150 शिक्षकों का अतिरिक्त दायित्व से सामूहिक इस्तीफा, अब तक 137 संकुल शिक्षक दे चुके इस्तीफा

150 शिक्षकों का अतिरिक्त दायित्व से सामूहिक इस्तीफा, अब तक 137 संकुल शिक्षक दे चुके इस्तीफा

मिल्कीपुर, अयोध्या। ऑनलाइन हाजिरी को लेकर परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों और विभाग के बीच चल रही रस्सा-कस्सी और जोर पकड़ती जा रही है। मिल्कीपुर तहसील तीनों विकास खण्ड क्षेत्र के 150 संकुल शिक्षकों में से 137 शिक्षकों ने सामूहिक रूप से इस्तीफा दिया।
 उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश नेतृत्व व जिला कार्य समिति के निर्देश पर ब्लॉक अध्यक्ष मुकेश प्रताप सिंह  के नेतृत्व में शिक्षा क्षेत्र मिल्कीपुर के 45 शिक्षक संकुल ने बीईओ मिल्कीपुर अजय त्रिपाठी को सामूहिक रूप से त्यागपत्र सौंपा कल पांच शिक्षक संकुल पद से इस्तीफा देंगे। हैरिंग्टनगंज शिक्षा क्षेत्र के 45 शिक्षकों में से 38 शिक्षकों ने सामूहिक रूप से त्यागपत्र दिया, वही अमानीगंज ब्लॉक अध्यक्ष अजय सिंह की अगुवाई में 55 शिक्षकों के सापेक्ष 54 शिक्षकों ने सामूहिक रूप से इस्तीफा खंड शिक्षा अधिकारी को सौंपा।
शिक्षक संगठनों ने लागू ऑनलाइन हाजिरी का विरोध कर रहे हैं। प्राथमिक शिक्षक संघ एवं उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल (पूर्व माध्यमिक) शिक्षक संगठन अपने-अपने तरीके से योजना का विरोध कर रहे हैं।
मुकेश प्रताप सिंह का कहना है कि परिषदीय स्कूलों में सूचना आदान प्रदान करने के लिए शिक्षकों को संकुल शिक्षक का अतिरिक्त दायित्व दे दिया जाता है। एक न्याय पंचायत में कुल पांच संकुल शिक्षक बनाए जाते हैं जो अपने क्षेत्र के स्कूलों की सूचना ब्लॉक संसाधन केंद्र तक पहुंचाने का कार्य करते हैं। इसके लिए उन्हें किसी तरह का कोई अतिरिक्त भत्ता देय नहीं होता। शिक्षक स्वेच्छा से इस दायित्व का निर्वहन करते हैं, लेकिन अब ऑनलाइन अटेंडेंस लागू होने के बाद अब उनके सामने समस्या खड़ी हो गई है। क्योंकि शिक्षकों को अपने स्कूल से दिन में तीन बार ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज करानी है। ऐसे में अगर वह सुबह की हाजिरी लगाकर सूचना देने ब्लाक संसाधन केंद्र जाते हैं तो उन्हें फिर से वापस स्कूल लौटकर अटेंडेंस लगाना होगा। इसलिए शिक्षकों का कहना है कि डिजिटाइजेशन लागू होने के बाद उन्हें एक स्कूल से दूसरे स्कूल में जाकर सूचना का आदान प्रदान करना संभव नहीं हो सकेगा। इसके अतिरिक्त विभाग के अफसर उनकी लंबित मांगों पर विचार करने को तैयार नहीं है। मांगों को मानने के बजाय वह डिजिटल हाजिरी का आदेश जबरन थोपने पर उतारू हैं।

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