इलाज कराने पहुंचे घायलों से अस्पताल कर्मियों की हुई जमकर मारपीट मौके पर पहुंची पुलिस
मनकापुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बना दंगल का अखाड़ा आखिर क्यों आए दिन होती है मरीज तीमारदार और डॉक्टर से नोक झोक
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स्वतंत्र प्रभात
गोंडा।
पृथ्वी के दूसरे भगवान कहे जाने वाले डॉक्टरों की मनकापुर में विचित्र रवैया देखने की मिल रही है।जहां पीड़ित को इलाज मिलना चाहिए वहां पता नहीं क्यों आए दिन तीखा टिप्पणी होती रहती है।जिससे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मनकापुर सुर्खियों में रहता है।और इलाज के स्थान पर हॉस्पिटल प्रांगण अखाड़ा बन जा रहा है।
ऐसे ही मंगलवार को घायल अवस्था में इलाज कराने पहुंचे घायल मरीज भगवान दीन चौहान पुत्र राजेंद्र,रोहित पुत्र लक्ष्मण,अभिषेक चौहान पुत्र रामकुमार निवासी बलुआ उपाध्याय पुर ग्रांट से हॉस्पिटल कर्मियों के बीच जमकर मारपीट हो गई। शुक्र रहा की सब सुरक्षित बच गए। लेकिन मामला यहां तक बढ़ गया कि अस्पताल में मौजूद डॉक्टर को पुलिस बुलानी पड़ी।मौके पर पहुंची मनकापुर पुलिस ने इलाज कराने पहुंचे मरीजों को अपने साथ लेकर थाने पहुंच गई। और संबंधित डॉक्टर व अस्पताल कर्मियों से संपर्क साधते हुए कार्यवाही करने की बात जैसे बड़ी तो अस्पताल के डॉक्टर ही थाने में पहुंचकर सुलह समझौते की बात करने लगे। जिससे समाचार लिखे जाने तक किसी भी पक्ष से कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई थी।
वहीं इस संबंध में चिकित्सा अधीक्षक सामुदायिक केंद्र मनकापुर डॉक्टर एस एन सिंह ने बताया कि मंगलवार की दोपहर कुछ लोग घायल अवस्था में इलाज कराने के लिए शराब के नशे में अस्पताल पहुंचे थे। और देखते ही देखते गाली गलौज शुरू कर दिए।तथा तीमारदारों व कुछ मरीजों तथा अस्पताल कर्मियों के साथ हाथापाई भी शुरू कर दी। इसके संबंध में पुलिस को सूचना दी गई मौके पर पहुंचकर पुलिस ने मारपीट करने वालों को अपने साथ थाने ले गई तथा एफ आई आर किसके विरुद्ध किया जा रहा है।या हुआ अभी तक कि नहीं मुझे इस बारे में जानकारी नहीं है। डॉक्टर एस एन सिंह ने बताया कि मारपीट करने वाले घायलों का नाम पता भी मुझे मालूम नहीं है।
क्योंकि सभी लोग इमरजेंसी में आए थे। और इमरजेंसी में किसी का नाम पता नहीं लिखा जाता है। इलाज करने के बाद फिर एंट्री होती है।रजिस्टर में लिखा होगा लेकिन केवल आमद लिखी जाती है।उसमें नाम पता नहीं होता है। आपको बताते चलें कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मनकापुर आए दिन सुर्खियों में रहता है।और पता नहीं क्यों यहां मरीज और डॉक्टर के बीच तू तू मैं मैं होना तथा इलाज को लेकर बहस हो जाना यह आम बात बन गई है। फिर भी विभाग अचेत अवस्था में दिख रहा है।
अभी काफी दिन सुर्खियों में रहे डॉक्टर रवीश का ट्रांसफर हुआ था।लेकिन पुन: कुछ ही दिन बाद अपनी तैनाती अपने रसूख से इसी अस्पताल में दूसरी बार करवा लिए।जो अस्पताल का एक जीता जागता उदाहरण हो सकता है। वही संबंध में अतिरिक्त प्रभारी निरीक्षक मनकापुर ने बताया कि मारपीट हॉस्पिटल में होने की सूचना प्राप्त हुई थी जिस पर हम लोग पहुंचे थे। लेकिन अस्पताल कर्मी कोई मुकदमा नहीं लिखवाना चाहते हैं। इसलिए एफ आई आर पंजीकृत नहीं की गई है।
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