69000 शिक्षक भर्ती मामला; अभ्यर्थियों ने बेसिक शिक्षा मंत्री का आवास घेरा ।

69000 शिक्षक भर्ती मामला; अभ्यर्थियों ने बेसिक शिक्षा मंत्री का आवास घेरा ।

69000 शिक्षक भर्ती में शामिल आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने सोमवार को बेसिक शिक्षा मंत्री के आवास का घेराव किया. बड़ी संख्या में पहुंचे अभ्यार्थियों ने यहां जोरदार नारेबाजी की. अभ्यर्थियों का कहना है कि शिक्षक भर्ती में व्यापक स्तर पर अनियमितता हुई, जिस कारण से आरक्षित वर्ग के हजारों अभ्यर्थी नौकरी पाने से वंचित हो गए।
 
इस मामले की लंबी सुनवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट में हुई और फैसला उनके पक्ष में आया. लेकिन, सरकार की लापरवाही के कारण उसका पालन नहीं हो सका और अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है. अभ्यर्थियों का आरोप है कि सरकार सुप्रीम कोर्ट में भी पक्ष रखने से पीछे हट रही है।
 
प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थी कृष्ण चंद्र ने बताया कि अभ्यर्थी मांग कर रहे हैं कि सरकार सुप्रीम कोर्ट में मजबूत पैरवी करे और जल्द इस मामले का निस्तारण कराए. सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई 25 मार्च को होनी है. योगी सरकार 8 साल बेमिसाल का नारा दे रही लेकिन, अभ्यर्थियों का कहना है कि इनका 5 साल बेहाल है.
कृष्ण चंद्र ने बताया कि हाईकोर्ट से मुकदमा जीतने के बाद मुख्यमंत्री ने अभ्यर्थियों के पक्ष में निर्णय लेने का आश्वासन दिया था. पर अभ्यर्थी इस मामले को लेकर के सुप्रीम कोर्ट चले गए. जहां 9 सितंबर 2024 को पहली बार इस मामले की सुनवाई हुई थी।
 
तब सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने सभी पक्षों को अपना पक्ष रखने को कहा था. इसके बाद 23 सितंबर 2024 को इसकी अगली डेट लगाई थी. इस डेट के बाद लगातार इस मामले में तारीख पर तारीख पड़ रही है पर सरकार अभी तक अपना पक्ष रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक बार भी प्रस्तुत नहीं हुई है।
हंगामा कर रहे अभ्यर्थियों का कहना है कि सरकार इस मामले को जानबूझकर के लंबित कर रही है ताकि अभ्यर्थियों को ना मिल सके।
 
अमरेंद्र पटेल ने बताया कि वर्ष 2018 में यह भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई थी. जब इसका परिणाम आया तो इसमें व्यापक स्तर पर आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के साथ अन्याय किया गया. उन्हें नौकरी देने से वंचित कर दिया गया. एक लंबे आंदोलन और न्यायिक प्रक्रिया से गुजरने के बाद 13 अगस्त 2024 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के हित में फैसला सुनाया और नियमों का पालन करते हुए तीन महीने के अंदर अभ्यर्थियों को नियुक्ति दिए जाने का आदेश दिया।
 
लेकिन, सरकार इस प्रकरण में हीला हवाली करती रही और मामला सुप्रीम कोर्ट में चला गया. सुप्रीम कोर्ट में भी सरकार लापरवाही कर रही है, जिस कारण से आज हम लोगों को सड़क पर उतरना पड़ा. हमारी यही मांग है कि सरकार सुप्रीम कोर्ट में हमारी मजबूत पैरवी करे और हमें जल्द न्याय दिलाए।

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