों तक चली सारस गणना में गोंदिया तथा बालाघाट जिले में कुल 70 एवं 80 जगहों पर सेवा संस्था के सदस्य स्थानिय किसान, सारस मित्र तथा वन विभाग बालाघाट एवं गोंदिया के अधिकारी तथा कर्मचारियों द्वारा सारस गणना को अंजाम दिया गया।

 

बालाघाट जिले के लिए 25 तथा गोंदिया भंडारा जिले में 39 टीमे बनाकर सारस के रहवास स्थल पर सुबह 5 बजे से 9 बजे तक विभिन्न स्थानों पर प्रत्यक्ष जाकर गणना की गयी प्रत्येक टिम में 2-4 सेवा संस्था के सदस्य तथा डीएटीसीसी सदस्य वन विभाग कर्मचारियों का समावेश किया गया था । 

संस्था के सदस्यों द्वारा पुरे वर्षभर सारस के विश्राम स्थल, प्रजनन अधिवास तथा भोजन के लिए प्रयुक्त भ्रमण पद पर नजर रखी जाती है साथ ही सारस के अधिवास एवं उनके आसपास रहनेवाले किसानों को सारस का महत्व बताकर उसके संरक्षण एवं संवर्धन के लिए प्रेरित किया जाता है। परिसर के स्कुल तथा महाविद्यालयों में जाकर विद्यार्थियों को पर्यावरण, सारस संवर्धन से संबंधित कार्यक्रमों के माध्यम से सारस संरक्षण अभियान से जोड़ा जाता है ।

 

ज्ञात हो कि पूर्व में सारस संरक्षण करने वाले किसान आमजन को सारस मित्र सम्मेलन के माध्यम से सेवा संस्था द्वारा कलेक्टर कार्यालय के सभागृह में सारस मित्र सम्मेलन आयोजित कर किसानों सारस मित्रो को कलेक्टर बालाघाट के हस्ते सम्मानित किया गया था बाघ एवं वैनगंगा नदी महाराष्ट्र तथा मध्यप्रदेश के बालाघाट तथा गोंदिया जिलों को विभाजित करती है भौगोलिक दृष्टिकोण से नदी के दोनों ओर के प्रदेश की जैवविविधता मे काफी समानता पायी जी है। 

अतः कुछ सारस के जोडें अधिवास तथा भोजन के लिए दोनों ओर के प्रदेशों में समान रूप से विचरण करते पाये जाते है। सीमाओं का बंधन उनके लिए मायने नही रखता जो मनुष्य के लिए एक अच्छा सबक है आकडों की विश्वसनियता एवं सारस की उपस्थिती पर संदेह की गुंजाईश ना रहे इसके लिए दिनांक 19 से 23 तक प्रतिदिन सुबह एवं शाम सभी सारस अधिवास पर जाकर सारस की स्थिती का जायजा लिया गया। जिसमे खेत, तालाब, नदियों पर जाकर स्थानिय लोगों से भी बातचित की गयी।

 17 जून को बालाघाट जिले में २५ टीमो द्वारा 60 से 70 स्थानों पर प्रकल्प प्रभारी श्री अविजित परिहार के मार्गदर्शन में गणना कार्य किया गया गोंदिया जिले में दिनांक 18 जून को कुल 39 टीमों में कुल 70 से 80 स्थानों पर जाकर जिसमें हर स्थान पर वनविभाग के कर्मचारियों के साथ गणना की गयी थी

सारस गणना के संपूर्ण अभियान में उत्तर-दक्षिण वनमंडल बालाघाट के वनमंडल अधिकारी अभिनव पल्लव, एस.डी.ओ. प्रशांत साखरे, हट्टा वनपरीक्षेत्र अधिकारी आकाश राजपूत, वनपरीक्षेत्र अधिकारी बालाघाट धर्मेंद्र बिसेन, वनपरीक्षेत्र अधिकारी किरणापूर नेहा घोडेश्वर, वनपरीक्षेत्र अधिकारी वारासिवनी छत्रपाल सिंग इनका अमुल्य मार्गदर्शन एवं सहयोग मिला साथ ही जिला पुरातत्व एवं संस्कृती परिषद बालाघाट के सहायक नोडल रवि पालेवार डीएटीसीसी सदस्य अभय कोचर व समस्त वनकर्मचारियों का सहयोग प्राप्त हुआ है।

 

सेवा संस्था के सभी सदस्यों ने गणना कार्य में अथक प्रयास किये सिंकदर मिश्रा निशांत देशमुख शशांक लाडेकर, कन्हैया उदापुरे, दुस्यंत आकरे, विशाल कटरे, गौरव मटाले, सुशिल बहेकार, प्रशांत मेंढे, प्रविण मेंढे, विकास फरकुंडे, बबलू चुटे, मधु डोये, निलू डोये, कैलाश हेमने, प्रशांत लाडेकर, डिलेश कुसराम, लोकेश भोयर, पप्पु बिसेन, बसंत बोपचे, राहुल भावे, रतिराम क्षीरसागर, नखाते जी, प्रवीण देशमुख, अमित बेलेकर, शिवोना भोजवानी, पवन सोयम, अक्षय विधाते, निलेश राणे, रिशील डाहाके, संदीप राणा, मोहित पटले, संदीप तुरकर आदि का भरपूर सहयोग से सारस गणना का कार्य सफलता पूर्वक संम्पन हुआ।सारस

 

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